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________________ रजि नं. UP/HIN/29933/24/1/2001-TC डाक पंजीयन क्र.-म.प्र./भोपाल/588/20037 मुरैना (म.प्र.) में जैन युवा प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी के आशीर्वाद से परमपूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी एवं मुनि श्री भव्यसागर जी की प्रेरणा एवं सान्निध्य में पाँचवा जैन युवा प्रतिभा सम्मान समारोह' 5,6नवम्बर 2005 को मुरैना म.प्र. में जैन युवा सम्पन्न हुआ, जिसमें हजारों श्रावकों की प्रतिभा मान उपस्थिति में मेधावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस समारोह में भाग लेने के लिये भारत के 18प्रांतों से 1400 जैन बालक-बालिकाओं को आमंत्रित किया गया था। UNG JAWI WARD कक्षा 10 के 85 प्रतिशत एवं कक्षा 12 के 80 प्रतिशत से ऊपर अंक प्राप्त करने वाले क्रमश: 437 एवं 916कुल 1353 छात्र अपने परिवार के साथ आये हुए थे। प्रथम दिन मुरैना में मुनिश्री क्षमासागर जी के सान्निध्य में संपन्न यंग जैना अवार्ड -05 जिनवन्दना के पश्चात् प्रातः 8बजे म.प्र. के तहत पहलीबार आयोजित दीक्षांत समारोह में सम्मानित सीनियर अवार्डी शासन के पूर्व मंत्री श्री विठ्ठलभाई पटेल सागर ने दीप प्रज्वलन किया।दोपहर 1 बजे से जैन क्विज प्रारम्भ हुआ, जिसमें लगभग 400 विद्यार्थियों ने भाग लिया।मुनि श्री क्षमासागर जी ने अपने संबोधन में कहा कि विद्यार्थी कैरियर चुनने से पहले ध्यान रखें कि ऐसा कैरियर न चुनें जो वीतरागता कोखंडित कर दे।अपनी आर्थिक स्थिति एवं माता-पिता की इच्छा को देखते हुये, अपनी समता का ध्यान रखते हुये कैरियर चुनें। कैरियर के चयन में अपनी क्षमता का भी ध्यान रखा जावे।हमारे जीवन में विनय और ईमानदारी आनी चाहिये, जिसकी मदद से हम ऊँचाई तक पहुँच सकें।तामसिक प्रवृत्ति को छोडकर सात्त्विक प्रवृत्ति को धारण करना चाहिये। दूसरे दिन प्रातः 8बजे समारोह की मुख्य अतिथि डॉ. प्रो. वनमाला जैन, आई. आई.टी. बम्बई ने दीप प्रज्वलन करके प्रथम सत्र काशभारम्भ किया। प्रथम सत्र में सीनियर अवार्डी विद्यार्थियों का दीक्षान्त समारोह हुआ एवं सिलेक्शन प्रोफेशनल कोर्स में टॉपर विद्यार्थियों को मैडल, सील्ड एवं साहित्य देकर पुरस्कृत किया गया। दोपहर के सत्र में सभी विद्यार्थियों को मंच से मैडल एवं सील्ड के साथ सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. वनमाला जैन ने सर्वप्रथम कक्षा 12 के श्री अंकित पाटनी तथा कु. दीपिका जैन को सम्मानित किया, जिन्होंने क्रमश: 97.5% एवं 97.2% अंक प्राप्त किये थे। समारोह के मध्य श्री पन्नालाल वैनाडाआगरा ने मैत्रीसमूह का परिचय दिया।इस अवसर पर देश के अनेक प्रसिद्ध विद्वान उपस्थित थे। अवार्डी विद्यार्थियों से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि इतनी सुंदर व्यवस्था बारातियों के लिए भी नहीं की जाती है। सम्मानसमारोह के अंतिम क्षणों में पूज्य मुनि श्री भव्यसागर जी एवं पूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी ने अपना आशीर्वाद उपस्थित समुदाय को देते हुये कहा कि बिनोवा कहते थे 'Learning with doing' अर्थात् काम करने के साथ-साथ सीखें, ऐसी हमारी शिक्षा हो, दूसरों के उपकार का भाव हमारी शिक्षा में हो। समारोह में इन्दौर से पधारे हये श्री भंडारी एवं प्रो. सरोज कुमार ने भी अपनी बात विद्यार्थियों को कैरियर काउंसिलिंग के माध्यम से समझाई। छात्रों से भी क्रास-क्विश्चन करके कैरियर काउंसिलिंग को सफल बनाया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुमतप्रकाश छतरपुर एवं राजेश छतरपुर ने किया। समापन पर मुरैना शहर के श्रावकों ने सभी अवार्डी एवं अतिथियों को तिलक लगाकर बैंड बाजों के साथ सायं 5 बजे से रात्री 1 बजे तक विदाई दी, जो देखने के लायक थी, यह एक अनूठा सम्मान था। मुनि श्री क्षमासागर जी ने अपने अन्तिम उपदेश में छात्रों से कहाहमें यह जानकर गौरव होना चाहिये, कि अहिंसा करुणा और प्रेम हमारा धर्म है। सत्य के प्रति समर्पित होकर निरन्तर आत्मविकास करना हमारा दर्शन है। आत्मसंतोष और साम्यभाव रखना हमारी आध्यात्मिक चेतना का मधुर स्वर है। श्रद्धा और सदाचार से समन्वित ज्ञान ही हमारा विज्ञान है। सुरेश जैन मारौरा, शिवपुरी स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक : रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, जोन-1, महाराणा प्रताप नगर, Jain Education Inte भोपाल (म.प्र.) से मुद्रित एवं सर्वोदय जैन विद्यापीठ'17205 प्रोफेसर कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) से प्रकाशित। www.jainelings
SR No.524303
Book TitleJinabhashita 2005 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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