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________________ तीव्र विरोध पंचव हमने 'धर्ममंगल' मासिक एवं प.पू.आ. शांतिसागरजी महाराज सत्य प्रकाशक मंच की ओर से आळते-कुंथुगिरि (जिला-कोल्हापुर, महाराष्ट्र) में दिनांक ४ से १३ फरवरी तक होने वाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के बारे में एक परचा निकाला और दिगंबर जैन समाज में केवल कोल्हापुर, सांगली एवं बेलगाँव जिले के कुछ हिस्से में पोस्ट से भेजा। "कुंथुगिरी-आळते के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के बारे में समाज को सोचना चाहिए" ऐसे शीर्षकवाले इस परचे में "यह पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करानेवाले आचार्य कुंथुसागर के संघ की एक माताजी का चरित्र VIIIN जैन परंपरा को कलंकित करने वाला है और पूज्य भगवान् की मूर्ति की प्रतिष्ठापना चारित्रभ्रष्ट संघ के हाथों न करायी जाये यह 'कुंथुगिरी-आळते के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के बारे में समाज को सोचना चाहिए।" इस प्रकार का आवाहन इस परचे के जरिए किया गया था। इससे आचार्य कुंथुसागरजी के संघ के बारे में हकीकत समाज के सामने आ गयी। 'वीर सेवादल' इस सशक्त संगठन ने इस कार्यक्रम में अपनी सेवाएँ न देने का और कार्यक्रम का बहिष्कार करने का निर्णय लिया ऐसी जानकारी हमें मिली । (हम वीर सेवादल का हार्दिक अभिनंदन करते हैं।) इससे हमारे कार्य में मजबूती आ गयी। इस बारे में आळते को समक्ष जाकर वहाँ के लोगों को यह बात समझाकर उनका हृदयपरिवर्तन कराने के हेतु श्री अभयकुमार बरगाले, (किरण गैस एजेन्सी, इचलकरंजी) के साथ हमारे कुछ कार्यकर्ता दिनांक ४.२.२००५ को सुबह आळते गये। तब आळते के कुछ लोगों ने उनके गाँव में आने का विरोध किया। कार्यकर्ताओं ने कहा, 'ठीक है, आप हमारी बात सुनिए, न सुनना हो तो हम शांति से चले जायेंगे तब वे आचार्य के पास चलो कहने लगे। हमारे कार्यकर्ता शंतिपूर्वक आचार्य जी से चर्चा करने को तैयार थे। फिर भी उन्हें उठाकर धक्कामुक्की कर गाड़ी से खींच कर पटका गया और दसरी गाडी में घसीट कर बिठाया गया। गाडी में भी मारपीट करते हुए आचार्य कुंथुसागरजी के पास पहुंचने से पहले ही आळते के प्रतिष्ठा महोत्सव के स्थान पर ले जाकर जबरदस्त मारपीट की। इससे उन कार्यकर्ताओं के आँखों, मुंह और शरीर पर बहुत मार लगी, गंभीर जख्मी हुए। श्री अभय कुमार बरगाले का मोबाइल व अन्य वस्तुएँ भी वे लोग छीनकर ले गये। यह जबरदस्ती अपहरण कर मारपीट करने का गंभीर केस बन गया है। पुलिस आयी और जख्मियों को हातकणंगले के सरकारी अस्पताल में ले गयी, इलाज कराया। बाद में श्री अभयकुमार बरगाले इचलकरंजी के प्रायवेट अस्पताल में चार/पाँच दिन एडमिट रहे और इलाज कराया। इस प्रकार से आचार्य कुंथुसागरजी के भक्त शांतिपूर्वक विषय को समझने के बजाय मारपीट कर दहशत फैला रहे हैं और दबाव उत्पन्न कर रहे हैं । इसके पीछे आचार्य कुंथुसागरजी की प्रेरणा होने की आशंका या संभावना है। यद्यपि मारपीट करने वालों पर पुलिस केस हो गया है, फिर भी मामले को दबाने के लिए महासभा के श्रेष्ठी नेता वहाँ पहुँचकर अपनी ताकत लगा रहे हैं और समाज के सामने झूठे बयान देकर समाज को गुमराह कर रहे हैं। पृ.आ. शान्ति सागरजी महाराज की निर्दोष परंपरा के माननेवाले सत्यप्रकाशक मंच के कार्यकर्ताओं ने कहीं भी आत्मसंयम नहीं छोड़ा है। परंतु निर्दोष परंपरा के रक्षण में भी वे शांतिपूर्वक कार्य करते रहेंगे, यही इससे सिद्ध होता है। दिगंबर जैन समाज का आवाहन है कि वे इस प्रकार के दहशत एवं दबावतंत्र को स्थान न देकर सत्य जानें। ___ आचार्य शांतिसागर सत्यप्रकाशक मंच व मासिक धर्ममंगल की ओर से हम श्री अभय बरगाले और उनके साथियों के साथ की गयी इस मारपीट का तीव्र विरोध करते हैं और सबको इस विषय की ओर शांतिपूर्वक विचार करने का, समाज में शांति बनाये रखने का आवाहन करते हैं। प्रा. सौ. लीलावती जैन, संपादिका धर्ममंगल १, सलीज अपार्ट., ५९ सानेवाडी, औंध-पुणे ४११००७ फोन : ०२०-२५८८७७९३ संपादकीय टिप्पणी आतंकवाद का सहारा लेकर उच्छृखल आचार को जिनशासन में प्रतिस्थापित करने की असभ्य, अधार्मिक, दानवी प्रवृतियाँ दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। जिनशासनभक्त मूकदर्शक बनकर अपनी आँखों से जिनशासन की अन्त्येष्टि के लिए की जाने वाली आसुरीलीला कब तक देखते रहेंगे? सम्पादक 28 अप्रैल 2005 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524295
Book TitleJinabhashita 2005 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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