________________
प्राचार्य निहालचंद जैन एवं पं. सनत कुमार ।
जैन मंत्री श्रुत संवर्धन, संस्थान, प्रथम तल २४७, दिल्ली रोड, मेरठ
२५० ००२ से प्राप्त है। इसका मूल्य मात्र २५ रु. है। पुस्तक में _ विनोद कुमार पुरस्कृत
अनेक चित्र हैं, मुद्रण भी आकर्षक है। कोलकाता- श्री दि. जैन मंदिर में आयोजित एक विशिष्ट
ब्र. जयनिशान्त जैन, टीकमगढ़ समारोह में सुप्रसिद्ध लेखक सम्पादक प्राचार्य निहालचन्द्र जैन
| प्रसिद्ध समाजसेवी, लेखक, पत्रकार श्री सतीश कुमारजैन बीना को 'श्री कल्याणमल पाटनी' स्मृति पुरस्कार एवं देश के ख्यातिलब्ध प्रतिष्ठाचार्य, लेखक पं. सनतकुमार विनोदकुमार रजवांस,
'मैन आफदी ईयर २००३' के लिए नामित सागर को 'श्री अमरचन्द्र पहाड़िया' स्मृति पुरस्कार से सम्मानित
देश एवं विदेशों के जैन समाज में विश्व जैन सम्मेलनों किया गया। यह पुरस्कार अ.भा.दि. जैन शास्त्री परिषद के माध्यम एवं जैन संस्कृति, शाकाहार, पशुरक्षा पर राष्ट्रीय स्तर के भारत में से दिये जाते हैं। समारोह का संचालन शास्त्री परिषद के महामंत्री
अनेक सम्मेलनों के आयोजन के लिए सुपरिचित लेखक, पत्रकार डॉ. जयकुमार जैन द्वारा किया गया।
श्री सतीश कुमार जैन एम.ए. एल.एल.बी. नई दिल्ली संस्थापक
महासचिव अहिंसा इण्टरनेशनल तथा 'वर्ल्ड जैन कांग्रेस' को
डॉ. ज्योति जैन, खतौली | अमेरिका की अमेरिकन बायोग्राफिकल इन्सटीट्यूट ने अपनी 'भारत संविधान विषयक जैन अवधारणायें' प्रतिष्ठात्मक उपाधि 'मैन आफ दी ईयर २००३' के लिए नामित
किया है। यह उपाधि विश्व भर में उन व्यक्तियों को पहचान कर पुस्तक का लोकार्पण- सम्पन्न
जिनका कृतित्व, उपलब्धियाँ एवं विशिष्ट लक्ष्य प्राप्ति के लिए २६ जनवरी १९५० को भारत का संविधान लागू हुआ, | प्रतिबद्धता उत्कष्ट समझे जाते हैं को सम्मानार्थ दी जाती है। जैन संविधान सभा ने लगभग ३ वर्ष (२ वर्ष, ११ महीने, १७ दिन) |
संस्कृति साहित्य, शाकाहार एवं पशुरक्षा के प्रचार-प्रसार, विश्व में इसका निर्माण किया था। संविधान सभा के कुल ११ सत्र व जैन सम्मेलनों के आयोजन, अमेरिका एवं कनाडा की जैन संस्थाओं १६५ बैठकें हुई। संविधान निर्मातृ सभा में श्री रतन लाल मालवीय, | के महासंघ 'जैना' के अधिवेशनों में विशेष अतिथि के रूप में श्री अजित प्रसाद जैन, श्री कुसुमकान्त जैन,श्री बलवन्त सिंह
पत्र-वाचन तथा भ्रमण के लिए आपने सात बार विदेश यात्रा की मेहता, श्री भवानी अर्जुन खीमसी ये ५ सदस्य जैन थे। संविधान | है। जिनमें अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, की उद्देशिका में भारत को पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
| स्विटजरलैंड, बेल्जियम, हालैंड, हांगकांग, थाईलैंड कहा गया है। अनुच्छेद १५ धर्म मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म
(बैंगकाक)सिंगापुर सम्मिलित है। आप जैन हैप्पी स्कूल तथा नई स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है वहीं अनुच्छेद | दिल्ली की अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रह चके हैं। २५ हमें धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। अनुच्छेद
आपकी हिन्दी कृति 'गोम्मटेश्वर बाहुबली एवं ५१क में भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्यों में स्पष्ट कहा गया है
श्रवणवेलगोल इतिहास के परिप्रेक्ष्य में विशेष चर्चित है। सम्प्रति कि प्रत्येक नागरिक प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखे। संविधान में
आपने एक वृहदाकार सचित्र पुस्तक 'जैनिस्म, इट्स लिटरेचर, पशु संरक्षण की भी बात कही गई है। इसी प्रकार राष्ट्रगान के
आर्ट एण्ड आटैक्चर एण्ड दी जैन्स इन ग्लोबल पर्सपैक्टिव' द्वितीय स्टेन्जा में जैन शब्द आया है। (प्रथम स्टेन्जा ही राष्ट्रगान | का लेखन पूर्ण किया है। आपके हिन्दी एवं अंग्रेजी में जैन के रूप में स्वीकृत है।)
संस्कृति पुरातत्व, वन्यजीवन, वानिकी, विदेश एवं देश पर्यटन, उक्त सभी तथ्यों को एक पुस्तक 'भारत संविधान विषयक
शाकाहार, आर्थिक विषयों पर लिखित लगभग २५० सन्दर्भ लेख जैन अवधारणायें' के माध्यम से सर्वजन सुलभ बनाया है खतौली
देश की सुप्रसिद्ध साहित्यक पत्रिकाओं धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, के डॉ. कपूर चंद जैन ने। कोलकाता में उनकी उक्त पुस्तक का
कादम्बनी, सरिता, मुक्ता, दैनिक समाचार पत्रों, देश एवं विदेश लोकार्पण प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश जैन एवं पं. नीरज जैन, सतना ने | की स्मारिकाओं में प्रकाशित हो चके हैं। आप कशल छायाकार संयक्त रूप से किया। श्री नीरज जी ने लेखक का परिचय दिया | हैं। जैन हिन्द मंदिरों आदि के बहत फोटो आपने लिए हैं।
और कहा कि इस वर्ष डॉ. जैन की तीन पुस्तकें प्रकाश में आईं हैं। | लगभग सम्पर्ण भारत में कई बार भ्रमण किया है। 'स्वतंत्रता संग्राम में जैन' तो अद्भुत कृति है, जिसने जैनों के
___आपने जैन साहित्य, पत्रकारिता, शाकाहार एवं पशुरक्षा के गौरव को बढ़ाया है। इसी विशाल पुस्तक का सर्वत्र स्वागत हुआ | सम्वर्धन के लिए १२ वर्ष पूर्व से लगभग एक लाख रुपयों के है। इस अवसर पर डॉ. कपूरचंद जैन और डॉ. ज्योति जैन | वार्षिक परस्कारों का गठन किया है। (दम्पति)का सम्मान किया गया।
स्तरीय त्रैमासिक द्विभाषी (अंग्रेजी एवं हिन्दी) १०० _ 'भारत संविधान विषयक जैन अवधारणाएँ' श्री हंस कुमार | पष्ठ की पत्रिका'अहिंसा वायस' का आपने वर्ष १९९८ तक ११
30 फरवरी 2004 जिनभाषित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org