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________________ योजना को गति देने में संलग्न है। मुनि संघ की प्रेरणा से जिनमंदिर | सम्मान समारोह सम्पन्न का मूल स्वरूप में जीर्णोद्धार कार्य प्रगति पर है। संघ के बिराजने विगत दिवस १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, बिहार आदि आशीषस्थ भा. दिग. जैन प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान के तत्त्वाधन प्रदेशों से बिलहरी में दर्शनार्थीयों का तांता लगा हुआ है। विगत में उद्घाटित विद्या श्री गर्ल्स हास्टल के चतुर्थ चरण के ११ दातार एक माह से मुनि संघ यहाँ पर विराजमान है। गण सम्मानित किये गए हैं तथा उन्हें आजीवन सदस्यता प्रदान मुनि श्री समतासागर जी तीन-तीन घंटे की सामायिक की गई। करते हुए विशेष साधना कर रहे हैं, मुनि श्री प्रमाणसागर जी सम्मान समारोह में संस्थान के दो विशिष्ट महामनों क्रमशः स्वाध्याय में निरत रहते हुये लेखन के कार्य में संलग्न हैं, ऐलक श्री निश्चयसागर जी पठनपाठन के साथ साधना में लीन हैं। श्री बी.पी. श्रीवास्तव एडवोकेट वरिष्ठ अधिवक्ता एवं श्री राजेश मुनि संघ ने जैन पुरा वैभव के संरक्षण की प्रेरणा देकर कुमार, संजय कुमार विशिष्ठ रूप से सम्मानित किये गये। सभी श्रावकों को कर्त्तव्य बोध कराया है, मुनि संघ की इस पहल से सम्मानित महानुभावों को शाल, श्रीफल व अभिनंदन पत्र भेंट बिलहरी का जैन पुरा वैभव तो संरक्षित हुआ ही है, श्रावकों में भी RAT A किये गये। संस्कृति के संरक्षण हेतु जागृति उत्पन्न हुई है। मुनि संघ की प्रेरणा सम्मानित महामनों में क्रमश:- श्री दादा उदय चंद जी, से बिलहरी में सम्पन्न प्रतिमाओं के संरक्षण का कार्य एक अच्छी | श्री प्यारे लाल, दिनेश कुमार जी, श्री छोटे लाल जी, श्री धरमचंद परंपरा का शुभारंभ है। जिस तरह रूचि लेकर मुनि संघ ने इस | जी, सुशील कुमार जैन, श्री कोमल चंद जी, धर्म पत्नि कान्ति जैन कार्य को मंजिल तक पहुँचाया है, उसी तरह सम्पूर्ण भारतवर्ष में सेठ मोतीलाल राजवर्धन सिंघई, श्री दादा बालचंद जी, श्री अभय विहार करने वाले पूज्य साधु संत भी इस ओर रूचि लें तो- कुमार जी, पवन कुमार जी, श्री संतोष कुमार, मुकेश कुमार जी, 'संस्कृति के संरक्षण का दिवा स्वप्न हकीकत में बदल सकता | श्री राय सेठ चन्द्र कुमार एवं ध.प. सुनीता जैन, श्री संजय कुमार है।' जैन एवं श्रीमती अंजु जैन, जिन्हें आजीवन सदस्यता प्रदान की भवदीय गई। अमित पड़रिया इस भव्य आयोजन का प्रभावना मयी अंग था, १०८ मुनि सूचना श्री प्रबुद्ध सागर जी महाराज, १०५ आर्यिका रत्न गुणमती माताजी षष्ठ आत्म-साधना शिक्षण शिविर ससंघ की आशीषमयी उपस्थिति एवं प्रवचन जिसमें उन्होंने दिनांक २५.४.२००४ से २.५.२००४ आजीवन सदस्यों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए प्रशिक्षार्थियों को अत्यन्त हर्ष का विषय है कि परमपूज्य आचार्य श्री | उनके पथ प्रशस्ति का आशीर्वाद प्रदान किया। समारोह का संचालन विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेदशिखर | सस्थान प्रधानमत्री श्री नरेश चद जन गढ़ावाल एव परिचय एवं जी के पादमूल में स्थित प्राकृतिक छटा से विभूषित, परम पूज्य स्वागत भाषण संस्थान डायरेक्टर श्री अजित जैन एडवोकेट द्वारा क्षुल्लक १०५ श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी की साधना स्थली उदासीन साधना स्थली उदासीन | दिया गया। आश्रम, इसरी बाजार में पं. श्री मूलचन्द्र जी लुहाड़िया, मदनगंज नि: शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर (किशनगढ़) बाल ब्र. पवन भैया, कमल भैया आदि के सान्निध्य पचेवर (टोंक) १०८ चा.च. आचार्य श्री शांतिसागर जी में षष्टम आत्म-साधना शिक्षण शिविर का आयोजन होने जा रहा महाराज का १३१ वाँ जयन्ति महोत्सव के उपलक्ष में श्री पांचलाल है। इस शिविर का मूल लक्ष्य होगा जी जैन अग्रवाल पचेवर की पुण्य स्मृति में उनके परिवार की ओर से इस बहुमूल्य पर्याय का अवशिष्ट समय किस प्रकार १९ शिविर सफल होने के बाद २० वाँ नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा बिताया जाये ताकि आत्मा का विकास हो सके। शिविर लगाया गया। उसमें टोंक के सुप्रसिद्ध नेत्र विशेषज्ञ डॉ. समस्त इच्छुक धर्मानुरागी भाई बहनों से अनुरोध है कि १०.४.२००४ तक आश्रम में लिखित आवेदन भेजें ताकि आवास, आर.एस.शर्मा ने २६५ मरीजों की जांच कर, उनके परिवार की ओर • भोजन एवं समुचित सभी व्यवस्थाएँ की जा सकें। से निःशुल्क दवाई दी गई। २२ सफल आपरेशन किये गये। मरीजों को उनके परिवार की ओर से दवाई, भोजन, आवास, हरी पट्टी, निवेदक ऐनक आदि निःशुल्क दी गई। ट्रस्टी व कार्यकारिणी समिति के सदस्यगण श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन शांतिनिकेतन उदासीन आश्रम तारा चन्द्र जैन अग्रवाल पो. इसरी बाजार, जिला - गिरिडीह (झारखंड)। फरवरी 2004 जिनभाषित 29 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524282
Book TitleJinabhashita 2004 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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