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तनावों के चक्रव्यूह में फँसकर ऐसी दर्दनाक, शर्मनाक मौत मरते हैं जिनकी स्मृति मात्र रूह को रोमांचित कर देती है।
जिन्हें समय न मिलने की शिकायत है स्पष्ट है उनका दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त है । उन्हें प्रत्येक कार्य हेतु समय का सम्यक् नियोजन नहीं आता। वे कार्यों की समय सारिणी बदलते रहते हैं 'खाने के समय सोना, सोने के वक्त खाना आदि अजूबे उल्टे कार्यक्रम उनकी दिनचर्या में शामिल हो जाते हैं, फिर आत्म चिन्तन, भगवद्भक्ति, सामायिक ध्यान, सत्संगति, प्रतिक्रमण, स्वाध्याय जैसे लोकदुर्लभ कार्य या तो छूट जाते हैं या उनका नियम है ही, तो उन्हें झटपट स्वल्पावधि में निपटा लिया जाता है। कल पर सरकने वालों को आगे सरका दिया जाता है अथवा एक-दूसरे आवश्यकों पर उन्हें अनावश्यक रूप से लाद दिया जाता है अर्थात् उनके साथ निपटा दिया जाता है ।
मानव मन के हाथों में जिनका हित से कोई दूर-दूर तक ताल्लुक नहीं है, ऐसे कार्यों की एक लम्बी सूची (लिस्ट) सतत् लटकती रहती है, जिनकी सम्पूर्ति में आत्म चिन्तन, आत्म कल्याण जो कि जीव मात्र का ध्येय, श्रेय और प्रेय है; छूट जाता है। यहाँ
तक कि उनका अमन चैन भी छिन जाता है। ऐसे लोग आलसी, आत्मविमुख, स्वधर्मानुत्साही, स्वयं को धोखा देने वाले एवं काम चोरों की श्रेणी में गिने जाते हैं। उचित समय पर उचित फल देने वाला अवसर उनके हाथों में पश्चात्ताप सौंपकर खिसक जाता है। उनका वह पश्चात्ताप वैसा ही व्यर्थ है जैसे सिर फूटने पर फौलादी टोप पहनना, पकड़े जाने पर चिड़िया का चीखना, बच्चे के डूब जाने पर कुँए को ढाँकना अथवा हाथी बेच डालने के बाद अंकुश रखने जैसा व्यर्थ है ?
समय गँवाना अर्थात् जीवन की अमूल्य मूलभूत पूँजी खोना है। मनुष्य शरीर, थकान, दुकान, किटी-क्लब, सभा सोसाइटियों व अन्यान्य फिजूल कार्यों में कितना समय बर्बाद कर देता है, जबकि अपनी आत्म- जीवनोन्नति के लिए उसके पास वक्त नहीं है। दुनिया की चिन्ता के लिए उसके पास समय ही समय है और आत्म-चिन्तन के लिए समय के अभाव का रुदन गीत है। कितनी विचित्र विडम्बना है । 'इन्सा यह नहीं जानता जो समय चिन्ता में गया वह कूड़ेदान में गया और जो समय आत्मचिन्तन में गया वह तिजौरी में जमा हो गया है।'
समय की काया उतनी ही आयत है जितनी कि पहले थी, न घटी है न बढ़ी है, न घटेगी न बढ़ेगी चूंकि समय अनन्तपर्वा यष्टि है, अस्तु 'समय मिलेगा तो....' के इन्तजार में खुशियों की पंखुरियाँ मत सुखाइए। समय नियोजन द्वारा समय निकालना सीखिये । परिस्थितियाँ और परिवेश कभी अनुकूल नहीं होते ।
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उनके साथ समझौता करके अपने कर्त्तव्य को यथासमय अविलम्ब करने की कोशिश कीजिए। उचित समय पर किया गया कार्य उचित फल देता है और समय की सिकता पर उसकी विशिष्टता के अमिट चिह्न अंकित हो जाते हैं। 'अमिट आलेख' समय का सदुपयोग करने वाले पुरुषार्थियों ने ही समय के भाल पर लिखे हैं और जिन्होंने समय की उपेक्षा की है वे कष्टों की वैतरणी में डूबे हैं ।
मेरा अपना मानना है कि हर कार्य के लिए एक समय और हर समय के लिए एक उपयोगी कार्य होना जरूरी है, ताकि समय के सदुपयोग के साथ जीवन में सुव्यवस्था और शान्ति स्थापित हो सके। एक नीतिकार कहता है-नृपते किं क्षणो मूर्खो दरिद्रः किं वराटक :- हे राजन् ! 'क्षण भर का समय है ही क्या' (जीवन पड़ा है) यह समझने वाला मनुष्य मूर्ख हो जाता है, इसी प्रकार 'एक कोड़ी है ही क्या' ऐसा समझने वाला दरिद्र हो जाता है । इसलिए सन्त वाणी है, समय रूपी अमृत बहा जा रहा है सम्भव है प्यास बुझाने का अवसर तुम्हें फिर न मिले, अतः समय नहीं' ही समय का सम्यक् मूल्यांकन है। अंग्रेजी कहावत है The रहते बहते समय का सदुपयोग कर लीजिए। 'अभी नहीं तो कभी Spirit of the time teach me speed समय की आत्मा को समझो वह तुम्हें चलना सिखा देगी। समय पर वही सवारी कर सकता है, जिसके कर्मठ हाथों में उसकी लगाम होती है ।
समय में बहुत बड़ी ताकत हैं। नेपोलियन का सेनापति यूसी युद्ध में केवल पाँच मिनट देर से पहुँचा, युद्ध का पासा पलट गया । नेपोलियन को पराजित होना पड़ा। कैकेयी ने वर माँगने का अवसर चुना तो उसका पुत्र राजा बन गया। 'अभी समय शेष है पार्थ! धनुष उठा' कृष्ण के इस समय बोध ने अर्जुन में उत्साह और प्राण फूंक दिये, परिणामतः जयद्रथवध हो गया। 'भीम यही समय है दुर्योधन की जंघा तोड़' यह ललकार को सुनकर एक निमिष की भी देर न करते हुए भीम ने गदा प्रहार कर दुर्योधन को धराशायी कर दिया। पाण्डवों की महाभारतविजय' समय के सम्यक् सदुपयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है। सच है समय का सदुपयोग प्रगति का प्रशस्त लक्षण है, श्रेष्ठ जीवन का परिचायक पत्र है । शान्ति मय जीवन एवं अक्षय लक्ष्मी का अकूत भण्डार है। यह ऐसा वशीकरण मन्त्र है कि इसके अनुष्ठान से विघ्न बिलबिलाकर भागते नजर आते हैं। इसलिए तीन बातें याद रखकर समय की कीमत आँकना प्रारम्भ कर देना चाहिए। Remember that time. is money and time is the great Physician and time is the great instructor.
याद रखो समय मनी (धन) है। समय एक महान चिकित्सक है, समय एक महान शिक्षक है।
श्री गुप्तिसन्देश' जून 2002 से साभार
-अगस्त 2002 जिनभाषित
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