SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समाचार गिरनारजी की पाँचवी टोंक पर यात्री पर खूनी । की । उलटे रिपोर्ट लिखाने के लिये निरुत्साहित किया । हमला इसी दिन बुधवार 17 अक्टूबर को ही श्री जैन पुलिस थाना गिरनार जी जूनागढ़ गये और रिपोर्ट लिखाई । साथ ही शासकीय चिकित्सालय में उनकी मरहम पट्टी की गयी। उनके सिर में दो टाँके लगाये गये। एक सप्ताह निकल जाने पर भी गुजरात सरकार की पुलिस ने मारपीट करनेवाले पण्डे के विरुद्ध न कोई कार्यवाही की और न ही गिरफ्तारी की । गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री जयन्तजी पटेल द्वारा 17 फरवरी 2005 को आदेश दिया गया था, कि गिरनार जी पहाड़ की पाँचवीं, भगवान् नेमिनाथ जी की टोंक पर अगले आदेश तक दिगम्बरजैन व हिन्दू अपनी-अपनी पद्धति से पूजा-उपासना कर सकेंगे। इस आदेश के बाद भी इस पाँचवीं टोंक पर हिन्दू पण्डे न केवल बैठे रहते हैं, बल्कि जैन यात्रियों को न चरण छूने देते हैं, न नेमिनाथ भगवान् की जय बोलने देते हैं, न माला फेरने देते हैं और चरण को फूलों से ढक कर रखते हैं, भगवान् के चरण की मात्र अँगुलियों के दर्शन जैन यात्री कर पाते हैं, वह भी पण्डों की मर्जी के अनुसार। टोंक पर स्थित भगवान् की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करना तो असंभव जैसा है। गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जयन्तजी पटेल के आदेश का पालन कराने हेतु पाँचवीं टोंक पर स्थायी रूप से पुलिस व्यवस्था की गयी है। 1 व्यवहार में दिगम्बर जैन समाज के यात्रियों को उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पाँचवीं टोंक पर अपनी धार्मिक क्रियाएँ करने से पण्डों द्वारा लगातार रोका जा रहा । न्यायालय के आदेश की अवहेलना और अवमानना सतत की जा रही है। पुलिस के होते हुए भी जैन यात्रियों के साथ पण्डों द्वारा मारपीट की जा रही है। अभी-अभी बुधवार 17 अक्टूबर 2007 को प्रातः दिगम्बरजैन यात्री गिरनार जी पहाड़ की वन्दना करने गये थे। इनमें श्री सगुनचंद जी जैन, सहायक वाणिज्य - कर अधिकारी, वृत्त - झाबुआ अपनी पत्नी, जीजा जी तेजमल जी जैन निवासी धनगाँव तहसील जावद, परिवार - जन सहित कुल छोटे-बड़े 18 यात्री पहाड़ पर गये थे। श्री सुगनचंद जी जैन भगवान् नेमिनाथ जी के चरण की वन्दना कर रहे थे। उपस्थित पण्डे ने डण्डे से दो बार प्रहार श्री जैन पर किये। एक प्रहार सिर पर किया गया जिससे खून बहना प्रारंभ हो गया। दूसरा प्रहार उनके हाथ पर किया गया। चौकी पर उपस्थित पुलिस जवानों को खून से लथपथ जैन ने जानकारी दी, तो उन्होंने कोई सहायता नहीं Jain Education International इसके विपरीत यह होता है कि अनेक यात्री अपने साथ पण्डों द्वारा गाली-गलौच, दुर्व्यवहार, मारपीट किये जाने पर भी पुलिस रिपोर्ट आदि इसलिये नहीं करते कि बाद में आने-जानेकी परेशानी होगी। इसका फायदा उठा हुए ये पण्डे जैन यात्रियों को और ज्यादा आतंकित करते रहते हैं । निश्चित ही हमारे यात्री सुगनचंद जी बधाई के पात्र है, क्योंकि उन्होंने भगवान् नेमिनाथ जी के क्षेत्र के हित में प्रताड़ित होने पर साहस के साथ कानूनी कार्यवाही की । ऐसी रिपोर्ट से न्यायालय में समाज का पक्ष मजबूत होगा श्री गिरनार जी राष्ट्र स्तरीय एक्शन कमेटी व संस्थाओं को चाहिए कि श्री सुगनचंद जी जैन का यथोचित सम्मान करें । T हमारे दिगम्बरजैन समाज के शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी, श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ और केसरिया जी के मामले सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में और गिरनारजीसंबंधित 5 प्रकरण गुजरात उच्च न्यायालय में हैं। एकएक मामले में वकीलों की फीस तथा अन्य खर्च मिलाकर लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं । यही समय समाज को चेतने का है। हर व्यक्ति, परिवार को जितना अधिक से अधिक हो सके आर्थिक सहयोग आगे बढ़कर प्रदान करना चाहिए । न्यायालयों में समाज का पक्ष मजबूत न होने पर आर्थिक कारणों से अगर फैसला हमारे खिलाफ चला जायगा तो हम शाश्वत तीर्थ शिखर जी, गिरनार जी की वन्दना करने कहाँ जावेंगे? हमारा सिद्धक्षेत्र का इतिहास हमसे छिन जायेगा तो हमारा क्या बचेगा ? जागने जगाने का समय आज और अभी है। चारों धर्म क्षेत्रों के न्यायालय में प्रकरण भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, मुंबई लड़ रही है। आर्थिक सहयोग दाता चाहें तो उन्हें धारा 80 जी की । छूट का लाभ भी मिल सकता है। सहायता राशि कमेटी दिसम्बर 2007 जिनभाषित 29 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524323
Book TitleJinabhashita 2007 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2007
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy