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________________ प्राकृतिक-चिकित्सा अनिद्रा का प्राकृतिक उपचार डॉ. वन्दना जैन आज की तेज रफ्तार जिंदगी में बिना बुलाया मेहमान रोग | 10 तक बाहर रोकें अथवा 8 (सेकण्ड) श्वांस भरें 16 तक है अनिद्रा । आज से कुछ समय पहले मनुष्य अपने नित्य कर्म में | निकालें । उपरोक्त प्रयोग 50 से 100 बार करें।) शारीरिक श्रम को ज्यादा महत्त्व देता था, स्त्रियाँ भी अपने घरेलू | सामान्य अवस्था में भी सोने के पूर्व हाथ पैर और सिर को कार्य स्वयं करती थीं जिससे उनका शरीर सुगंठित रहता था, पर | धोकर पोंछ लें। आज की भाग-दौड़ की जिन्दगी में मनुष्य को यह सोचने की कपड़े ढीले, खिड़कियाँ व रोशनदान खुले हुए, बिस्तर फुर्सत नहीं कि वह क्या कर रहा। परिणाम, न खाने की सुध, न | आरामदेह, अंधेरा या अत्यल्प प्रकाश रखें। सोने की फिक्र, नींद गायब। जिस तरह हमारे शरीर के लिए कभी-कभी शास्त्रीय संगीत अथवा मनपसंद गीत सुनने भोजन आवश्यक है, वैसे ही पर्याप्त नींद भी आवश्यक है। स्वस्थ | मात्र से नींद आने लगती है। कुछ लोग पढ़ते-पढ़ते बोर होकर शरीर के लिए कम-से-कम 6 या 7 घंटे नींद आवश्यक है। ऊँघने लगते हैं। नींद लाने के लिए श्रम आवश्यक है। भरपूर लक्षण शारीरिक श्रम के बाद नींद अच्छी आती है। नींद नहीं आना, सिर का भारीपन, याददाश्त कमजोर हो | नींद की गोली लेना सर्वाधिक खतरनाक साबित होता है। जाना, चेहरे पर तनाव, वजन बढ़ना। मानसिक विक्षिप्तता, | ये दवाइयाँ नशीली होती हैं, जो नींद का भ्रम पैदा करती हैं बाद में पागलपन। उच्च रक्त चाप, चक्कर आना, आँखों में जलन व | स्थायी अनिद्रा का कारण बन जाती हैं। भारीपन, मानसिक अस्थिरता, एकाग्रता की कमी, आलस्य, प्रमाद | प्राकृतिक उपचार व काम में मन नहीं लगना। जम्हाई आना आदि। 1. प्रतिदिन ठंडे पानी का एनिमा लें। कारण 2. तलबे, सिर, पेट तथा रीढ़ की तेल/सूर्यतप्त हरे और कब्ज, हार्मोन्स का अस्थिर स्तर। बुखार, पेट के रोग।। नीले रंग के तेल से मॉलिश प्रतिदिन करें। उच्च व निम्न रक्त चाप । गठिया/दमा/खाँसी, खुजली आदि शारीरिक | 3. ठंडा रीढ़ स्नान-प्रतिदिन सोने से पूर्व रीढ़ स्नान ले रोग। स्नायु संबंधी विकार । मद्यपान, धूम्रपान, कॉफी, चाय, | अथवा रीढ़ टब की व्यवस्था न होने पर रोएँदार तौलिए को ठंडे चॉकलेट, टॉफी आदि कैफीन युक्त आहार। अधिक मानसिक | पानी में भिगोकर रीढ़ के बराबर पतली तह करके रीढ़ के नीचे परिश्रम, उद्वेग, चिंता। नकारात्मक विचार, हमेशा ख्याली सपने 15-20 मिनिट रखकर सोयें। बुनना। ज्यादा रात तक जागने के कारण भी जैविक घड़ी। 4. पेट पर 2 मिनिट गर्म व ठंडा क्रम से ही एक ही समय (सरकेडियन बायोलॉजिकल क्लॉक) या रिद्म अस्त-व्यस्त हो | सेंक 5 बार दें। गीली चादर लपेंट दें। जाता है। अधिक खाना/खाते ही सो जाना/ कम खाना, उपवास/शोर 5. सर्वांग मिट्टी लपेट सप्ताह में दो बार। टी.वी., फिल्म आदि का व्यसन आदि अनेक कारण हैं । व्यायाम 6. एक दिन के अंतराल पर गर्म पादस्नान दें। की कमी/भयग्रस्त होना/तामसिक भोजन। 7. सप्ताह में एक दिन वाष्पस्नान । निदान 8. प्रतिदिन आँख तथा पेट पर ठंडी मिट्टी। सिर पर मिट्टी प्रात: जल्दी उठने का प्रयास करें व नित्य कर्मों से निवृत्त | लेप। होकर मार्निंग वॉक (प्रातः भ्रमण) की आदत डालें। 9. सप्ताह में एक दिन सर्वांग तेल मॉलिश के बाद धूप थोड़ी एक्सरसाइज शरीर को तनाव मुक्त तो करती ही है।। स्नान। साथ ही इससे शरीर की अकड़न भी दूर होती है। आहार चिकित्सा शवासन/शिथलीकरण व योग निद्रा का अभ्यास करें। अनिद्रा के रोगी नाश्ते में फल, भीगा हुआ किशमिस, शरीर को ढीला करके शांत व शिथिल छोड़ दें। प्रत्येक अंग का मुनक्का दूध तथा अंकुरित या भीगा अनाज लें। भोजन में चोकरसूक्ष्मता से निरीक्षण करें। एक-एक अंग को शिथिल होकर सो | दार आटे की मोटी रोटी/दलिया, उबली सब्जी, सलाद, दही, जावें तथा नींद की स्वकल्प भावना से नींद आने लगती है। अंकुरित या भीगे अनाज तथा छांछ दें। सलाद व सब्जियों में नित्य सुबह व रात को बिस्तर पर लेटे हुए दीर्घ श्वसन पालक, टमाटर, गाजर, लौकी, पत्तागोभी, टिण्डा दें। फलों में प्राणायाम का प्रयोग करें (मन में गिनते हुए 8(सेकेण्ड) तक | अंगूर, खजूर, सेव, केला, आम, अनन्नास, अमरूद आदि ज्यादाश्वांस भरें, 9-10 सेकण्ड रोकें, पुन: 8 सेकण्ड तक निकालें, 9- | से-ज्यादा फल दें। -अगस्त 2002 जिनभाषित 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524265
Book TitleJinabhashita 2002 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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