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रजि. नं. UPHIN/2006/16750
दिसम्बर 2007
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मासिक
जिनभाषित
• लेख
आचार्य श्री विद्यासागर जी के दोहे
• बारह भावना : मुनि श्री सुव्रतसागर जी
● मुनि श्री क्षमासागर जी की कविताएँ
• सम्पादकीय : पंचकल्याणकों के आध्यात्मिक स्वरूप की आवश्यकता
• सम्यग्दर्शन
: श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी
• दिव्यध्वनि की दिव्यता : मुनिश्री प्रणम्यसागर जी
•
महावीर का अहिंसाव्रत : आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी • ख्यातिवाद : प्रमेयकमलमार्त्तण्ड के प्रकाश में
: डॉ० वीरसागर जैन
• जरा सोचिए गाय के बारे में
• कविता
अन्तस्तत्त्व
• दिन पहाड़ से
• जिज्ञासा समाधान
● कथा
• भगवान् पार्श्वनाथ
: श्रीमती मेनका गाँधी
• बिस्किट और दिग्भ्रमित ग्राहक : श्री आदिनाथ
युवक संगठन, फलटण
• बुन्देलखण्ड का जैन कला-वैभव : श्री राकेश दत्त त्रिवेदी
• ग्रन्थ समीक्षा
वर्ष 6,
समाचार
• 'ऐक्यूप्रेसर फुट रिफलेक्सोलॉजी'
: मनोज जैन 'मधुर'
: पं. रतनलाल बैनाड़ा
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: मुनि श्री समतासागर जी
लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। 'जिनभाषित' से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिये न्यायक्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा ।
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