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________________ शिविर का शुभारम्भ 8 मई को प्रातः एक विशाल धर्मसभा | महावीर जयंती पर विशेष लिफाफा व डाक के मध्य शिविर प्रशिक्षक एवं निर्देशक ब्र. संदीप जी 'सरल' के मोहर जारी कुशल मार्गदर्शन में महावीराष्टक स्तोत्र के सामूहिक गान के भगवान् महावीर के 2600 वें जन्मकल्याणक के उपलक्ष्य मंगलाचरण से हुआ। दीप प्रज्वलन श्री विभव कुमार कोठिया ने में महावीर जयंती पर 25 अप्रैल 2002 को अजमेर में एक विशेष किया। शिविर के सम्यक् संचालन हेतु एक समिति का गठन लिफाफा जारी हुआ तथा भारतीय डाक विभाग द्वारा एक विशेष किया गया था। शिविर में 350 शिविरार्थियों ने अपना नामांकन मोहर लगाई गई। इस सुंदर बहुरंगी विशेष लिफाफे पर अजमेर में कराया था। सभी शिविरार्थियों को अकलंक वर्ग, चन्दनबाला वर्ग स्थित सोनी जी की नसियां के नाम से सुप्रसिद्ध श्री दिगम्बर जैन एवं मैनासुन्दरी वर्ग में विभाजित किया गया था। सिद्धकूट मंदिर परिसर का चित्र अंकित है। रायबहादुर सर सेठ पूजन प्रशिक्षण के दौरान सभी शिविरार्थियों ने स्वस्तिक | मूलचंद नेमीचंद सोनी द्वारा लाल पत्थर से निर्मित भगवान ऋषभनाथ का विज्ञान, ऊँ, ह्रीं, श्री बीजाक्षरों का विस्तारपूर्वक विश्लेषण, | के मंदिर की प्रतिष्ठा 26 मई 1865 को हुई थी। इस मंदिर के पीछे पूजा प्रतिज्ञा पाठ का रहस्य एवं मूलपरक अर्थ, चौंसठ ऋद्धियों | एक विशल भवन बनाकर सन् 1895 में इसमें भगवान ऋषभनाथ का स्वरूप, पूजनों का अर्थ, शांतिपाठ का अर्थ, पूजक, पूज्य, । के पाँचों कल्याणकों की सुंदर स्वर्ण रचित रचना की गई। सोने के पूजा की विधि और पूजा का फल, पूजन के भेद, पूजन के अंगों वों से मण्डित इस विशाल रचना को देखने दूर-दूर से श्रद्धालु की चर्चा आदि के रहस्यों को सुनकर शिविरार्थियों ने अनुभव आते हैं। सन् 1953 में यहाँ 82 फुट ऊँचे मानस्तम्भ का निर्माण किया कि अनेक वर्षों से पूजन करने वाले पुजारी भी इन रहस्यों किया गया। से अनभिज्ञ थे। प्रतिदिन रात्रिकालीन प्रवचन भी पूजन के स्वरूप इस विशेष लिफाफे पर महावीर जयंती को डाक विभाग को लेकर हुआ करते थे। इस प्रकार यह प्रशिक्षण 17 मई तक द्वारा लगाई गई विशेष मोहर पर दिगम्बर जैन मुनिराज के दर्शन सानंद सम्पन्न हुआ। करता भक्त दर्शाया गया है और "बलिहारी गुरुदेव की" शब्द भगवान महावीर पर भारत व नेपाल में नये । अंकित है। श्री दिगम्बर जैन सिद्धकूट चैत्यालय मंदिर ट्रस्ट के सौजन्य से अजयमेरु फिलाटेलिक सोसायटी द्वारा जारी इस स्पेशल सिक्के जारी कव्हर और स्पेशल कैशिलेशन को तैयार करने व भारतीय डाक भगवान महावीर के 2600 वें जन्मकल्याणक के उपलक्ष्य | विभाग से जारी कराने में अजमेर के श्री अनिल कुमार जैन एवं श्री में अप्रैल 2002 माह में भारत सरकार और नेपाल सरकार द्वारा | पदम कमार जैन का विशेष सहयोग रहा है। विशेष सिक्के जारी किये गये हैं। सुधीर जैन भारत सरकार द्वारा 5 रुपये का विशेष सिक्का 25 अप्रैल यूनिवर्सल केबिल्स लिमिटेड, 2002 को जारी किया गया है। सिक्के के एक ओर जैन प्रतीक सतना (म.प्र.)-485005 बना है, जबकि दूसरी ओर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सम्राट अशोक प्रवेश सूचना की लाट तथा कीमत 5 रुपये अंकित है।। श्रमण ज्ञान भारती, चौरासी (मथुरा) का द्वितीय सत्र 1 नेपाल सरकार द्वारा 13 अप्रैल 2002 को काठमाण्डू में | जुलाई, 2002 से प्रारम्भ होने जा रहा है। पू. आचार्य श्री विद्यासागर आयोजित एक भव्य समारोह में भगवान महावीर के 2600 वें जी महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी जन्मकल्याणक पर एक सिक्का जारी किया गया है। यह सुंदर महाराज की प्रेरणा से यह छात्रावास पिछले वर्ष प्रारम्भ हुआ था। सिक्का 250 नेपाली रुपये का है। इसमें अभी प्रथम वर्ष में 13 छात्र लिये गये थे। इस वर्ष 15 छात्रों पंजाब सरकार की ओर से पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज एण्ड को प्रवेश देने की योजना है। छात्रावास के नवीन भवन का एक्सपोर्ट कारपोरेशन लिमिटेड, चंडीगढ़ द्वारा भी महावीर जंयती शिलान्यास हो चुका है। शीघ्र ही भवन तैयार हो जायेगा। पर सोने व चाँदी के एक-एक सिक्के जारी किये गये हैं। ये छात्रावास में हाईस्कूल में कम-से-कम 55 प्रतिशत प्राप्तांक सिक्के करेंसी के रूप में प्रचलन योग्य नहीं है, लेकिन संग्रहणीय | प्राप्त करने वाले छात्रों को प्रवेश दिया जायेगा। इन छात्रों को हैं। ये सिक्के बहुत ही सुंदर टैम प्रूफ पेकिंग में जारी किये गये हैं। कॉलेज में कामर्स की शिक्षा मिलेगी तथा छात्रावास में जैन सिद्धान्त पैकिंग फोल्डर पर एम.एम.टी.सी. द्वारा शुद्धता का प्रमाण पत्र भी | के प्रमुख ग्रन्थों का अध्ययन कराया जायेगा। छात्रावास में निवास, हस्ताक्षरित किया हुआ है। भोजन, परीक्षा शुल्क, किताबें, कुर्ता-पजामा की अध्ययन ड्रेस भारत सरकार द्वारा शीघ्र ही भगवान महावीर के 2600 वें | निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। जन्म कल्याण की स्मृति में 100 रुपये और 50 रुपये के अप्रचलित जिन छात्रों को छात्रावास में प्रवेश लेना हो, वे सादे कागज सिक्के भी जारी किये जा रहे हैं, जो केवल कलेक्टर्स पैक में ही पर प्रार्थना-पत्र लिखकर भिजवा दें। प्रार्थना-पत्र के साथ अपनी बिक्री किये जायेंगे। | हाईस्कूल (10 वीं कक्षा) की मार्कशीट तथा अपना एक फोटो 30 जून 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524263
Book TitleJinabhashita 2002 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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