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________________ ऑफ द इयर १९९७-९८ (इंगलेण्ड), मेन ऑफ द इयर १९९९ | बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। सभी (अमेरिका) आदि। प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन को अभी २००२ में | कार्यक्रम दमोह से पधारे प्रतिष्ठाचार्य पंडित सुरेशचंद जी के सेवामुक्त होने के बाद यू.जी.सी. नई दिल्ली द्वारा एमेरिटस प्रोफेसर | निर्देशन में संपन्न हुए। फेलोशिप देकर सम्मानित किया गया है। जितेन्द्र कुमार जैन देश के प्रतिनिधि मनीषीयों और नगर के गणमान्य नागरिकों | ग्वालियर में प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ की सन्निधि में उदयपुर की समाज और देश की विभिन्न संस्थानों परम पूज्य उपा. श्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज के परम की ओर से श्रीमान प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन को सम्मानित कर उनके सान्निध्य और श्री दि. जैन समिति सूर्यनगर गाजियाबाद के निदेशन सम्मान में प्रकाशित गौरव ग्रन्थ पाहुड भी उन्हें ३१ जनवरी, | एवं ग्वालियर दि. जैन समाज के तत्त्वावधान में अ.भा. प्रतिभा २००४ को उदयपुर के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर नन्द चतुर्वेदी, | सम्मान समारोह २८ दिसम्बर २००३ को ग्वालियर में संपन्न कार लेटन विश्वविद्यालय, ओटावा, कनाडा के प्रोफेसर जगमोहन हुआ। इस समारोह में भारत के ३३ मा. शिक्षा मण्डल में मैरिट हंमड़ एवं गुजरात संकृत अकादमी, अहमदाबाद के प्रोफेसर गौतम | स्थान प्राप्त करने वाले दिगम्बर एवं श्वेताम्बर जैन छात्रों को भाई पटैल द्वारा समर्पित किया गया है। सम्मानित किया गया। इसमें करीब १५० छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे। भगवान् महावीर फाउन्डेशन, चेन्नई के पुरस्कार-संयोजक कार्यक्रम के अन्त में उपा. श्री ने कहा ऐसे कार्यक्रम श्री दुलीचंद जैन की पुरस्कार-विज्ञप्ति से ज्ञात हुआ कि अंग्रेजी समस्त जैन समाज को एकत्रित करती है। बुद्धिमान छात्रों की की पुस्तक 'जैनिज्म', ए वे टू पीस एण्ड हेपीनेस के लेखक डॉ. समस्यायें हैं उनको सारे समाज के समक्ष निवारणार्थ रखा जाता जगदीश प्रसाद जैन, दिल्ली को भी इक्यावन हजार (५१०००/)| है। और जैन छात्र भी अपने धर्म के प्रति समर्पित रहते हैं। रुपये का विशिष्ट पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है। आशीष जैन डॉ. उदयचंद जैन कटारे मोहल्ला, शाहगढ़, सागर (म.प्र.) समन्वयक राजेश 'रागी' सिद्धक्षेत्र रेशंदीगिरि ट्रस्ट के बौद्ध अध्ययन एवं अहिंसा केन्द्र सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर उपमंत्री बने पार्श्वनाथ जिनालय में वेदी प्रतिष्ठा एवं देश के सुविख्यात श्री दि. जैन सिद्धक्षेत्र रेशंदीगिरी की कलशारोहण संपन्न ट्रस्ट कमेटी के रिक्त पद उपमंत्री पद पर श्री राजेश 'रागी' (पत्रकार) बकस्वाहा (छतरपुर) का सर्व सम्मति से मनोनयन नरसिंहगढ़ (दमोह)- नवनिर्मित श्री १००८ पार्श्वनाथ जिनालय में त्रिदिवसीय वेदी प्रतिष्ठा एवं कलशारोहण महोत्सव किया गया। सुनील जैन 'संचय' शास्त्री निर्भयता संस्मरण मुनि श्री क्षमासागर जी बुन्देलखण्ड में आचार्य महाराज का यह पहला चातुर्मास था। एक दिन रात्रि के अंधेरे में कहीं से बिच्छू आ गया और उसने एक बहिन को काट लिया। पंडित जगन्मोहनलाल जी वहीं थे। उन्होंने उस बहिन की पीडा देखकर सोचा कि बिस्तर बिछाकर लिटा दूं, सो जैसे ही बिस्तर खोला उसमें से सर्प निकल आया। उसे जैसे-तैसे भगाया गया। दसरे दिन पंडित जी ने आचार्य महाराज को सारी घटना सुनाई और कहा कि महाराज ! यहाँ तो चातुर्मास में आपको बड़ी बाधा आएगी। पंडित जी की बात सुनकर आचार्य महाराज हँसने लगे। बड़ी उन्मुक्त हँसी होती है महाराज की। हँसकर बोले कि 'पंडित जी, यहाँ भी कल दो-तीन सर्प खेल रहे थे। यह तो जंगल है। जीव-जन्तु तो जंगल में ही रहते हैं। इससे चातुर्मास में क्या बाधा? वास्तव में, हमें तो जंगल में ही रहना चाहिए। कर्म-निर्जरा परीषह-जय से ही होगी।' उपसर्ग और परिषह-जय के लिए अपनी निर्भयता व तत्परता ही साधुता की सच्ची निशानी है। कुण्डलपुर (१९७६) 'आत्मान्वेषी' से साभार 32 फरवरी 2004 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524282
Book TitleJinabhashita 2004 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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