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मोक्षगामी जीव थे, अत: मोक्ष के तोरणद्वार की ओर अपने कदम | गौरव की बात है। इसे अंतर्राष्ट्रीय गौरव की बात भी कह सकते बढ़ाये थे। इससे बड़ा मुमुक्षु कौन होगा? संसार तो बुभुक्षु है, पर | हैं। दया, करुणा, अहिंसा का सही लक्षण क्या है-यह उन्हें भी आप सही मुमुक्षु हैं। अत: आप की इस जीव-दया, करुणा, | ज्ञात था, तभी तो उन्होंने ऐसा निर्णय घोषित किया है, जो परोपकार से अन्य लोग भी शिक्षा ले सकें। गुजरात प्रांत के उस विश्व भर में ज्ञात हो गया कि ऐसा भी निर्णय हो सकता है। प्रवास में सौराष्ट्र के गाँव-गाँव में गाय-बैल आदि को देखकर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के सम्बन्ध में आपने कहा लगता था मानों ये बड़े-बड़े हाथी जैसे ही जीव हैं। बड़ी-बड़ी | कि सर्वोच्च न्यायालय में जिनने ऐसा निर्णय घोषित किया कायावाला बैल मुड़कर यदि देख रहा हो, तो लगता था कि | है, उनमें से किसी के परिजन के बारे में सुना है कि वे मानों हाथी ही हो। वहाँ लोगों ने बताया कि ऐसे जानवरों को भी | मांसाहारी नहीं हैं, बल्कि विशुद्ध शाकाहारी हैं। इतना ही वध हेतु कत्लखाने ले जाया जाता है।
| नहीं, वे अपने आहार में प्याज, लहसुन तक को छूते नहीं आपने कत्लखानों का उल्लेख करते हुए कहा पहले कृषि- हैं। अत: ऐसे व्यक्ति दया, अहिंसा के समर्थक क्यों नहीं कार्य बैलों द्वारा किया जाता था, किन्तु आज के युग को यान्त्रिक बनते? आप लोगों के तन, मन एवं धन से ऐसे सात्त्विक कार्य युग कहा जाता है। बैलों के द्वारा कृषि करना प्रायः छूटता जा हों, तो उसका प्रभाव निश्चित रूप से हिंसकवृत्तिवालों पर भी रहा है, इसीलिये इन्हें कत्लखाने ले जाया जाता है । यह देख- पड़ता/पड़ सकता है। सामूहिक कार्यों में, पूजा पद्धतियों में सुनकर खेद-खिन्नता होती है। पहले राजाज्ञा से ऐसे कार्यों को | सात्त्विकता का होना आवश्यक है। बहुत से लोग देश में ऐसे भी रोका जा सकता था, किन्तु आज लोकतंत्र है । इन जीवों का भी | हैं जो मांसाहारी भले हैं, पर व्यापार की दृष्टि से गोवंश का वध कुछ पुण्य है।आप लोगों के संकल्प से अहिंसा की यह आराधना | नहीं चाहते हैं । बहुत से मुसलमान भाई भी हमारे पास आये थे। सफल हो सकी है।
उनमें से कोई कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता था। उन्होंने भी कहा । इसी प्रसंग में सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल करनेवाले | था कि यह वध किया जाना ठीक नहीं है। और भी अनेक ब्रह्मचारी जी (ए.के. जैन) का उल्लेख करते हुए आचार्य प्रवर | मुसलमानों के लेख हमने पढ़े है। राजस्थान में गोवंश का संरक्षण ने कहा कि ब्रह्मचारी जी ने कहाँ-कहाँ पर क्या-क्या कार्य | मुसलमान भी करते हैं। वहाँ आज भी ऊँटों तथा गोवंश आदि किया है, यह वो जानते हैं या भगवान् जानते हैं, पर अपने ध्रुव | का संरक्षण कई मुसलमान करते हैं। उनकी आजीविका दूध की प्राप्ति हेतु ये अंत तक डटे रहे। इस कार्य के लिये ये बहुत | उत्पादन के ऊपर ही निर्भर है। उत्साहित रहे हैं। इन्होंने दस-दस उपवास की साधना भी की | आपने कहा कि बुंदेलखण्ड में आप लोगों ने पचासों स्थान है। भले ही उन उपवास के दिनों में ये स्नान कर लेते थे पर इन | पर दयोदय' नाम से गोशालाएँ खोली हैं। भले ही उनमें ज्यादा जीवों के संरक्षण हेतु बाहर जाने की आवश्यकता महसस होने | जीवों की रक्षा नहीं हो पा रही है, फिर भी जीव-रक्षण का पर चार उपवास होने पर भी गए हैं। इन्हें भले ही ड्राईफ्रूट्स, | कार्य तो हो रहा है। इसी कारण से लोगों में प्राणियों के हित के चना, मूंगफली खाने मिले पर इस कार्य को ये करते रहे। आप | लिये विचार, चिंतन किया जा रहा है। आप लोगों ने जो लोगों जैसे होटलों में तो खाते नहीं हैं। भले ही इनके बाल ज्यादा | सद्भावना रखी, यह उसी का सुपरिणाम है । एक स्थान पर
जाते हैं, पर केशलोंच ही करने का प्रयास करते हैं। तब | आर्यिकासंघ का प्रवास था। वहाँ के लोगों ने गोशाला खोलने की देखने में ये बाबाजी जैसे लगने लगते हैं। ये कई बार गिरे, पैर भावना रखी। तब उन्हीं में से एक व्यक्ति न उठकर कहा कि टूट गया, फिर भी लँगडाते हए आते-जाते रहे, किन्तु अहिंसा | सब जन मिलकर यह कार्य करें तो श्रेष्ठ ही है, नहीं तो हम के प्रति ऐसे ही अडिग रूप से डटे रहे।
अकेले ही अपने द्रव्य के सदुपयोग के लिये चार-पाँच सौ ___ इसी प्रसंग को 'पिच्छिका परिवर्तन दिवस-अहिंसा | प्राणियों का संरक्षण करेंगे। ऐसी ही भावनाओं का फल है कि संयमोपकरण दिवस' पर आचार्य श्री ने पुनः कहा कि प्राणियों बेगमगंज, सिलवानी, गंजबासौदा आदि में दयोदय गोशालाएँ की रक्षा के लिये सभी लोग वर्षों से प्रयासरत थे कि यह खुली हैं। और यही उस जनजागृति का परिणाम है कि लोग इस जीवदया का कार्य सार्थक हो जाये और अहिंसा-धर्म का सम्यक् प्राणीसंरक्षण के कार्य हेतु दान देकर अपने कर्तव्य का पालन प्रचार हो सके। इस प्रकार इस कार्य के लिये लाखों की संख्या | कर रहे हैं । वस्तुतः इस दान राशि से इन जीवों का संरक्षण ही में जनता की लगन एवं भावना थी। सर्वोच्च न्यायालय में 7 | अकेले नहीं हो रहा है अपितु आपका भी संरक्षण हो जाता है। जजों की बैंच में 6 जजों ने अब मुक्तकंठ से यह घोषणा कर दी है कि बूढ़े बैल आदि वध के योग्य नहीं हैं। भारत के लिये यह
जनवरी-फरवरी 2006 जिनभाषित /1 Jain Education International
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