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________________ समाचार श्री भागचन्द जी गदिया का निधन | का जाप्य कर दिवगंत आत्मा को शान्ति प्राप्त हो- भावना परमधर्मानुरागी, दानवीर "समाजरत्न" का उपाधि | भायी गयी। से अलंकृत जिनभक्त परम मुनिभक्त, तीर्थभक्त, अनेक भीकम चन्द्र पाटनी, संयुक्त मंत्री प्रमुख संस्थाओं के शीर्षस्थ पदाधिकारी, अखिल भारत दिगम्बर जैन समिति (राज.) नारेली अजमेर वर्षीय श्री दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र (नारेली) अजमेर श्रीमती पार्वती देवी गंगवाल का देहावसान के संस्थापक संरक्षक एवं अध्यक्ष रहे श्री भागचन्द्र जी __ चौरई जिला-छिन्दबाड़ा (म.प्र.) श्री सुरेश चन्द्र सा० गदिया का दिनांक 17.12.2007 को प्रात: असामयिक गंगवाल की पत्नी श्रीमती पार्वती देवी गंगवाल उम्र 74 देहावसान हो गया। वर्ष का अचानक धर्मध्यान करते हुए हृदयघात से निधन श्री भागचन्द जी गदिया के निधन से अजमेर समाज हो गया। 14.11.07 की रात्रि आप घरपर स्वाध्याय करते का एक देदीप्यमान चिराग बुझ गया। वे अजमेर की | हये तमाम मोह माया को छोड स्वर्गवासी हो गयी। ऐसी अनेकों संस्थाओं के अध्यक्ष पदों पर आसीन रहे। न ही मृत्यु की कामना हर ज्ञानी-ध्यानी करता हैं। श्रीमती केवल सामाजिक वरन् व्यापारिक क्षेत्र के धार्मिक पार्वती देवी अपने जीवन काल में समाज में अग्रणी पारमार्थिक अनेकों संस्थाओं के एवं राजस्थान सर्राफा संघ विदुषी, मृदुभाषी तथा धर्मपरायणा थीं। उनकी स्मृति में के लम्बे समय से अध्यक्ष रहे। उनके पति श्री सुरेश चन्द्र गंगवाल ने 121 शास्त्रों सहित __उनकी कार्य प्रणाली, सहनशीलता, निपुणता, एक गोदरेज लाईब्रेरी अलमारी जैन मंदिर चौरई को भेंट वात्सल्य, भ्रातृत्वभाव, देव शास्त्र, गुरु के प्रति असीम की, साथ ही जिनभाषित पत्रिका को 1001 रुपये, भा. श्रद्धा, समाज सेवा में सदैव तन, मन, धन से रत आदि । दि.जैन तीर्थ संरक्षण सभा को 1100 रुपये एवं जैन गजट गुणों के प्रशंसनीय, एवं अनुकरणीय व्यक्ति थे। उनके लखनऊ को 1100 रुपये की राशि भेंट की। ऐसे अनेकों गुणों से सकल समाज अभीभूत था, और अवनीत गंगवाल (पुत्र) यहीं कारण रहा कि वे सबके लोकप्रिय नेता व बन्धु बन गये थे। ऐसे व्यक्तित्व के धनी को उनके मरणोपरान्त भगवान् ऋषभदेव द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी दिनांक 18.12.07 रात्रि को समाज की एक विशाल ___ दिगम्बर जैन तीर्थ श्री ऋषभांचल, वर्द्धमानपुरम, सभा में सर्वसम्मति से मरणोपरान्त "समाज रत्न" की | दिल्ली मेरठ रोड, गाजियाबाद (उ.प्र.) में दिनांक 1 और उपाधि से अलंकृत कर अपने को गौरवान्वित अनुभव | 2 दिसम्बर 2007 को एक अखिल भारतवर्षीय भगवान् किया। इस श्रद्धांजलीसभा की अध्यक्षता श्रेष्ठी श्री ज्ञानचन्द | ऋषभदेव द्विदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन अध्यात्मयोगिनी, जी दनगसियां एवं श्रेष्ठी श्री हुकमचन्द जी सेठी ने संयुक्त | ध्यान योग शिविर संचालिका, परमपूज्या बालब्रह्मचारिणी रूप से की तथा संयोजन संगीरत्न प्रो. श्री सुशीलजी माँश्री कौशल के पावन आशीर्वाद से उन्हीं के सान्निध्य पाटनी ने किया। में तथा दिगम्बर जैन तीर्थ ऋषभांचल के तत्त्वावधान में दिनांक 19.12.07 को प्रात: 9.00 बजे छोटा धडा | किया गया। संगोष्ठी में देश के पैंतीस गणमान्य मूर्धन्य नसियाँ जी के विशाल प्रांगण में आयोजित तीये की। विद्वानों ने प्रतिनिधित्व किया। बैठक में सहस्र व्यक्तियों ने उपस्थिति देकर अपनी । समागत सभी विद्वानों का डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन, भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की। इस विशाल सभा में | गाजियाबाद ने गरिमामय परिचय दिया। स्वागताध्यक्ष श्री लगभग अर्द्धशतक संस्थाओं द्वारा प्रेषित शोक पत्र पढ़े | आर०के०जैन एवं प्रबन्ध संयोजक श्री जीवेन्द्र जैन सहित गये। समाज के गणमान्य महानुभावों के द्वारा उनका तिलक बैठक के समापनोपरांत नसियाँ जी के मंदिर प्रांगण | लगाकर, अंगवस्त्र भेंटकर तथा फाइल आदि प्रदान कर में शान्ति पाठ का उच्चारण कर नौ बार णमोकार मंत्र | सम्मान किया गया। श्री प्रदीप जैन और श्रीमती प्रज्ञा जनवरी 2008 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524324
Book TitleJinabhashita 2008 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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