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इन कालगणनाओं में प्रमुख भारतीय कालगणना इस 2. राजा विक्रमादित्य के कारण शुरू हुये विक्रम प्रकार हैं- अमली (कटकी, बंगाली, विलायती), इलाही, संवत् के संदर्भ में भी दो दृष्टियाँ प्राप्त होती हैं। एक के कलियुग, कोल्लम्, गांगेय, गुप्त, चालुक्य विक्रम, जव्हार, अनुसार भगवान का निर्वाण विक्रम संवत पर्व 470 वर्ष जुलुस, नेवार (नेपाड), पर्गनानी, पुदुवैणु, बहिस्पत्य, बुद्ध | जो सर्वाधिक मान्य है, और दूसरी के अनुसार निर्वाण निर्वाण, वीर निर्वाण, शक, विक्रम, मौर्य, सप्तर्षी, सिंह, | विक्रम संवत् पूर्व 488 वर्ष हुआ। यह भेद राजा विक्रमादित्य हर्ष, सिल्युसिडी, हिजरी, भाटिक, मगी, मल्लूदी, फसली के राज्याभिषेक से या मृत्यु से विक्रम संवत् शुरू होना इ.इ. (मराठी विश्वकोश, खंड 3, पान नं. 782-83) मानने के कारण है। निश्चित रूप से निर्वाण विक्रम संवत्
जैनागम का अभ्यास करते समय मख्यतःचार संवत्सरों से 470 वर्ष पूर्व ही माना गया है। का प्रयोग पाया जाता है। 1. वीर निर्वाण 2. विक्रम 3. इस प्रकार दो दृष्टियाँ संक्षेप में कहें तोईसवी, 4. शक। इसके अलावा अन्य भी कुछ संवतों का
नाम
| जन्म | आयु | वैराग्य |
बोधि
निर्वाण | ई.पू. वर्ष | ई.पू. | विक्रम संवत् पूर्व ईसवी पूर्व | विक्रम संवत् पूर्व ईसवी पूर्व
518
575
488
545
| महावीर दृष्टि नं. 1/617 |72 | 587 | दृष्टि नं. 2 499 |72 | 569 बुद्ध प्रसिद्धि |614
595
500
557
470
527
80
588
544
व्यवहार होता है जैसे गुप्त संवत्, हिजरी संवत्, मघा संवत् । (जैन साहित्य इतिहास । पूर्वपीठिका। पृष्ठ संख्या 303) आदि।
यहाँ दृष्टि नं. 2 ही सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त है। 1. वीर निर्वाण संवत् : इस संवत् का प्रारंभ भगवान
अर्थात भ. महावीर निर्वाण विक्रम संवत् से पूर्व 470 वर्ष महावीर के निर्वाण समय से माना गया है। भगवान का निर्वाण विक्रम संवत् से 470 वर्ष पूर्व माना गया है।
तथा ईसवी से 527 वर्ष पूर्व हुआ, यही सर्वमान्य है। (श्रुतावतार-आ.इंद्रनंदी, तिलोयपण्णत्ति, त्रिलोकसार,
विक्रम संवत् : भारत का यह सर्वप्रधान संवत् है।
कहीं कहीं विक्रम, शक तथा शालिवाहन इन तीनों संवतों हरिवंशपुराण, धवला 1/प्र.32 H.L. Jain)
को एक माना जाता है, लेकिन यह ठीक नहीं है। ये तीनों भगवान के निर्वाण संबंधी दो दृष्टियाँ मिलती हैं। ये
संवत् अलग-अलग हैं, स्वतंत्र हैं। दोनों दृष्टियाँ भगवान महावीर के समकालीन गौतम बुद्ध के देहत्याग, विक्रम संवत् का काल, तथा ईसवी सन से
विक्रम संवत् कहाँ से शुरू हुआ, इसके बारे में पूर्व के काल संबंध में हैं। जैसे
इतिहासकारों की अलग-अलग मान्यताएँ हैं। कोई उसके 1. बुद्ध के देहत्याग काल संबंधी काफी मताभिन्नता
राज्याभिषेक से तो कोई उसकी मृत्यु से, संवत् प्रारंभ हुआ
ऐसा मानते हैं। है, यद्यपि आसाम के राजगुरु के, जैन शास्त्रों के तथा
विक्रमादित्य यह उज्जयिनी का राजा। इसकी श्रीलंका के मतानुसार बौद्ध देहत्याग काल इसवी सन पूर्व 544 माना जाता है। इस मतानुसार गौतमबुद्ध का बोधिलाभ
कालगणना, चारित्र्य, यहाँ तक कि अस्तित्त्व के बारे में भी से देहत्याग तक का काल ई.स. 488 से 544 माना
कई इतिहासकार शंका करते हैं। लेकिन डॉ. राजवली गया है तथा भगवान वीर का काल इसवी सन् पूर्व 557 से
पांडे जैसे इतिहास संशोधकों ने अनेक ग्रंथ 527 माना गया है। और यह उचित भी लगता है तथा सभी
(कथासरित्सागर, बृहत्कथा, सिंहासनबत्तीसी, वेताल प्राचीन शास्त्रों में ऐसा ही उल्लेख पाया जाता है। (जैन
पंचविशी, शुकसप्तति, जैन पट्टावली, जैन हरिवंशपुराण, साहित्य इतिहास, गणेशप्रसाद वर्णीजी ग्रंथमाला, पृष्ठ
प्रभावक चरित्र, प्रबंधचिंतामणी विक्रमचरित इ.इ), मंदसौर नं.303)
का अभिलेख, छोटी-छोटी मुद्रायें, ग्रीक इतिहासकारों का वर्णन ऐसी बहुत सी सामग्री का अध्ययन कर किया है
22 जनवरी 2005 जिनभाषित
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