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________________ भव्य मंगल प्रवेश दि. जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी सांगानेर स्थित बाबा आदिनाथ मुनिश्री 108 सुधासागर जी महाराज ससंघ का आज जी के दर्शन किये और सपरिवार आरती की। राज्यपाल ने आचार्य 19.5.03 को सांगानेर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। जैन समाज के विद्यासागर जी महारज के सुयोग्य शिष्य श्री सुधासागर जी महाराज लोगों ने महाराज श्री की जगह-जगह आरती उतारी एवं मंगल के दर्शन किये एवं श्रीफल भेंट किया। राज्यपाल के साथ उनकी गीत गाये। श्री दिगम्बर जैन महिला मंडल की सदस्याएँ एवं धर्मपत्नि, पुत्र, पुत्रवधु, पुत्री एवं दामाद भी साथ थे। मंदिर जी समाज की अन्य महिलाएँ मंगलकलश सिर पर धारण किये मुनिश्री पहुंचने पर राज्यपाल को क्षेत्र के मानवमंत्री निर्मलकुमार जी की अगुवानी में आगे आगे मंगलगीत गाती हुई बैण्ड बाजों के कासलीवाल ने तिलक लगाया एवं अध्यक्ष श्री भंवरलाल जी साथ चल रही थीं। मुनिश्री के स्वागत में मंदिरजी के मार्ग पर सौगाणी ने माल्यार्पण किया। राज्यपाल मुनि श्री सुधासागर जी जगह-जगह तोरणद्वार लगे थे। मंदिर जी में यह जुलूस एक महाराज के साथ लगभग एक घण्टे रहे। इस दौरान उन्होने धर्मचर्चा धर्मसभा में परिवर्तित हो गया जिसमें मुनिश्री का मंगल प्रवचन की तथा मुनिश्री से राजस्थान की सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। मुनिश्री से निवेदन किया कि राजस्थान की जनता कई वर्षों हुआ। मुनिश्री ने कहा कि मेरे इष्ट देव सांगानेर वाले बाबा आदिनाथ से सूखे से पीड़ित है, महाराजश्री ऐसा आशीर्वाद प्रदान कीजिए भगवान् हैं। दुनियाँ में विराजित अन्य भगवान् मेरे आराध्य देव हैं कि अकाल सुकाल में बदल जाये इस वर्ष अच्छी बरसात हो। और सांगानेर में विराजित बाबा आदिनाथ मेरे ईष्टदेव हैं। मुनिश्री मुनिश्री ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि जब राज्यपाल पद पर शुद्ध ने बताया कि कई लोग मुझसे पूछते हैं कि आखिर सांगानेर वाले आचरण वाले व्यक्ति आ गये तो प्रकृति अपना रूप बदल देगी। आदिनाथ जी में ऐसा क्या है अन्य प्रतिमाओं से यह कैसे भिन्न है। राजस्थान की जनता के प्रति आपकी भावना मानवता एवं महानता इस पर मुनिश्री ने कहा कि राजस्थान के गौरवपूर्ण इतिहास में का प्रदर्शन करती है। आपकी भावना नियमों से फलीभूत हो ऐसा सांगानेर की प्राचीनता और इस मंदिर की वैभवता स्वर्ण अक्षरों में | हमारा आशीर्वाद है। अंकित है। इस चतुर्थकालीन प्रतिमा को असंख्य देवीदेवताओं ने महामहिम ने मुनिश्री से जयपुर में चातुर्मास करने हेतु नमस्कार किया है, अत: इसमें अतिशयता अधिक है। यह प्रतिमा श्रीफल भेंट कर निवेदन किया। मुनिश्री ने कहा कि जहाँ आचार्यश्री पूरे भारतवर्ष में सर्वाधिक प्राचीन है ये इतिहासातीत है। अन्य का आशीर्वाद है वहीं हम चातुर्मास करते हैं। महामहिम ने कहा मूर्तियों के निर्माण या स्थापना का इतिहास मिल जाता है किन्तु ये कि हमारी भावना है कि जब हम राजस्थान के राज्यपाल बनकर तो कालगणना से भी परे है। प्राचीनता के अतिरिक्त कई विशेषाएँ आये हैं तो आचार्यश्री का ससंघ एवं आपका एक साथ चातुर्मास हैं इस प्रतिमा में। हो। मुनिश्री के मुख से मंदिर के अतिशय एवं महिमा सुनकर मुनिश्री ने बताया कि अनिष्टों के निवारण, इष्ट की उपलब्धि अत्यन्त प्रसन्न होते हुये महामहिम ने कहा कि मुझे तो स्वतः ही व परम सिद्धि की प्राप्ति के लिये सांगानेर वाले बाबा की शरण में ये भावना आई कि शपथ लेने से पूर्व सांगानेर वाले बाबा आदिनाथ आ जाओ। में स्वयं दुनियाँ में तो भक्तों के वश में रहता हूँ लेकिन जी के दर्शन करूँ। मुझे दर्शन करने के पश्चात् ऐसा आभास हुआ सांगानेर में आने के बाद मैं बाबा के वश में हो जाता हूँ। यहाँ में कि प्रतिमा महाअतिशयकारी है। मेरी इच्छा थी कि जयपुर में आशीर्वाद देने नहीं बल्कि लेने आया हूँ। मैं भी अपने आत्मबलरूपी प्रवेश करते ही आपकी चरण वन्दना करके आशीर्वाद प्राप्त करूँ। बेटी को चार्ज करने आया हूँ। यहाँ भगवान् के दरवार में कोई परन्तु आपका विहार कालोनियाँ में चल रहा था, समयाभाव के बड़ा छोटा नहीं अपितु सभी समान होते हैं। आज मेरी भी भावना | कारण अवसर नहीं मिला। आज ये सुयोग्य अवसर मिला है कि गन्धोदक लेने की है गन्धोदक देने की नहीं। आपके निमित्त से सांगानेर वाले बाबा के पुनः दर्शन हो गये हैं। मन्दिरजी के मुख्य द्वार पर कमेटी के पदाधिकारियों एवं इस अवसर पर प्रबन्ध कारिणी कमेटी के सभी सदस्यों के अतिरिक्त अन्य सदस्यों ने मुनियों का पादप्रक्षालन किया और आरती उतारी। गणमान्य लोगों में मंदिरजी के संरक्षक श्री गणेश जी राणा, धर्मसभा में आदिनाथ के चित्र के समक्ष श्रीमान गणेशकुमार जी निहालचन्द जी पहाड़िया, समाचार जगत के सम्पादक राजेन्द्र के. राणा ने दीपप्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। धर्मसभा | गौधा, प्रदीप जी लुहाडिया, श्री प्रेमचन्दजी कोठ्यारी उपस्थित थे। मंच का संचालन जाने माने कवि श्री राजमलजी बेगस्या ने किया। निर्मल कासलीवाल मानद मंत्री निर्मल कासलीवाल डॉ. विक्रान्त जैन अमेरिका में सम्मानित होंगे राजस्थान के राज्यपाल सपरिवार सांगानेर में अमेरिका की इन्क्वा संस्था की हर चार वर्ष वाद एक मुनि श्री सुधासागर जी के दर्शनार्थ पहुँचे कांफ्रेन्स होती है जिनमें सारे विश्व में चार वर्षों में किये गये श्रेष्ठ आज दिनांक 19.5.2003 सोमवार को सायंकाल 6.00 कार्य के लिए दस वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया जाता है। इस वर्ष बजे राजस्थान के महामहिम राज्यपाल निर्मलचन्द्रजी जैन ने श्री | नाटकास दी रिसर्च टीटयर रैनो नरोडा अमेरिका -जुलाई 2003 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524275
Book TitleJinabhashita 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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