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के अनुसार दूध मधुर, स्निग्ध, वात-पित्त नाशक, दस्तावर, वीर्य | नागदान मणि तो विष को नष्ट करने वाला है और उसका जहर को शीघ्र उत्पन्न करने वाला, शीतल, सर्वप्राणियों के अनुकूल, तत्काल मार देता है। जीवनरूप, पुष्टिकारक, बलदायक, बुद्धि को उत्तम करने वाला, | गौसंरक्षण के लिए यह जरूरी है कि हम पुरानी परम्पराओं बाजीकरण, आयु स्थापक, आयुष्य देने वाला, संधानकारक, ओज के अनुसार गाय को भी धन माने-गोधन और गाय रखने वालों को एवं कान्तिवर्द्धक होता है। दूध जीर्णज्वर, मानसिक रोग, उन्माद | सम्पन्नता की दृष्टि देखें। गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगायें। शोष, मूर्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडु रोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, | परमपूज्य संतशिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने अपने उदावर्त, गुल्म, ब्रस्तिरोग, अर्श, रक्तपित्त, अतिसार, योनिरोग, | 'मांस निर्यात निरोध आंदोलन' का एक प्रमुख गौसंरक्षण केन्द्रों परिश्रम, गर्भस्त्राव आदि कारणों में हितकारी है। जो बालक या | (गौशालाओं) की स्थापना माना है और इसकी पूर्ति हेतु वे निरन्तर वृद्ध क्षीण, दुर्बल होते हैं उन्हें दूध परम हितकारी होता है। कहते स्थान-स्थान पर गौशालायें खुलवा रहे हैं। उन्हीं के प्रमुख शिष्य हैं निरन्तर दूध पीने को मिले तो साठा भी पाठा दिखाई देता है। मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज, मुनिश्री समतासागर जी महाराज, गाय, भैंस, बकरी, ऊँटनी आदि जानवरों के दूध में गाय के दूध | मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज, मुनिश्री समाधिसागर जी महाराज को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है अत: गाय का दूध पीना परम हितकर | ने अनेक स्थानों पर गौशालायें स्थापित करवाकर हजारों गायों को है। 'यशस्तिलक चम्पू' में कहा है कि
पालने का संकल्प समाज को दिलवाया है जिस दिन यह 'संतक्रान्ति' शुद्धं दुग्धं न गोमांसं वस्तुवैत्र्यिमीदृशम्।
बन जायेगी उस दिन यह देश पुन: दूध-घी की नदियों वाला देश, विषघ्नं रत्नमाहेयं विषं च विपदे यतः॥
सोने की चिड़िया वाला देश कहलायेगा। हमें उस दिन का इंतजार अर्थात्- गाय का दूध शुद्ध है, गौ मांस नहीं। वस्तु के नहीं करना चाहिए अपितु वह दिन लाने के लिए गाय पालना चाहिए। स्वभाव की विचित्रता ही ऐसी है जैसे कि-साँप के फणा का |
एल-65, न्यू इन्दिरा नगर, बुरहानपुर (म.प्र.)
भोपाल में पंचकल्याणक एवं पंचगजरथ महोत्सव
19 जनवरी से 25 जनवरी 2003 तक
सकल दि. जैन समाज, भोपाल द्वारा श्रीमज्जिनेन्द्र | व्यवस्था समिति द्वारा की गई है। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, पंचगजरथ महोत्सव, सप्तवेदी प्रतिष्ठा व 4. छप्पन कुमारी 1,111.00 रुपये की राशि में बनाई कलशारोहण कार्यक्रम परमपूज्य सर्वोदयी सन्त आचार्य श्री 108 |
जायेंगी। विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में भव्य आयोजन
5. जिनको प्रतिमा प्रतिष्ठित करानी हैं वे अपनी प्रतिमा होने जा रहा है।
विधिवत् 10 जनवरी तक जाँच कराकर श्री दिगम्बर जैन मंदिर इस महोत्सव में भोपाल स्थित विभिन्न जिनालयों की
जवाहर चौक, भोपाल में जमा कराएँ।। वेदी प्रतिष्ठा एवं कलशारोहण के आयोजन भी सम्मलित हैं। इस
6. सात इंच से छोटी प्रतिमा प्रतिष्ठा के लिए स्वीकार मांगलिक एवं धार्मिक आयोजन के प्रतिष्ठाचार्य वाणीभूषण,
| नहीं की जावेगी। बालबह्मचारी श्री विनय भैया, बंडा रहेंगे। महत्त्वपूर्ण जानकारी
___7. पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की अन्य जानकारी निम्न प्रकार है :
के लिए कार्यालय में सम्पर्क करें1. प्रमुख पात्रों का चयन 5 जनवरी, 2003 को भोपाल
कार्यालय में होगा।
जैन धर्मशाला, चौक, भोपाल फोन : 2748935 2. प्रत्येन्द्र बनने का सौभाग्य 1,11,111.00 रुपये की न्यौछावर राशि देकर प्राप्त होगा, उन्हें गजरथ में बैठने की पात्रता
जवाहर चौक, टी.टी. नगर, भोपाल फोन : 2776712 रहेगी।
पं. सुनील शास्त्री
962, सेक्टर-7, 3. सामान्य इन्द्र-इन्द्राणी 5101.00 रुपये की न्यौछावर
आवास विकास कॉलोनी, आगरा राशि जमा कर बन सकेंगे। इन्द्र-इन्द्राणी के लिए गणवेश की
-जनवरी 2003 जिनभाषित 19
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