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________________ जैन के निर्देशन में स्वागत गीत एवं भव्य सांस्कतिक । रखना आवश्यक है। भक्ति को तर्क की कसौटी पर कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। | नहीं कसा जा सकता। गोष्ठी के सयोजकद्वय डॉ० नरेन्द्रकुमार जैन, डॉ० नरेन्द्रकुमार जैन गाजियाबाद एवं डॉ० कपूरचन्द्र खतौली ने गोष्ठी के उद्देश्यों डॉ० कपूरचन्द्र जैन संगोष्ठी संयोजक पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि आदिपुरुष, प्रजापति तीर्थंकर ऋषभदेव के गौरवमयी व्यक्तित्व और आचार्य श्री विद्यासागर जी की प्रेरणा उनकी योगसाधनापद्धति को सार्वभौम रूप प्रदान करने तथा उसको जन जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से इस गोष्ठी का आयोजन किया गया है। गोष्ठी में पठित सभी आलेख ऋषभांचल गौरव ग्रन्थ में प्रकाशित किये जायेंगे। गोष्ठी में निम्नलिखित विद्वानों ने अपने शोधपत्रों का वाचन किया- 1. डॉ० शीतलचन्द्र जी जयपुर, 2. डॉ० जयकुमार जी मुजफ्फरनगर, 3. प्रो० भागचन्द्र जी जैन 'भास्कर' नागपुर, 4. पं० नीरज जी जैन सतना, 5. डॉ० सनतकुमार जैन जयपुर, 6. डॉ० श्रीयांश सिंघई श्री आर.के. जैन, अध्यक्ष, भारत जैन महामण्डल, जयपुर, 7. डॉ० ज्योति जैन खतौली, 8. डॉ रेणु जैन | श्री सुरेश जैन, आई.ए.एस. भोपाल, श्री शिखरचन्द्र मेरठ, 9. डॉ० भागचन्द्र जैन भागेन्दु दमोह, 10. डॉ० | पहाड़िया, श्री मदनलाल बैनाड़ा, आगरा एवं श्री अशोक सुपार्श्वकुमार, 11. पं० सरमनलाल सरधना जयपुर, 12. | भाभा, भोपाल ने बेगमगंज में पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर डॉ० पुष्पलता जैन नागपुर, 13. पं० विनोदकुमार प्रतिष्ठाचार्य | | जी के दर्शन किए। आचार्य श्री ने आशीर्वाद देते हुए रजवांस, 14. डॉ० कमलेशकुमार जैन 15. ब्र० जयकुमार | जैन समाज के घटते हुए प्रभाव पर चिन्ता प्रगट की। निशान्त टीकमगढ़, 16. डॉ० सुरेशचन्द्र जैन दिल्ली, 17. | आचार्य श्री ने प्रेरणा दी कि जैन समाज को कृषि एवं नरेन्द्रकुमार जैन गाजियाबाद, 18. डॉ० कपूरचन्द्र जैन | गौ पालन व्यवसाय को अपनाना चाहिए एवं तीर्थ क्षेत्रों खतौली। | के समीप स्थित गरीब परिवारों की प्रगति हेतु सहयोग अन्त में पूज्या माँश्री ने अपने आशीर्वाद में कहा | देना चाहिए। कि पौराणिक अध्ययन करते समय हमें श्रद्धा और भक्ति | सुरेश जैन, आई.ए.एस. भोपाल (म.प्र.) तितिक्षा जबलपुर से मुक्तागिरि की ओर आचार्य महाराज का गमन हुआ। मुलताई के आसपास रास्ते में एक दिन बहुत तेज बारिस आ गई। थोड़ी देर पानी बरसता रहा, फिर थम गया। महाराज मुस्कराए और आगे बढ़ते-बढ़ते बोले "भाई, इतनी जल्दी थककर थम गए। हम तो अभी नहीं थके।" उनका इशारा बादलों की ओर था। सभी हँसने लगे __आचार्य महाराज ने इस तरह चलते-चलते एक संदेश दे दिया कि कितनी भी बारिस आए, धूप हो, ठंड लगे, मोक्षार्थी को बिना थके सहज शान्त-भाव से अपने मोक्षमार्ग पर निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए। कितनी छोटी सी बात, लेकिन कितना बड़ा उपदेश। .. मुक्तातागिरि (1990) मुनि श्री क्षमासागरकृत 'आत्मान्वेषी' से साभार जनवरी 2008 जिनभाषित 32 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524324
Book TitleJinabhashita 2008 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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