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________________ गणिनी आर्यिका १०५ श्री स्याद्वादमती माताजी का | अखण्ड भक्तामर पाठ रखा गया। चातुर्मास कर रहे परमपूज्य मदनगंज-किशनगढ़ में चातुर्मास आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के शिष्य ऐलक श्री दयासागर गणिनी आर्यिका 105 श्री स्याद्वादमती माताजी का | महाराज के परम सान्निध्य में भक्तामर व्रत का उद्यापन चातुर्मास, मदनगंज-किशनगढ़ जैन समाज के लिए अति | सम्पन्न हुआ। प्रसन्नता एवं उल्लास भरा था । जब गणिनी आर्यिका 105 श्रीमति विधि जैन स्यादवाद्मती माताजी संघ सहित पाटनी फार्म से प्रातः 7.00 श्री दिगम्बर जैन बडा मंदिर करेली ( नरसिंहपुर) बजे रवाना होकर आदिनाथ कॉलोनी स्थित आदिनाथ शोधकर्ताओं का भावभीना सम्मान जिनालय, श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनालय, श्री चन्द्रप्रभ जिनालय ___ श्री दिगम्बर जैन समाज बबीना द्वारा 'मैत्री समूह' के के दर्शन करते हुए भव्य समारोह पूर्वक श्री आदिनाथ मंदिर | सहयोग से आचार्यश्री विद्यासागरजी के शिष्य मुनि श्री दर्शनार्थ पहुंची। दर्शन पश्चात् श्री आदिनाथ भवन में धर्मसभा | क्षमासागर जी एवं मुनिश्री भव्यसागर जी के सान्निध्य में का आयोजन किया गया । किशनगढ़ आगमन पर माताजी 'श्रुत पंचमी पर्व' 11 एवं 12 जून 2005 को विद्वानों के व संघ का गणमान्य नागरिकों सहित हजारों नर नारियों ने | गरिमामयी सम्मान के साथ मनाया गया । इस प्रसंग पर . भावभीना स्वागत किया । मुनिद्वय के मंगल प्रवचनों का लाभ सभी ने लिया । माताजी के प्रवचन प्रतिदिन प्रात: 8:00 बजे से श्री श्रुत पंचमी पर 12 जून को विद्वत् सम्मान समारोह में आदिनाथ भवन में हो रहे हैं और सभी नर-नारी धर्म लाभ | पधारे विद्वानों ने समन्वित रूप से आचार्य श्री विद्यासागर ले रहे हैं । जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर आयोजन प्रारम्भ पारसमल बाकलीवाल किया। सुश्री सृष्टि व अनुजा ने मधुर मंगलाचरण प्रस्तुत महामंत्री, पूज्य गणिनी 105 आर्यिका किया । कार्यक्रम में प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन फिरोजाबाद स्याद्वादमती चार्तुमास समिति, द्वारा रचित 'सामाजिक एकता के चार सूत्र' का विमोचन श्री मदनगंज-किशनगढ़ एन.एल. बैनाड़ा ने किया। पं. शीतलचंद्र जैन जयपुर द्वारा हजारीबाग में धर्म प्रभावना एवं रचित आचार्य श्री ज्ञानसागर एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी श्री दिगम्बर जैन मन्दिर का शताब्दी समारोह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषयक शोध संदर्शिका का विमोचन संत शिरोमणी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज | पं. नरेन्द्रप्रकाश जैन ने किया । सम्मान का सिलसिला पं. के परम प्रभावक शिष्य हजारीबाग नगरी के गौरव राष्ट्रसंत | नरेन्द्रप्रकाश जैन तथा पं. शीतलचंद जैन के आत्मीय व मुनि 108 श्री प्रमाणसागर जी महाराज का ससंघ हजारीबाग | भावभीने सम्मान से हुआ। इसी क्रम में पूज्य आचार्यद्वय के में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ चातुर्मास हो रहा है । व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर शोध करने एवं करानेवाले विद्वानों इस अवधि में स्थान-स्थान पर प्रवचन श्रृंखलाएँ आयोजित | श्रीमती डॉ. लक्ष्मी शर्मा जयपुर, डॉ. मालती जैन मैनपुरी, की जा रही हैं, जिससे जन-जन में धर्म प्रभावना हो रही है । | डॉ. मोनिका वार्ष्णेय बरेली, डॉ. रामअवतार शर्मा व डॉ. चातुर्मास की अवधि में दि. 6 अक्टूबर से 14 अक्टूबर | कैलाशचंद शर्मा जयपुर एवं डॉ. श्रीमती मीना जैन छतरपुर तक श्री दिगम्बर जैन मन्दिर, बड़ा बाजार, का शताब्दी समारोह | का आत्मीय सम्मान श्री पी.एल. बैनाडा आगरा सहित मैत्री विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाएगा । इस | समह, बबीना की दिगम्बर जैन समाज, दिगम्बर जैन महिला अवधि में कल्पद्रम महामण्डल विधान एवं विश्व शान्ति | मंडल व जिनवाणी दिगम्बर जैन पाठशाला के बच्चों ने महायज्ञ, युवा सम्मेलन, अहिंसा शाकाहार रैली, गजरथ | तिलक, शाल, श्रीफल, प्रतीकचिन्ह एवं अनेक आकर्षक महोत्सव भी आयोजित होंगे। उपहार आदि भेंट कर सम्मानित किया । इस अवसर पर समस्त साधर्मी जन सविनय आमन्त्रित हैं। पूज्य मुनिद्वय ने अपने आशीर्वचन में. जीवन में धर्म को राजकुमार जैन अजमेरा, | धारण कर सच्चा मनुष्य बनने का आव्हान किया । जैन मुख्य संयोजक, चातुर्मास समिति | | मंदिर स्थित आचार्य ज्ञानसागर ग्रंथालय का उद्घाटन पं. नरेन्द्रप्रकाश जी ने किया एवं रात्रि में उन्होंने मंगल प्रवचन अखण्ड भक्तामर पाठ दिए । करेली में दिनांक 27/5/2005 से 28/05/2005 तक डॉ. सुमति प्रकाश जैन, छतरपुर 24 सितम्बर 2005 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524300
Book TitleJinabhashita 2005 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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