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थे।
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समय में ही पुनः उदघाटित हो जाने हैं। अर्थात् जिन कर्मों की । 11. संवत् 1680 में दिगम्बर मुनि महेन्द्रसागर जी विराजमान पहले अप्रशस्त उपशामना की व्युच्छित्ती हो गई थी वे पुन: अप्रशस्त उपशामना रूप हो जाते हैं तथा जिनके निधत्ति और निकाचना की डॉ. वर्नियर के अनुसार शाहजहाँ के काल में प्रचुर संख्या व्युच्छित्ती हुई थी, वे पुनः निधत्ति और निकाचित रूप हो जाते हैं।
में दिगम्बर साधु मौजूद थे। प्रश्नकर्ता डॉ. अभय दगड़े, कोपरगाँव
13. पदमावत के लेखक मलिक मुहम्मद जायसी के अनुसार जिज्ञासा-क्या चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर महाराज
शेरशाह के समय में दिगम्बर मुनि विचरण करते थे। से पहले दिगम्बर निर्ग्रन्थ मुनि परम्परा समाप्त हो गई थी या
14. संवत् 1719 में अकबरा बाद (आगरा) में मुनि वैराग्यसेन दिगम्बर मुनि मौजूद थे? समाधान- यथार्थता तो यह है कि चारित्र चक्रवर्ती आचार्य
मौजूद थे जिन्होंने 148 प्रकृति का चर्चा ग्रन्थ लिखा था। शांतिसागर जी महाराज से पहले दिगम्बर जैन साधु बिरले ही होते
15. संवत् 1757 में कुण्डलपुर में मुनि श्री गुणसागर तथा मुनि थे। उनकी संख्या नगण्य होने के कारण जनसामान्य में ऐसा कहा
यश:कीर्ति विराजमान थे। जाता है कि चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर महाराज से पहले संवत् 1783 में मुनि श्री देवेन्द्रकीर्ति जी महाराज ढूंढारी मुनि परम्परा समाप्त हो चुकी थी। परन्तु श्री स्व. बाबू कामताप्रसाद देश में विराजमान थे। जी जैन के द्वारा लिखित "दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि" के ___17. संवत् 1799 में मुनि महेन्द्रकीर्ति, मुनि धर्मचन्द्र तथा मुनि अध्ययन से निम्नलिखित तथ्य सामने आते हैं, जिनसे स्पष्ट होता श्री भूषण आदि विराजमान थे। है कि चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर से पहले भी निर्ग्रन्थ
18. 18 वीं शताब्दी में संधि पंडित महामुनि हुए हैं जिन्होंने दिगम्बर जैन मुनि परंपरा मौजूद थी।
चिताम्बर में ब्राह्मणों को वाद-विवाद में हराया था। १. संवत् 1462 में ग्वालियर में महामुनि श्री गुणकीर्ति जी
___19. 18 वीं शताब्दी में दिगम्बराचार्य उज्वल कीर्ति तथा महति प्रसिद्ध थे।
सागर जी हुए थे, जिनकी समाधि दहीगाँव में हुई थी। 2. संवत् 1503 में लखनऊ चौक के जैन मंदिर में दिगम्बराचार्य
20. संवत् 1870 में ढाका में मुनि नरसिंह तथा इटावा में मुनि विमलकीर्ति विराजमान थे।
विनयसागर जी विराजमान थे। भेदपाद देश में संवत् 1536 में मुनि श्री रामसेन जी के
21. संवत् 1872 में मुनि बाहुबली विराजमान थे जिनके नाम शिष्य मुनि सोमकीर्ति जी विद्यमान थे जिन्होंने यशोधर
से कुंभोज बाहुबली नाम पड़ा। चरित्र की रचना की थी।
22. संवत् 1969 में मुनि जिनप्पास्वामी, मुनि चन्द्रसागर (हूमण 4. संवत् 1575 में जयपुर के पाटौदी मंदिर में श्री चन्द्रमुनि
जातीय) मुनि सनतसागर, मुनि सिद्धप्पा आदि विराजमान विराजमान थे।
थे। संवत् 1578 में कुरावली (मैनपुरी) के मन्दिर में मुनि। ३. संवत. 1970 में मनि अनन्तकीर्ति महाराज विराजमान थे विशालकीर्ति विराजमान थे।
जिनकी मुरैना में समाधि हुई थी। 6. संवत् 1586 में चावलपट्टी (बंगाल) में मुनि ललितकीर्ति
24. सन् 1478 में जिंजी प्रदेश में दिगम्बराचार्य श्रीवीरसेन विद्यमान थे।
बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। 7. संवत् 1605 में मुनि क्षेमकीर्ति महाराज विराजमान थे।
इसके अलावा और भी अन्य बहुत से दिगम्बर मुनियों के 8. संवत् 1611 में दिगम्बराचार्य माणिकचन्द्र देव विराजमान
प्रमाण उपर्युक्त पुस्तक से पाठकों को देख लेना चाहिए। बाबू
कामताप्रसाद जैन द्वारा लिखित पुस्तक 'दिगम्बरत्व और दिगम्बर 9. संवत् 1634 में चावलपट्टी (बंगाल) में मुनि बाहुनन्दी
मुनि' प्रत्येक साधर्मी भाई को पढ़ने योग्य है, अवश्य पढ़ें। विराजमान थे।
1/205, प्रोफेसर कॉलोनी, 10. संवत् 1667 में दिगम्बर मुनि सकलकीर्ति विराजमान थे।।
आगरा-282 002
3.
28 जुलाई 2003 जिनभाषित -
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