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सम्पादकीय
उच्चतम न्यायालय का सराहनीय निर्णय
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रता और स्कूल
भारत के उच्चतम न्यायायल ने दिनांक 12 सितम्बर को। झंडी दे दी। माध्यमिक कक्षाओं के नवनिर्मित राष्ट्रीय पाठ्यक्रम प्रारूप 2002 कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान धार्मिक शिक्षा को संविधान के अनुरूप घोषित करने का जो निर्णय दिया है, वह | | का अध्ययन प्रतिबंधित नहीं करता और स्कूलों में इससे संबंधित अत्यन्त सराहनीय है। दूध का दूध पानी का पानी कर देने वाले इस पाठ्यक्रम लागू करने को सरकार का गैरधर्मनिरपेक्ष कार्य नही निर्णय ने भारतीय अस्मिता की रक्षा की है और देश के विभिन्न कहा जा सकता। न्यायमूर्ति एमबी शाह, डीएम धर्माधिकारी और धर्मावलम्बियों के मन में जो क्षोभ व्याप्त था उसका शमन किया है। एचके सेम की तीन सदस्यी खंडपीठ ने दो-एक के बहुमत से
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान परिषद् (एन.सी.ई.आर.टी.) | अरुणा राय और अन्य की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया के पूर्ववर्ती पाठ्यक्रम का निर्माण करनेवाले तथाकथित विशेषज्ञों | याचिका में केंद्र पर आरोप लगाया गया था कि सरकार समीक्षा के ने हिन्दी, इतिहास और समाजविज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में भारत के नाम पर पाठ्यक्रम में अपनी राजनीतिक और धार्मिक विचारधार विभिन्न धर्मों एवं जातियों के विषय में ऐसी अनर्गल, अशोभनीय, | को शामिल करना चाहती है। अप्रामाणिक बातें ठूस दी थीं, जिनसे उन धर्मों एवं जातियों के प्रति खंडपीठ ने कहा कि महात्मा गाँधी खुद धर्म की शिक्ष घृणा और अनास्था का भाव उत्पन्न होता था। इसने उन धर्मों के | देने के पक्षधर थे। शिक्षा को मूल्य आधारित बनाने की दृष्टि से अनुयायियों के स्वाभिमान को गहरी चोट पहुँचाई थी, जिससे | धार्मिक शिक्षा देने में कुछ भी गलत नहीं है। न्यायमूर्ति शाह ने उनका हृदय क्षोभ से आन्दोलित था। 11वीं कक्षा के इतिहास की | कहा कि जिस पाठ्यक्रम को चुनौती दी गई है उसमें ऐसी कोई पुस्तक में जैनधर्म के विषय में यह लिखा गया था कि जैनों के धार्मिक शिक्षा शामिल नहीं है, जिससे अपनी इच्छा का धार्मिक चौबीस तीर्थंकरों में से केवल भगवान् महावीर ही ऐतिहासिक अध्ययन चुनने के छात्रों के मौलिक अधिकार का संरक्षण करने पुरुष हैं, शेष तेईस तीर्थंकर काल्पनिक हैं और भगवान् महावीर वाले संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है। न्यायाधीशों ने की साधना का जो रूप वर्णित किया गया था, वह जैनधर्म में मान्य | इस संबंध में तीन अलग-अलग निर्णय दिए। साधना से बिलकुल विपरीत और अशोभनीय था। जैनधर्मालम्बियों न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने अपने अलग फैसले में न्यायमूर्ति ने केन्द्रीय शासन से इसका घोर विरोध किया था। अन्य शाह से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि धार्मिक शिक्षा तो धर्मावलम्बियों की तरफ से भी विरोध प्रकट किया गया था। इसके सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित फलस्वरूप मानव संसाधन मंत्रालय ने नया पाठ्यक्रम निर्मित कराया शिक्षा संस्थाओं में भी लागू की जा सकती है। न्यायमूर्ति सेम ने जिसमें से उक्त आपत्तिजनक अंशों को निकाल दिया गया। साथ | हालाँकि न्यायमूर्ति शाह के फैसले से आम तौर पर सहमति व्यक्त ही पाठ्यक्रम में सभी धर्मों के मूल सिद्धान्तों की शिक्षा देने का | की, लेकिन उन्होंने केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड से विचारप्रावधान किया गया, जिससे विद्यार्थियों को सभी धर्मों के बारे में | विमर्श न करने को लेकर सरकार की आलोचना की । खंडपीठ ने सही जानकारी मिल सके और उनके प्रति समभाव उत्पन्न हो।। इतिहास और हिंदी सहित सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रमों को वस्तुतः सर्वधर्मसमभाव अर्थात् किसी भी धर्म के प्रति घृणा न | लागू करने पर लगी अंतरिम रोक हटा ली। इससे लाखों छात्रों ने होना ही राष्ट्रीय दृष्टि से धर्मनिरपेक्षता है।
राहत की साँस ली है, जो अभी तक इन पुस्तकों के बिना काम किन्तु उक्त पाठ्यक्रम के विचारधारा-विशेष से प्रतिबद्ध चला रहे थे। कोर्ट ने कहा कि एनसीईआरटी द्वारा तैयार स्कूली निर्माताओं एवं राजनीतिक दलों ने सरकार के उक्त कदम का घोर पाठ्यक्रमों को सिर्फ इस आधार पर कि केंद्रीय परामर्शदात्री बोर्ड विरोध किया, उस पर शिक्षा के भगवाकरण और तालिबानीकरण | से सलाह मशविरा नहीं किया गया, निरस्त करना असंवैधानिक के आरोप लगाये तथा नवीन पाठ्यक्रम को लागू होने से रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका प्रस्तुत कर दी। उच्चतम । बोर्ड कोई वैधानिक निकाय नहीं है। खंडपीठ ने सरकार न्यायालय ने उस समय पाठ्यक्रम को लागू करने पर रोक लगा दी को भविष्य की शिक्षा नीति के लिए बोर्ड के पुर्नगठन का निर्देश थी किन्तु अब विषय पर विधिवत् सुनवाई कर तथा गंभीरतापूर्वक दिया। इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट का मार्च 2002 का अंतरिम विचार विमर्श कर यह निर्णय दिया है कि नवीन संशोधित पाठ्यक्रम आदेश रद्द हो गया, जिसमें नए पाठ्यक्रम को देश भर में लागू न तो असंवैधानिक है, न ही धर्मनिरपेक्षता की भावना के विरुद्ध, किये जाने पर रोक थी। कोर्ट ने कहा कि पाठ्यक्रम तैयार करने अत: उसे लागू किया जा सकता है। निर्णय का विवरण, प्रतिष्ठित | वाली एनसीईआरटी एक वैधानिक संस्था है। एनसीईआरटी दैनिक समाचार पत्र दैनिक भास्कर', भोपाल (दिनांक 13, सितम्बर, शिक्षा में मूल्यों के महत्त्व और सभी धर्मों के प्रेम संबंधी सार को 2002) में इस प्रकार दिया गया है
अच्छी तरह समझती है।" "नई दिल्ली, 12 सितंबर (एजेंसियाँ)। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय मानव संसाधन विभाग के उपर्युक्त प्रयास एवं आज भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए माध्यमिक | माननीय उच्चतम न्यायालय के सटीक निर्णय से भारतीय संस्कृति स्कूलों के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम प्रारूप-2002 को लागू करने और | एवं धर्मनिरपेक्षता के वास्तविक स्वरूप की रक्षा हुई है। एतदर्थ संशोधित पाठ्यक्रम वाली इतिहास एवं हिंदी सहित सामाजिक | हम दोनों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं। विज्ञान की पुस्तकें प्रकाशित करने के लिए केंद्र सरकार को हरी ।
रतनचन्द्र जैन 4 सितम्बर 2002 जिनभाषित
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