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________________ यह शिविर भविष्य के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगा। संपूर्ण | विद्वत्परिषद् की ओर से किया गया है। इसी क्रम में श्री शिविर का विधिवत् संचालन/संयोजन अ.भा.दि.जैन | दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र महिला, समिति, नारेली द्वारा विद्वत्परिषद् के मंत्री डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन के द्वारा श्रीमान् | प्रकाशित 'विद्या सुधा गुणाभिवन्दन' स्मारिका का विमोचन पं. मूलचन्द लुहाड़िया एवं पं. अमरचन्द्र जैन के मार्गदर्शन | किया गया। में किया गया। दिनांक १५ मई की रात्रि में कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी दिनांक १४ मई को अ.भा.दि. जैन विद्वत् परिषद | एवं मंदिर निर्माण समिति के पदाधिकारियों एवं विद्वानों की कार्यकारिणी की बैठक डॉ. शीतलचन्द जैन (जयपुर) | तथा संपादकों के मध्य बड़े बाबा की मूर्ति के स्थानांतरण की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमें प्रमुखरूप से अनेकान्त । एवं मंदिर निर्माण विषयक खुली बातचीत हुई। जिसमें मनीषी डॉ. रमेशचन्द जैन (बिजनौर) का अखिल भारतीय | कमेटी की ओर से संपूर्ण तथ्य रखे गये। विद्वानों एवं स्तर पर सम्मान एवं अभिनंदन ग्रंथ भेंट करने का निर्णय | संपादकों के प्रत्येक प्रश्न का सप्रमाण उत्तर दिया गया। किया गया। दिनांक १५ मई को नवगठित अ.भा.जैन पत्र | दिनांक १६ मई को प्रातः सभी विद्वानों, संपादकों ने क्षेत्र संपादक संघ का शपथ विधि समारोह एवं चिंतन बैठक | कमेटी के साथ बड़े बाबा के पुराने एवं नवीन स्थल तथा संपन्न हुई। दिनांक १६ मई को आचार्य श्री विद्यासागर द्वारा | वहाँ संग्रहीत मूर्तियों एवं अन्य वस्तुओं का अवलोकन रचित नये शतक काव्य 'चैतन्य चन्द्रोदय' का विमोचन | किया। सभी इनकी सुरक्षा देखकर आश्वस्त हुए। इसतरह दानवीर श्री अशोक पाटनी (आर.के.मार्बल्स, किशनगढ़) | कुण्डलपुर तीर्थ क्षेत्र पर अनेक आयोजन होने से क्षेत्र पर ने किया। यहाँ उल्लेखनीय है कि आचार्यश्री के द्वारा रचित | आने वाले दर्शनार्थी अत्यन्त लाभान्वित हुए। इस संस्कृत शतक काव्य के साथ हिन्दी पद्यानुवाद भी ए-२७, नर्मदा विहार, आचार्यश्री ने ही रचा है। इस काव्य का प्रकाशन अ.भा.दि.जैन | सनावद - ४५११११(म.प्र.) कम्भोज बाहबली में शिविर सम्पन्न परमपूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से उनकी सयोग्य शिष्य मंडली ज्य मुनि श्री नियमसागर जी, मुनि श्री अक्षयसागर जी, मुनि श्री वृषभसागर जी, मुनि श्री सुपार्श्वसागर जी, मनि श्री नेमिसागर जी आदि के ससंघ सान्निध्य में एवं श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस अधिष्ठाता पं. रतनलाल बैनाडा के कुलपतित्व में 17 मई से 27 मई तक अतिशय क्षेत्र कुम्भोज बाहुबली (कोल्हापुर) महाराष्ट्र में 'सम्यग्दर्शन शिक्षण शिविर' का भव्य आयोजन हुआ। इस दस दिवसीय धार्मिक शिक्षण शिविर में सम्पूर्ण महाराष्ट्र व कर्नाटक से लगभग 2200 शिविरार्थियों ने जैन धर्म शिक्षा (भाग 1, 2), छहढाला, रत्नकरण्डक श्रावकाचार तत्त्वार्थसूत्र और इष्टोपदेश का अध्ययन किया। पूज्य मुनि श्री नियमसागर जी द्वारा 'सम्यग्ज्ञान' पुस्तिका पर एवं मुनि श्री अक्षयसागर जी द्वारा छहढाला पर मार्मिक उपदेश दिया गया। सायंकालीन आरती के पश्चात् सभी शिविरार्थियों के लिए सामूहिक कक्षा में पं. सौरभ जैन, सांगानेर द्वारा इष्टोपदेश एवं करणानुयोगवेत्ता पं. रतनलाल बैनाड़ा द्वारा शिविरार्थियों की विभिन्न धार्मिक जिज्ञासाओं का आगमनिष्ठ समाधान प्रस्तुत किया गया। अध्यापन कार्य में पं. अनंत बल्ले, पं. आशीष जैन, पं. सुधीर जैन बारामती, डॉ. अभय दगड़े, सौ. उज्ज्वला गोसावी, सौ. अंजली खोवरे, पं. विनीत जैन, पं. राजेश जैन 'राज', पं. विनोद बेलोकर, पं. प्रतीष काले, पं. सरेश जैन आदि 25 विद्वानों का अद्वितीय सहयोग रहा। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए योगाचार्य श्री नवीन जैन 'बरेली' द्वारा योगाभ्यास कराया गया। 27 मई को समापन समारोह में पुरस्कार वितरण के साथ शिविर सानंद सम्पन्न हुआ। पं. पुलक गोयल श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, वीरोदय नगर, सांगानेर, जयपुर (राज.) -जून-जुलाई 2007 जिनभाषित 45 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524318
Book TitleJinabhashita 2007 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2007
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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