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समाचार
छब्बीस सौ वें जन्मकल्याणक महोत्सव वर्ष में विशाल स्तर पर
आयोजित समारोह में गोम्मटेश्वर विद्यापीठ पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सन्दीप नारद "जैन राष्ट्र गौरव'' से
| किया गया। सम्मानित
अपभ्रंश के सद्यः प्रकाशित दो ग्रन्थ पुरस्कृत भगवान महावीर स्वामी के 2600वें जन्मकल्याणक
'पज्जुण्णचरिउ' तेरहवीं सदी का एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, महोत्सव के अन्तर्गत कोलकाता में विगत दिनों दिगम्बर जैन
जिसके लेखक हैं महाकवि सिंह। यह अपभ्रंश भाषा का एक प्रतिभा सम्मान समारोह समिति ने इन्दौर के रसायन वैज्ञानिक
आलंकारिक महाकाव्य है। इसका सम्पादन वीर कुँवरसिंह डॉ. सन्दीप आर. नारद को मधुमेह (डायबिटीज) पर उनके
विश्वविद्यालय में सेवान्तर्गत म.म. महिला कॉलेज, आरा की विशिष्ट शोध कार्य के लिए "जैन राष्ट्र गौरव" सम्मान साइंस
प्रोफेसर एवं हिन्दी-विभाग की अध्यक्ष, अनेक पाण्डुलिपियों की सिटी सभागार में एक गरिमामय समारोह में प्रदान किया ।
सम्पादिका और अनेक ग्रन्थों की यशस्वी लेखिका प्रो. डॉ. विद्यावती सुश्री इन्दु जैन 'जैन राष्ट्र गौरव' से सम्मानित | जैन, आरा (बिहार) ने किया है।
तीर्थंकर महावीर के छब्बीस सौवें जन्मकल्याणक महोत्सव इस ग्रन्थरत्न का मूल्यांकन कर अपभ्रंश अकादमी, जयपुर वर्ष के उपलक्ष्य में 15 अप्रैल 2002 को कलकत्ता स्थित विज्ञान | ने उन्हें स्वयम्भू पुरस्कार से पुरस्कृत किया है, जिसमें 21001 नगरी (साइंस सिटी) सभागार में सम्पूर्णानन्द संस्कृत- | रुपयों की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं मुक्ताहार द्वारा साहित्यकार विश्वविद्यालय, वाराणसी में जैन दर्शन विभागाध्यक्ष डॉ. फूलचन्द्र
| को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाता है। जैन 'प्रेमी' की सुपुत्री कुमारी इन्दु जैन को रंगमंच कलाकार के
दूसरा प्रकाशित अपभ्रंश ग्रन्थ है - पुण्णासवकहकोस। रूप में विशेष योगदान के लिए अभिनय, गायन और कार्यक्रम
| प्रस्तुत ग्रन्थ के मूल लेखक हैं महाकवि रइथ, जिन्होंने अपभ्रंश संचालन की विशेष दक्षता के आधार पर 'जैन राष्ट्र गौरव' अलंकरण
प्राकृत एवं प्राचीन हिन्दी में लगभग 30 ग्रन्थों की रचना की। से सम्मानित किया गया।
इसका प्रथम बार सम्पादन राष्ट्रपति सहस्राब्दी पुरस्कार से
सम्मानित तथा प्राच्य पाण्डुलिपियों के मर्मज्ञ और अनेक ग्रन्थों के शरद जैन राज्य स्तरीय समिति में मनोनीत
लेखक प्रो. डॉ. राजाराम जैन, आरा (बिहार) ने किया है। उनके शरद जैन सुपुत्र स्व. श्री नन्नूमल जी जैन (दादा) प्रतिष्ठित लगभग 20 वर्षों के अथक परिश्रम का ही सुपरिणाम है उक्त ग्रन्थ समाज सेवी का मनोनयन भगवान महावीर 2600 वाँ जन्म महोत्सव का सम्पादन-प्रकाशन। इसका नयनाभिराम प्रकाशन परमपूज्य उच्च राज्यस्तरीय समिति में सदस्य के रूप में हुआ है, इनके । आचार्यश्री विद्यासागर जी की प्रेरणा तथा ब्रह्म. शान्तिकुमार जी के मनोनयन पर समाज से प्रबुद्धजन श्री मुकेश चौधरी, श्री सन्मत सार्थक प्रयत्न से उनके परम भक्त श्रीमान् लाला शिखरचन्द्र जी जैन, श्री कबूलचन्द्र जैन, श्री विजय जैन, श्री चन्द्रसेन जैन तथा | | जैन द्वारा जैन साहित्य संस्कृति संरक्षण समिति, दिल्ली द्वारा किया डॉ. नरेन्द्र जैन ने इन्हें बधाई दी।
गया। श्री सरल की कृति अंग्रेजी में अनुवादित
इस महनीय ग्रन्थ की सर्वत्र चर्चा हो रही है। इसका
| मूल्यांकन भी जयपुर की अपभ्रंश अकादमी ने इसी वर्ष किया है जबलपुर । देश के आठ महान जैन संतों की जीवनी
तथा उसने उसे सन् 2001 के महावीर पुरस्कार से पुरस्कृत एवं लिखने वाले विख्यात कथाकार श्री सुरेश सरल की अब तक 19
सम्मानित किया है। इस पुरस्कार में भी 21001/-रुपये नकद तथा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें से एक का गुजराती अनुवाद
शाल, श्रीफल एवं मुक्ताहार द्वारा उसके सम्पादक का सार्वजनिक और एक का मराठी अनुवाद दस वर्ष पूर्व प्रकाश में आ चुका है।
सम्मान किया जाता है। हाल ही में उनकी एक जीवनी-पुस्तक 'महायोगी-गुप्तिसागर' का
उक्त दोनों साहित्यकारों का सम्मान 27 अप्रैल 2002 को 156 पृष्ठीय अंग्रेजी संस्करण सामने आया है। प्रस्तुत जीवनी का | दोपहर में श्रीमहावीर जी (जयपुर) के गम्भीरा नदी के तट पर अंग्रेजी अनुवाद सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ. सुनीता जैन (आई.आई.टी., |
वार्षिक मेले के शुभावसर पर पूज्यचरण मुनिराज क्षमासागर जी दिल्ली) ने किया है, जिसकी विद्वान पाठकों द्वारा भारी सराहना।
के सान्निध्य में लगभग 50000 नर-नारियों के मध्य किया गया। की जा रही है।
__बीना में पूजन प्रशिक्षण शिविर विद्वत् परिषद् के अध्यक्ष को गोम्मटेश्वर पुरस्कार भगवान महावीर स्वामी की 2600 वीं जन्म जयन्ती के
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के जैनदर्शन | पावन प्रसंग पर अनेकान्त ज्ञानमंदिर शोधसंस्थान, बीना द्वारा विभागाध्यक्ष एवं अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद् | आयोजित प्रशिक्षण शिविर की श्रृंखला में पंचम शिविर श्री दिगम्बर के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. फूलचन्द्र जैन 'प्रेमी' को कर्नाटक के | जैन बड़ा मंदिर बीना-इटावा में आशातीत सफलता के साथ सम्पन्न विश्वविख्यात जैन तीर्थ श्रवणबेलगोल में तीर्थंकर महावीर के | हुआ।
-जून 2002 जिनभाषित 29
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