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दिगम्बर जैनों की प्रतिनिधि संस्था ने भट्टारक संस्था का विरोध । कीजिए। पूर्व में तेरह पंथ और बीस पंथ में सामान्यतः पूजा पद्धति किया है। फिर भी श्रावकों में स्वाध्याय के अभाव के कारण दि. | मात्र का अंतर था। किंतु आज तो हम लोगों ने बीस पंथ को जैन साधु के समीचीन स्वरूप की जानकारी नहीं होने से भट्टारकों | दिगम्बर जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की उपेक्षा करते हुए इसे की मान्यता पाई जाती है। उन अवशिष्ट भट्टारकों के आगमानुसार ब्राह्मण पंथ बना दिया है। मध्यकाल में कतिपय जैन अथवा स्वरूप निर्धारण की आज महती आवश्यकता है।
ब्राह्मण भट्टारकों ने जैन धर्म में जिस विशेष विकृति का प्रवेश भट्टारक संस्था के बारे में प.पू. आचार्य वर्द्धमान सागर | करा दिया था, आज उसके समर्थन में और उसके प्रचार में पूरी जी से मेरी अनेक बार चर्चा हुई है। उनका यह कहना है कि | शक्ति लगाई जा रही है। वर्तमान भट्टारकों से मिलकर उनके चरणानुयोग आगम के अनुकूल | भट्टारक बने रहें परंतु वस्त्रधारण करते हुए व्रती श्रावक स्वरूप निर्धारण का प्रयास करना चाहिए। वस्त्रादि परिग्रह सहित | के रूप में अपना आगम के अनुसार पद निर्धारित करने, धर्म रहने पर उनको पीछी नहीं रखने के लिए कहा जाना चाहिए। | साधना करते हुए जैन धर्म की प्रभावना करें। ऐसा करके हम उन्हीं के निर्देशन पर मैं भट्टारक चारूकीर्तिजी से चर्चा करने | दिगम्बर जैन धर्म की मुनि और श्रावक की आचरण संस्कृति की श्रवणबेलगोल गया था। मैंने पाया कि वे आगमभीरू हैं और सुरक्षा करते हुए सामाजिक एकता भी स्थापित कर पायेंगे। सद्भावना पूर्वक स्वरूप निर्धारण के सम्बन्ध में आयोजित चर्चा में मुझे विश्वास है कि हमारे आराध्य देव-शास्त्र-गुरु का भाग लेने से परहेज नहीं करेंगे।
अवमूल्यन दिगम्बर जैन समाज में हुआ जा रहा है। उसको आप आपने प.पू. आचार्य शांतिसागर जी और आचार्य विद्यासागर | भी अवश्य दिगम्बर जैन धर्म के लिए एक संकट का चिन्ह मान जी की बात तो नहीं मानी। क्या आप आचार्य वर्द्धमान सागर जी रहे हैं। अब वीतराग देव की आराधना के स्थान पर सरागी देवी की बात मानने के लिए तैयार हैं ? यदि हाँ तो एक बार आचार्य श्री | देवता हमारी पूजा आराधना के केन्द्र बनते जा रहे हैं। अपनी के सान्निध्य में खुली चर्चा आयोजित कर इस विवाद का सकारात्मक | लौकिक ऐषणाओं की पूर्ति का आश्वासन देने वाले मंत्र-तंत्र वादी एवं सर्वमान्य हल प्राप्त करने में पहल कीजिए।
एवं शिथिलाचारी साधुओं की ओर हम अधिक आकृष्ट होते जा दिगम्बर जैन धर्म के संरक्षण का पवित्र उत्तरदायित्व आपके | रहे हैं। इसी प्रकार वैराग्य पोषक आध्यात्मिक ग्रंथों के स्वाध्याय कंधों पर है। दिगम्बर जैन धर्म का अस्तित्त्व सच्चे देव-शास्त्र-गुरु | के स्थान पर सरागी देवी देवताओं की पूजा, गुणगान तथा मंत्र-तंत्र के अस्तित्त्व पर आधारित है। आपसे पुन:पुनः निवेदन है कि आप | की पुस्तकें हमें रुचिकर लगने लगी हैं। दि. जैन धर्म पर कृपा कीजिए और इसके संरक्षण के लिए जिनवाणी वीतराग जैन धर्म के लोक कल्याणकारी आध्यात्मिक रुप की एवं प.पू. आचार्यों की बात मानिए, मनमानी मत करिए। को संरक्षित और जीवित रखने के लिए हमें इन आत्मघाती प्रवृतियों
दूसरी बात आपने पत्र में लिखी है कि हम तेरहपंथ के | को अनुत्साहित करना होगा। समर्थक हैं और हमको बीस पंथ वालों का दिल ज्यादा नहीं आशा है आप इस महान उद्देश्य वाली महान संस्था महा दुखाना चाहिए। मुझे अत्यधिक आश्चर्य मिश्रित दुख है कि आपके | सभा के द्वारा इस अनेकांतात्मक युक्तियुक्त जैन धर्म और उसके स्वयं के द्वारा किए जा रहे इस पंथ भेद के विषैले प्रचार का दोष | वैज्ञानिक प्रायोगिक पक्ष के संरक्षण हेतु समाज में एकता एवं आप हमारे ऊपर डालना चाह रहे हैं। हमने कहीं कभी तेरह पंथ, | विचार साम्य का वातावरण निर्माण करने का प्रभावकारी प्रयास बीस पंथ और उसके पक्ष-विपक्ष की चर्चा नहीं की।
कर महासभा के धर्म संरक्षणी नाम को सार्थक सिद्ध करेंगे। कृपा करके पंथ भेद के आधार पर समाज में विघटन की
मदनगंज, किशनगढ़ खाई को और चौड़ा करने के बजाय उसको पाटने का सद्प्रयास |
भजन
बाजे कुण्डलपुरमें बधाई किनगरी में वीरजनमे महावीरजी जागे भाग्य हैं, त्रिशला माँ के कित्रिभुवन के नाथ जन्मे महावीरजी शुभ घड़ी जनम की आयी, कि स्वर्ग से देव आये महावीरजी...... बाजे कुण्डलपुरमें तेरा न्हवन करेंमेरुपर, कि इन्द्र जलभर लाये महावीरजी... बाजे कुण्डलपुरमें तेरेपालने में हीरेमोती, किडोरीयोमें लाललटके
महावीरजी....बाजे कुण्डलपुरमें तुम्हें देवीयाँ झुलावें झूला, किमन में मगन होके महावीरजी ..... बाजे कुण्डलपुरमें अब ज्योति है तेरी जागी, कि सूरज चाँद छिप जायेंगे महावीर जी ..... बाजे कुण्डलपुरमें तेरेपिता लुटायें मोहरे, कि खजाने सारेखुल जायेंगे महावीरजी..... बाजे कण्डलपरमें हम दरश को तेरे आये, कि पाप सारेधूल जायेंगे महावीरजी..... बाजे कुण्डलपुरमें .
- मार्च 2004 जिनभाषित 23
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