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के नाम से बैंक ऑफ इण्डिया, सी.पी. टैंक मुंबई के सेविंग । विद्वत्परिषद् के मुखपत्र - विद्वद्-विर्मश (संपादक - डॉ.
खाता नम्बर 001210100017881 अथवा बैंक ऑफ बड़ौदा, वी.पी. रोड, मुम्बई के सेविंग खाता नं. 13100100008770 में बैंकों की किसी भी शाखा में जमा करा सकते हैं। कोई भी शुल्क नहीं लगेगा ।
सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती' ) बुरहानपुर से प्रकाशित पार्श्व ज्योति मासिक (वरिष्ठ संपादक - डॉ. रमेशचन्द जैन ), भारतीय दर्शन के महामेरु आचार्य श्री समन्तभद्र (लेखकडॉ. नेमिचन्द्र जैन, खुरई) का विमोचन किया गया। अधिवेशन को प्रमुख रूप से डॉ. श्रेयांसकुमार जैन, डॉ. शीतलचन्द जैन, डॉ. सुरेन्द्र भारती, डॉ. जयकुमार जैन, डॉ. सुरेशचन्द जैन, पं. शैलेष शास्त्री, डॉ. नेमिचन्द्र जैन, पं. जयंतकुमार जैन, पं. सनतकुमार जैन, पं. पवन जैन आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर कतिपय तत्वों द्वारा फैलाये जा रहे दुष्प्रचार पर उस समय विराम लग गया, जब पूज्य मुनिश्री के कहने पर सभी विद्वानों एवं अधिवेशन में उपस्थित जनसमूह द्वारा दिवंगत आचार्य श्री भरतसागर जी को नौ बार णमोकार मंत्र के स्मरण पूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
निर्मलकुमार पाटोदी सम्पर्क : मुम्बई ( 022-23878293 ), कोषध्यक्ष जम्बूकुमार सिंह (मो.: 093735-01918 ), इन्दौर शास्त्रि परिषद् एवं विद्वत्परिषद् (रजि.) का संयुक्त खुला अधिवेशन एवं मूलाचार अनुशीलन विद्वत्संगोष्ठी संपन्न
बांसवाड़ा, “ शास्त्रि परिषद् एवं विद्वत्परिषद् मेरे दो हाथ हैं और मेरा दोनों होथों से दोनों परिषदों के विद्वानों को आशीर्वाद हैं कि वे देव-शास्त्र-गुरु के संरक्षण हेतु सजग रहकर कार्य करें । साधुओं के शिथिलाचार को रोकने हेतु प्रयत्न करें और आगम की रक्षा करें।" यह विचार राजस्थान के प्रसिद्ध नगर बांसवाड़ा में वर्षायोग हेतु विराजित परम जिन धर्म प्रभावक, आध्यात्मिक संत, मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज ने लगभग २०० विद्वानों एवं विशाल जनसमूह के मध्य संयुक्त अधिवेशन में व्यक्त किये। उल्लेखनीय है कि मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री गंभीरसागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी महाराज के सान्निध्य में रविवार, दिनांक २८ अक्टूबर, सन् २००७ को श्री श्रेयांसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, खान्दू कॉलोनी, बांसवाड़ा (राजस्थान) में दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् (रजि.)
द्वितीय संयुक्त अधिवेशन संपन्न हुआ। जिसमें अधिवेशन के पूर्व निर्धारित विषयों १. उदयपुर अधिवेशन में पारित ११ सुत्रीय समाज के नाम अपील की समीक्षा, २. विश्व विद्यालयों में जैन चेयर की स्थापना पर विचार, ३. जैन परम्परानुकूल धार्मिक एवं समाजिक संस्कारों का ह्यस कारण एवं निदान, ४. सामाजिक एवं धार्मिक समरसता की आवश्यकता, ५. सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजनों में विद्वानों की अनिवार्यता पर विद्वानों एवं समाज के मध्य व्यापक विचार-विमर्श हुआ। इस अवसर पर प. पू. मुनिपुङ्गव श्री सुधासागर जी महाराज की प्रवचन कृति- धर्मप्रीतिसुधा (संपादक - डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन, सनावद ), भगवती आराधना अनुशीलन (संपादक - डॉ. प्रेमसुमन जैन, डॉ. जयकुमार जैन, डॉ. उदयचंद जैन, प्रा. अरुणकुमार जैन),
30 दिसम्बर 2007 जिनभाषित
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संयुक्त अधिवेशन में आचार्य ज्ञानसागर वागर्थ विर्मश केन्द्र की ओर से पं. अभयकुमार जैन (बीना), डॉ. श्रेयांसकुमार जैन (बड़ौत), डॉ. कमलेशकुमार जैन (व (वाराणसी), डॉ. अशोककुमार जैन ( वारणसी) एवं डॉ. सुरेशचन्द जैन (नई दिल्ली) को प्रतिष्ठित महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर पुरस्कार शाल, श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र एवं ५१०००रु. के साथ प्रदान किये गये। इन पुरस्कारों में दो पुरस्कार श्री विनयकुमार जैन, विवेककुमार जैन, श्रीमती आभा जैन, ( अहमदाबाद), एक पुरस्कार श्री राजेन्द्रकुमार नाथूलाल जैन मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से ट्रस्टी श्री ज्ञानेन्द्र गदिया, संजय गदिया, नीरज गदिया (सूरत), ने तथा एक पुरस्कार श्री नरसिंगपुरा दिगम्बर जैन समाज, खांदू कॉलोनी, बांसवाड़ा की ओर से प्रदान किये गये। इसी श्रृंखला में अ. भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् की ओर से प्रतिवर्ष दिये जाने वाले क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति विद्वत्परिषद् पुरस्कार से पं. निहालचंद जैन (बीना) को जैन धर्म की प्रभावना हेतु तथा गुरुवर्य गोपालदास वरैया स्मृति विद्वत्परिषद् पुरस्कार से डॉ. लालचंद्र जैन (आरा) को उनकी कृति उड़ीसा में जैन धर्म के लिए पुरस्कृत किया गया। इन दोनों पुरस्कारों को पुण्यार्जक श्री राजेन्द्रकुमार नाथूलाल जैन मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से ट्रस्टी श्री ज्ञानेन्द्र गदिया ने प्रदान किया । पुरस्कृत विद्वानों का परिचय डॉ. जयकुमार जैन, डॉ. विजयकुमार जैन, पं. निहालचंद जैन ने दिया। इस अवसर पर श्रमण संस्कृति
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