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कि, विक्रमादित्य यह काल्पनिक पुरुष ना होकर, | जोड़ा, ये प्रश्न विचारणीय हैं। ऐतिहासिक था और उसका काल ईसवी सन पूर्व पहिला
(मराठी विश्वकोश भाग 3, पेज 789) शतक था। उसकी राजधानी उज्जयिनी थी, और वह
काफी विद्वानों के मतानुसार इसका संस्थापक मालवगण प्रमुख था। उसी ने शक राजा का पराभव कर
कुशाणवंशी कनिष्क होना चाहिए। कुशाणवंशीय राजाओं उन्हें भगाया था, और उस विजय के प्रति ईसवी सन पूर्व
में कनिष्क, हुविएक और वासुदेव ये ही महापराक्रमी तथा 57 साल में अपने नाम से विक्रम संवत्' यह कालगणना सार्वभौम राजा थे। उन्हीं के लेखों में कनिष्क का प्राचीनतम चालू की। शक राजाओं का पराभव करने वाला, इसलिए लेख है, इसलिए उसी ने यह शक काल स्थापित किया लोग इसे 'शकार विक्रमादित्य' नाम से पहचानने लगे।
होना चाहिए। शक ये कुशाण राजाओं के क्षत्रप या प्रांताधपती आदर्श राजा के सभी गुण उसमें मौजूद थे।
थे। उन्हीं ने दीर्घकाल इस संवत् का उपयोग किया था। (भारतीय संस्कृति कोश, खंड 8, पन्ना नं. 652) इसलिए कालौध में उसी को शक काल या शक नृपति अनेक जैन ग्रंथों में उसके राज्य शासन का गौरव काल आदि नाम मिले। पाया जाता है। दिगंबर तथा श्वेताम्बर दोनों आम्नायों में
(मराठी विश्वकोश खंड 3 रा, पेज 789) विक्रम संवत् का प्रचार वीर निर्वाण के 470 वर्ष पश्चात
दिगम्बर तथा श्वेताम्बर आम्नाय में वीर निर्वाण के माना गया है।
605 वर्ष 6 मास पश्चात शक राजाकी उत्पत्ति मानी गई (तिलोयपण्णत्ति 4/1505-06)
है। (तिलोयपण्णत्ति 4/1496, 1499, धवला 9/14,1,44 राजा विक्रमादित्य का, जन्म के पश्चात 18 वर्ष से
त्रिलोक सार 40, हरिवंशपुराण 60/559, तित्थोगाली पयन्ना राज्याभिषेक तथा 60 वर्ष तक उसका राज्य रहना लोक
623, मेरूतुंगकृत 'विचारन्प्रेणी') प्रसिद्ध है। विक्रम संवत् के बारे में अलग-अलग मान्यताएँ,
___सभी शास्त्रों का आधार देखते हुए, वीर निर्वाण संवत् उसकी शुरूआत कहाँ से हुई, इस बारे में हैं।
और शक संवत् में 605 वर्ष का अंतर, विक्रम और शक विक्रम संवत् का वीर निर्वाण से 470 वर्ष अंतर,
संवत् में 135 वर्ष का तथा ईसवी और शक संवत् में 78 शक संवत् के मध्य से 135 वर्ष का अंतर तथा ईसवी सन् |
वर्ष का अंतर माना जाता है। शालिवाहन शक का प्रचार के पूर्व 57 वर्ष का अंतर है, यह सनिश्चित किया गया है।
वीर निर्वाण पश्चात् 741 वर्ष बाद माना जाता है। इसलिए 3.शक संवत् : यद्यपि शक शब्द का प्रयोग"संवत्"
शालिवाहन और शक संवत् में 136 वर्ष का अंतर आ सामान्य के अर्थ में भी किया जाता है, जैसे विक्रम शक,
जाता है। शालिवाहन शक इत्यादि, और कहीं कहीं विक्रम संवत्
____ 4. ईसवी सन् : यह संवत् ईसा मसीह के स्वर्गवास को भी शक संवत् मान लिया जाता है, परंतु जिस "शक"
के पश्चात् यूरोप में प्रचलित हुआ और अंग्रेजी साम्राज्य की चर्चा यहाँ हम कर रहे हैं यह एक स्वतंत्र संवत् है।
के साथ-साथ सारी दुनिया में फैल गया। यह आज विश्व (जैन साहित्य इतिहास 297)
का सर्वमान्य संवत् है। क्रिस्ती कालगणना की शुरूआत आज इसका प्रयोग प्राय: लुप्त हो चुका है फिर भी
निश्चितत: कब हुई, इसके बारे में इतिहासकारों में एक मत दक्षिण प्रदेशों में तथा अंशत: उत्तर में इसका प्रचार देखने
नहीं है। फिर भी क्रिस्ती काल का शोध इटाली के में आता है। दक्षिण में इसके महीने अमान्त हैं, तो उत्तर में
'डायोनिसिअस एक्झीगस' इस धर्मगुरु ने साधारणत: छठी पूर्णिमान्त हैं। इसका आरंभ सामान्यतः चैत्र शुद्ध प्रतिपदा
शताब्दी में लगाया। कुछ लोग रोम शहर के जन्म से याने को मानते हैं। दक्षिण में शिलालेख, ताम्रपट, पुराण ग्रंथ,
1 जानेवारी 754 ए.यु.सी. (Ano urbis conditae) से पोथीपुस्तक तथा कई ऐतिहासिक दस्तावेजों में इसका
करते हैं तो कुछ लोग येशु क्रिस्त के जन्म से, याने ईसवी निर्देश आता है। पंचांग तैयार करने हेतु ज्योतिष शास्त्र
सन पूर्व 25 दिसंबर से गृहीत समझकर ! विषयक अभ्यासू मुख्यतः इसी के आधार से पंचांग बनाते
इस कालगणना में शून्य ईसवी वर्ष ना समझकर ईसवी
सन पूर्व। या ईसवी सन् 1, जानेवारी 1 यह तारीख शुरू में यह काल किसने, कब, कैसे, शुरू किया तथा उसका
लेकर वहाँ से आगे क्रिश्चन वर्ष गिनते हैं। अर्थात् येशु
क्रिस्त के जन्म की तारीख निश्चित ना होने से ये सभी शक या शालिवाहन से संबंध कब, किसने और कैसे
- जनवरी 2005 जिनभाषित 23
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