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स्थिति अन्त:कोडाकोडी सागर प्रमाण होती है, उनकी आवाधा
समाधान : कासनगाँव अतिशय क्षेत्र अभी नवीन ही अन्तर्मुहूर्त प्रमाण जाननी चाहिए। आयुकर्म की आवाधा, | प्रसिद्धि में आया है, यह जिला-गुड़गाँव, हरियाणा में स्थित आयुकर्म के बंध के पश्चात् शेष बची हुई भुज्यमान आयु | है। दिल्ली-जयपुर हाइवे से गुड़गांव पहुंचने पर वहाँ से २० प्रमाण कही गई है। अर्थात् यदि किसी एक करोड़ पूर्व की | कि.मी. दूरी पर स्थित है । क्षेत्र समतल है, सिर्फ एक आयु वाले जीव ने, आयु का त्रिभाग शेष रहने पर आयुकर्म | जिनालय है। २६ अगस्त १९९७ को खुदाई में भगवान् का बन्ध किया तो उस आयुकर्म की आवाधाकाल शेष बचे पार्श्वनाथ की ४ तथा भगवान् मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, हुए एक करोड़ पूर्व के त्रिभाग प्रमाण होगी। यह आयुकर्म
अभिनन्दननाथ, अनन्तनाथ तथा आदिनाथ भगवान् की एककी उत्कृष्ट आवाधा कहलाती है। आयुकर्म की जघन्य | एक प्रतिमा प्राप्त होने से ही यह तीर्थ प्रसिद्धि में आया। ये आवाधा, असंक्षेपाद्धाकाल प्रमाण कही गई है।
सभी मूर्तियां १३वीं-१४वीं शताब्दी की अष्टधातु की हैं। ___उदीरणा की अपेक्षा समस्त कर्मों की आवाधा एक खुदाई में कुछ चरण और यन्त्र भी प्राप्त हुए हैं। सभी आवली प्रमाण होती है अर्थात् बंधी हुई कर्म प्रकृति की एक | मूर्तियां अत्यन्त मनोहर और दर्शनीय हैं । मूर्तियों की विधिवत् अचलावली के बाद उदीरणा होना संभव है। विशेष यह है शद्धि एवं प्रतिष्ठा कराके विराजमान करा दिया गया है। प्रतिदिन कि आयुकर्म के संबंध में, परभव संबंधी आयु की उदीरणा
सैकड़ों यात्री दर्शनार्थ आने से यह क्षेत्र अत्यंत प्रसिद्ध हो नहीं होती,मात्र वर्तमान भुज्यमान आयु की उदीरणा ही संभव | गया है।
१/२०५, प्रोफेसर कॉलोनी, आगरा - २८२ ००२
जिज्ञासा : कासनगाँव क्षेत्र कहाँ है.परिचय दीजिएगा?
जैन गुरुकुल, मढ़िया जी जबलपुर ने कीर्तिमान रचा मानवीय गुण प्रेम, वात्सल्य एवं त्याग की शिक्षा से ओतप्रोत श्री वर्णी दिगंबर जैन गुरुकुल जहाँ सिर्फ धार्मिकक्षेत्र में छात्रों को भारतीय संस्कृति के प्रतिरूप नैतिक एवं संस्कारवान् शिक्षा प्रदान कर संपूर्ण जबलपुर का देश भर में सिर ऊँचा कर रहा है, वहीं आज विगत दिनों गुरुकुल में पधारे माननीय मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल जी गौर के आशीर्वाद को भी सच में बदल दिया। आज जैसे ही इंटरनेट पर गुरुकुल विद्यालय का मा.शिक्ष मण्डल भोपाल द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम देखा, तो इतिहास के नालंदा और तक्षशिला के शिक्षा केन्द्रों की याद ताजा हो गई कि वे छात्रों को नैतिक एवं संस्कारवान शिक्षा ही नहीं प्रदान करते थे, बल्कि जीवन की सच्चाइयों से भी परिचित कराकर लौकिक क्षेत्र में उन्हें मजबूत करते थे। तभी वहाँ से निकला प्रत्येक छात्र जीवन की ऊँचाइयों को अवश्य छूता था। वही इतिहास दुहराने की प्रथम सीढ़ी पर आज गुरुकुल कदम रख रहा है। विद्यालय जहाँ विगत ५ वर्षों से १०० प्रतिशत परीक्षा परिणाम दे रहा है वहीं इस वर्ष विद्यालय के छात्रों ने एक कीर्तिमान रच दिया कि हायर सेकेण्ड्री परीक्षा में विद्यालय के समस्त छात्रों ने परीक्षा को प्रथम श्रेणी में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कर गौरवपूर्ण कार्य किया है। इससे सिर्फ विद्यालय का ही नहीं बल्कि संस्कारवान् शिक्षा प्राप्त करने के सपने संजोने वाले प्रत्येक व्यक्ति का हौसला बुलंद हुआ है। विश्वास उत्पन्न हुआ है कि मात्र आधुनिकता की दौड़ में पाश्चात्य संस्कृति पर आधारित विद्यालय ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को अपने हृदय में संजोए विद्यालय भी जीवन की दौड़ में आगे निकल सकते हैं। छात्रों की इस अभूतपूर्व सफलता से समस्त गुरुकुल परिवार एवं छात्रों के परिवारजन हर्षोल्लसित हैं एवं उन्होंने छात्रों को ढेर सारी बधाइयाँ प्रेषित की हैं तथा उनके स्वर्णिम भविष्य की कामना की है। विद्यालयपरिवार ने भी उन्हें आगे शिक्षा प्राप्त करने तक अपने छात्रावास में रहने की एवं उत्कृष्ट अध्यापन व्यवस्था प्रदान करने की घोषणा की है ताकि आगे जाकर ये छात्र भारतीय प्रशासनिक सेवाओं जैसी देश की सर्वोच्च सेवाओं में आसानी से चयनित हो सकें।
राजेश कुमार जैन, श्री वर्णी दिगंबर जैन गुरुकुल, पिसनहारी मढ़िया, जबलपुर
-जुलाई 2005 जिनभाषित 25
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