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________________ अपराह्न सब्जी का सूप लें अथवा मौसम्बी/संतरे का जूस।। में एक छोटी सी गेंद रख ली जाए तो गेंद के कारण पीठ के सीधे सायंकालीन भोजन में दोपहर की तरह हलका लें। | लेटने में बाधा होगी। नींद में भी करवट से लेटना अनिवार्य हो सोने के पूर्व मीठे फल में खजूर, 5 किशमिश, 20 नग जाएगा। फलतः सीधे लेटने से उत्पन्न होने वाले खर्राटेदार नींद से मुनक्का खायें, दूध पिएँ अथवा गुड़ खायें। दातून करें और गरम | मुक्ति मिल जाएगी। पाद स्नान (पैरों को गर्म पानी में डालकर) अथवा ठंडा रीढ़ स्नान योगोपचार लें। तथा दीर्घ श्वसन प्राणायाम करते हुए सो जाएँ। रात्रि में मीठे मानसिक तनाव प्रतिस्पर्धा से बचें, योग करें, शक्ति व आहार की बहुलता से नींद अच्छी आती है। वक्ष स्थल विकास/वृद्धि धृति एवं मेधा शक्ति विकासक क्रिया निषेध करें। पाद हस्तासन, ताड़ासन, जानुशीर्षासन, उर्द्धमयेन्द्रासन, कॉफी, चाच, समोसे, मिर्च (मैदे से बने पदार्थ), गरम वज्रासन, क्रमासन, उष्ट्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पद्मासन, ज्ञान मसाले, उत्तेजक पदार्थ । मांसाहार/धूम्रपान व मद्यपान तथा रात्रि मुद्रा/त्रटिक व योगमुद्रा, चक्की चालन/आसन/धनुषासन/चक्रासन/ जागरण कृत्रिम प्रकाश व देर तक जागने से हमारी पीनियल ग्रंथि शलभासन/ भुजंगासन/नौकासन/सर्वांगासन/मत्स्यासन तथा अंत तथा सर केडियन क्लॉक अस्त-व्यस्त हो जाती है। नींद लाने में योग निद्रा करें। उज्जायी प्राणायाम तथा आनापान सती का वाली प्रक्रियाएँ बेलय एवं अराजक हो जाती हैं। जहाँ कृत्रिम ध्यान करें। अनिद्रा की स्थिति तुरंत दूर हो जाती है। सूर्यास्त के प्रकाश व विद्युत नहीं है, वहाँ के निवासी रात को भरपूर सोते हैं। पूर्व खाना खायें, दोपहर के भोजन में प्रोटीन बहुत तथा शाम को कार्बोहाइड्रेट-बहुल आहार लें। नींद अच्छी आती है । अनिद्रा के सुबह ब्रह्ममुहूर्त में पक्षियों के संगीत एवं ताजगी के साथ उठ जाते कई रोगियों का सफल उपचार हमारे संस्थान भाग्योदय तीर्थ हैं। जीवन का भरपूर आनंद लेते हैं। प्राकृतिक चिकित्सालय में किया गया है। पिछले वर्ष शाहगढ़ की जिस दिन से कृत्रिम चीजों का निर्माण हुआ उसी दिन से एक महिला कई महीनों से सो नहीं पा रही थी। हमारे संस्थान में हमारी बॉयोलॉजिकल घड़ी अस्त-व्यस्त होने लगी। तनाव प्रतिस्पर्धा दूसरे दिन से ही गहरी निद्रा लेने लगी। 10 दिन के उपचार के अनिद्रा के शिकार हो गये। बाद आज तक अनिद्रा की शिकायत से दूर है। कुछ लोगों में खर्राटेदार नींद लेने की प्रवृत्ति होती है।। भाग्योदय तीर्थ, उससे बचने के लिए सोने से पूर्व नाइट सूट की पीठ की बंद जेब प्राकृतिक चिकित्सालय, सागर (म.प्र.) बिजौलिया (राज.) तीर्थक्षेत्र पर धर्मवर्षा डॉ. नामवर सिंह का संस्थान में व्याख्यान यहाँ श्री पार्श्वनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र पर वर्षायोग विगत 2 अगस्त को देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. हेतु प. पूज्य मुनि पुंगव श्रीसुधासागर जी महाराज, पू. क्षुल्लक श्री नामवर सिंह द्वारा भारतवर्षीय दिगम्बर जैन प्रशासकीय प्रशिक्षण गंभीर सागर जी महाराज, पू. क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी महाराज |संस्थान मढ़िया जी जबलपुर में भावभीने स्वागत समरोह में अपने धन्यवाद भाषण में संस्थान के प्रशिक्षार्थियों को प्रेरक एवं एवं ब्र. संजय भैया के विराजित होने से अपूर्व धर्मवर्षा हो रही मार्गदर्शक उद्बोधन देते हुए कहा कि "पीढ़ियों के निर्माण हेतु है। 4 अगस्त को रविवारीय प्रवचन के विशेष आयोजन में समाज को आगे आना होगा और आज इस दिशा में तेजी से बुरहानपुर से पधारे हुये अ.भा.दि. जैन विद्वत् परिषद् के मंत्री एवं कार्य चल रहा है, संस्थान उसी चिन्तन की परिणति प्रतीत होता पार्श्व ज्योति के प्रधान सम्पादक डॉ. सुरेन्द्र 'भारती' का तीर्थक्षेत्र है। मैं संस्थान के स्वरूप को देखकर अभिभूत हुआ हूँ।" आगे कमेटी की ओर से श्री घनश्याम जैन (विधायक) ने सम्मान |आपने प्रशिक्षार्थी गणों के पथ को प्रशस्त करते हुए अपने किया। श्री कैलाशचन्द्र जैन सर्राफ (कोटा) ने पार्श्व ज्योति |भाषण में कहा है कि नई पीढ़ी को जागरूक होकर जीना होगा। मासिक पत्रिका के जून-जुलाई अंक का विमोचन किया, जिसमें| समय का सजगता के साथ उपयोग ही आपको निर्माण में सहायक चाँदखेड़ी के विषय में यथार्थ जानकारी घूमता आईना शीर्षक के | हो सकता है। अन्तर्गत प्रकाशित की गई थी। सभा का संचालन श्री ऋषभ संस्थान में आयोजित भावभीने स्वागत समारोह का संचालन मोहीवाल (कोटा) ने किया। इस अवसर पर अपने उपदेशामृत |एवं स्वागत भाषण संस्थान प्रधानमंत्री श्री नरेश गढ़ावाल द्वारा में पू. मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी ने कहा कि हम सबको पाप|| किया गया। आयोजन में सुप्रसिद्ध शिक्षाविद श्री हनुमान प्रसाद कार्यों से विरत होकर दान आदि के माध्यम से तीर्थक्षेत्रों का|| वर्मा, एवं प्रो. श्री मिश्र जी की उपस्थिति भी उल्लेखनीय थी। संरक्षण एवं वंदन कर पुण्यार्जन करना चाहिये। इस अवसर पर संस्थान अध्यक्ष श्री गुलाबचंद जी दर्शनाचार्य द्वारा आभार भोजन शाला का शिलान्यास महिला मंडल के तत्त्वावधान में||ज्ञापित किया गया। किय गया। .. मुकेश सिंघई 28 अगस्त 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524265
Book TitleJinabhashita 2002 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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