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________________ वर्ष तक कुशल सम्पादन किया है, जो अस्वस्थता के कारण अब । वर्ष २००४ में भारत में गौमांस का उत्पादन २०७० हजार टन होने अप्रकाशित है। | का अनुमानित लक्ष्य है। इसमें से ५२० हजार टन निर्यात किया आप केन्द्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से | जाएगा तथा १५५० हजार टन घरेलू खपत के रूप में उपयोग 'परामर्शक' के वरिष्ठ पद से १९८७ में ३० वर्ष के सेवाकाल के | किया जायेगा। एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया की इसी समाचार उपरांत सेवा-निवृत्त हुए हैं। बुलेटिन में बताया गया है कि हलाल किए गए मांस के निर्यात में महावीर प्रसाद जैन, सचिव | गौमांस के निर्यात में वर्ष १९९९-२००२ की अवधि में लगभग महाकवि अर्हदास पर पीएच.डी उपाधि दो गुना वृद्धि हुई है। गौमांस, ताजा और शीतलीकृत जमा हुआ खतौली - तेरहवीं-चौदहवीं शती के जैन महाकवि | तथा उत्पादों के रूप में निर्यात किया जाता है। भारत में हलाल अर्हदास पर चौ. च.सि.वि.वि., मेरठ (उ.प्र.) ने पीएच.डी. | गौमांस के खरीदारों में मलेशिया, फिलीपींस, संयुक्त अरब अमीरात, उपाधि प्रदान की है। श्री कुन्दकुन्द जैन (पी.जी.) कॉलेज खतौली | मिस्र जार्डन, अंगोला और ओमान मुख्य देश हैं। गौमांस और (उ.प्र.) के संस्कृत विभागाध्यक्ष तथा जैन दर्शन के सप्रसिद्ध | अन्य पशु उत्पाद निर्यात से १५.३ बिलियन रुपये की आय भारत विद्वान डॉ. कपर चंद जैन के निर्देशन में डॉ. श्रीमती मकेश गौतम | को होती है। इस आय में ९० प्रतिशत योगदान केवल गौमांस ने 'महाकवि अर्हददास की कृतियों का समीक्षात्मक अध्ययन' | निर्यात से होने वाली आय है। निर्यात ही नहीं देश के भीतर भी शोध प्रबन्ध लिखा है। महाकवि ने भगवान ऋषभदेव के जीवन | गौमांस की खपत में १९९९ से २००३ तक वृद्धि हुई है। १९९९ चरित पर 'पुरुदेव चम्पू' काव्य लिखा है। इसी प्रकार मुनिसुव्रतनाथ में १४३८ हजार टन की खपत थी, सन् २००४ में इस खपत में के चरित्र पर 'मुनिसुव्रत महाकाव्य' तथा एक अन्य काव्य 'भव्य | १५५० हजार टन की वृद्धि का अनुमान है। भारत के निर्यात जन कण्ठाभरण लिखा है। शोध प्रबन्ध के परीक्षकों ने प्रबंध की | व्यापार में एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक ने मांस निर्यात विशेषकर गौमांस भरि-भूरि प्रशंसा की है और इसे शीघ्र प्रकाशित करने की सलाह | निर्यात की अच्छी संभावना का अनुमान भी लगाया है। दी है। गुरुकुल कांगडी वि.वि. हरिद्वार के प्रति कुलपति जी ने नव भारत इन्दौर पृ. ६ बुध. २८ जनवरी २००४ ६/५४, फिरोजगाँधी प्रेस कॉम्पलेक्स, अर्हद्दास के गद्य को बाणभट्ट के समकक्ष बताया। श्रीमती इन्दौर। सम्पादक डॉ. अशोक कुमार मुकेश गौतम जी.आई. सी. में प्राध्यापिका हैं। इससे पूर्व भी डॉ. प्रेषक-निर्मल कुमार पाटोदी कपूर चंद जैन के निर्देशन में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के | प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन को जैन धर्म-दर्शन राष्ट्रीय गुरु आचार्य ज्ञानसागर जी द्वारा रचित 'जयोदय महाकाव्य में पुरस्कार अलंकार विधान' पर श्रीमती विमलेश तंवर पीएच.डी. की उपाधि सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के जैनविद्या एवं प्राकृत प्राप्त कर चुकी हैं। ___डॉ. ( श्रीमती) ज्योति जैन, खतौली (उ.प्र.) विभाग के प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष तथा अधिष्ठता-कला महाविद्यालय की नवीनतम हिन्दी कृति 'जैन धर्म की सांस्कृतिक ग्रीष्मावकाश में ४० स्थानों पर शिविरों का आयोजन विरासत' पर भगवान् महावीर फाउन्डेशन, चेन्नई द्वारा जैन धर्मबुंदेलखण्ड, वघेलखण्ड एवं छत्तीसगढ़ के ४० स्थानों पर थाना पर | दर्शन राष्ट्रीय पुरस्कार २००३ घोषित किया गया है। इस पुस्तक में परम पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा एवं श्रुत मनीषी लेखक द्वारा जैन धर्म, दर्शन, साहित्य समाज, जीवन शैली संवर्द्धन संस्थान मेरठ और संस्कृति संरक्षण संस्थान दिल्ली के एवं कला का प्रामाणिक विवेचन आधुनिक युग के सन्दर्भ में संयक्त तत्त्वावधान में आयोजित होंगे। बुंदेलखण्ड के स्थानों का | सबोध शैली में किया है। इस विशिष्ट पुरस्कार के अन्तर्गत प्रोफेसर निरीक्षण किया जा चुका है एवं वघेलखण्ड एवं छत्तीसगढ़ में | जैन को इक्यावन हजार (५१०००/-) रुपये की राशि के साथ निरीक्षणार्थ समिति बन चुकी है एवं शीघ्र ही समिति पहुँचेगी। प्रशस्तिपत्र एवं स्मृतिचिन्ह आदि फाउन्डेशन द्वारा चेन्नई में आयोजित यदि समाज के सज्जन पुरुष अपने ग्राम में शिविर लगाना चाहते हैं एक भव्य समारोह में प्रदान किये जायेंगे। इस पुस्तक का प्रकाशन तो २० फरवरी तक निम्न पते पर संपर्क करें भी फाउन्डेशन के सहयोग से शीघ्र किया जावेगा। आशीष जैन शास्त्री मनीषी प्रोफेसर (डॉ.) प्रेम सुमन जैन, को इनके द्वारा जैन कटारे मोहल्ला, शाहगढ़, सागर (म.प्र.) धर्म, दर्शन, साहित्य, संस्कृति और शोध के क्षेत्र में किये गये गौ मांस का निर्यात विशेष अनुसंधान एवं उल्लेखनीय सेवा हेतु कई पुरस्कारों से भारत सरकार से मान्यता प्राप्त एक उपक्रम है- एक्सपोर्ट सम्मानित किया जा चुका है। जैसे- 'प्राकृत ज्ञानभारती अवार्ड इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया। इसकी आंतरिक समाचार बुलेटिन के | ९३ बेंगलोर' 'चम्पालाल सांड साहित्य पुरस्कार बीकानेर' एवं जनवरी २००४ के अंक में बाकायदा यह जानकारी दी गई है कि | 'आचार्यश्री हस्ती स्मृति सम्मान १९९७ जयपुर' इन्टरनेशनल मेन -फरवरी 2004 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524282
Book TitleJinabhashita 2004 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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