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________________ व्यंग्य कार-कथा शिखरचन्द्र जैन जुलाई का महीना कष्टों को भोगने के लिए वे लोग जो नौकरी में होते हैं, मूलत: दो श्रेणियों में विभक्त विभिन्न लोगों को विभिन्न तत्पर नजर आते हैं। अफ कारणों से प्रिय होता है। पाये जाते हैं। पहली श्रेणी में कर्मचारी होते हैं और दूसरी में अफसर। सर बनने की ललक को ज्यादातर लोगों को जहाँ । कर्मचारी उन्हें कहते हैं, जो बहसंख्यक होते हैं, जिन्हें हडताल करने| व्यक्त करने देत का भी जून के महीन में गर्म तवे पर का वैधानिक अधिकार मिला होता है और जो अफसरों को, प्रबन्धन | - 'सौ से नब्बे कर दे पर बूंद की माफिक बरसे पानी को तथा सरकार को सार्वजनिक रूप से गरयाने की स्वतंत्रता हासिल | के कारण उत्पन्न उमस भरी किये होते हैं। इसके विपरीत अफसर उन्हें कहते हैं, जो अल्पसंख्यक तनख्वाह भले सौ रुपये से गर्मी से राहत दिलाती जुलाई होते हैं, जिन्हें अपने मातहतों के कारनामों के लिए उत्तरदायी माना जाता नब्बे कर दी जाय पर की अनवरत वर्षा सुखदायी पदनाम 'दरोगा' रख दिया है और जो एक ओर से जनता तथा कर्मचारियों द्वारा सामूहिक रूप प्रतीत होती है, वहीं कुछ जाए, चाहे वह पुलिस का से गरयाये जाने वा दूसरी तरफ से प्रबन्धन एवं सरकार द्वारा धमकाए लोग सूखे के समय रोजी दरोगा हो, सफाई का दरोगा रोटी की तलाश में परदेश जाने के काम आते हैं। या फिर नमक का दरोगा। की ओर पलायन कर गए __ अफसरी और चार अपने प्रियजनों की, इस माह, कमाई के साथ पहियों वाले वाहन का साथ, प्राचीन काल से वापसी की उम्मीद से प्रसन्न होते पाए जाते अफसर। कर्मचारी उन्हें कहते हैं जो बहुसं ही, चोली-दामन का रहा है। जब ये वाहन नहीं हैं। मई के महीने में खत्म हो चुके सूखा राहत ख्यक होते हैं, जिन्हें हड़ताल करने का होते थे तब चौपाया घोड़ा इस कमी को पूरा कार्यों से निराश कई लोग, जहाँ जुलाई में वैधानिक अधिकार मिला हुआ होता है और करता था। इस समय एक अफसर का कुशल होती भरपूर बरसात से बाढ़राहत कार्यों के जो अफसरों को, प्रबंधन को तथा सरकार को घुड़सवार होना अनिवार्य था। कहते हैं कि शर्तियाँ शुरु होने की आशा में पुलकित सार्वजनिक रूप से गरयाने की स्वतंत्रता बुनियादी सेवा नियमों में आज भी इस बात दिखाई देते हैं, वहीं कतिपय महिलाएँ जुलाई हासिल किए हुए होते हैं। इसके विपरीत का उल्लेख मिलता है कि तहसीलदार बनने में सावन के संयोग से आने वाले रक्षा बंधन अफसर उन्हें कहते हैं जो अल्प संख्यक होते के लिये घुड़सवारी का प्रेक्टिकल-टेस्ट पास पर्व पर मैके जाकर वहाँ पड़ चुके झूलों का हैं, जिन्हें अपने मातहतों के कारनामों के लिए करना जरूरी होगा। उन दिनों अफसर उसे ही आनंद उठा सकने की कल्पना से गदगद नजर उत्तरदायी माना जाता है और जो एक ओर माना जाता था जिसके घर में घुड़साल हो और आती हैं। इसके अलावा अन्य कई फुटकर से जनता तथा कर्मचारियों द्वारा सामूहिक रूप जिसमें कम से कम एक घोड़ा बँधा हो। कारणों से भी लोग जुलाई माह को प्रेम करते से गरयाये जाने या दूसरी तरफ से प्रबंधन कालान्तर में जीप और कार के आविर्भाव से पाए जाते हैं। मसलन, मेरे पड़ौसी, उस वर्ष एवं सरकार द्वारा धमकाए जाने के काम आते अफसरों की पहचान और भी सहज हो गई। जुलाई की प्रतीक्षा अत्यंत उत्सुकता के साथ हैं। इस विवेचना से यह सिद्ध होता है कि जिसके घर जीप खड़ी हो, वह अफसर। कर रहे थे। कारण कि उस वर्ष पड़ौसी की अफसरी करना सहज कार्य नहीं है। निश्चित ही जिसके घर कार खड़ी हो वह और भी बड़ा पदोन्नति निश्चित थी, जो कि कम्पनी की यह एक जीवट का कार्य है, जो केवल वही अफसर। सरकारी उद्योगों में कम्पनी की ओर नियमानुसार जुलाई माह में होना तय थी। इस कर पाते हैं, जिन्हें 'आ बैल मुझे मार' को से गाड़ी देने के बजाय अफसरों को निजी चरितार्थ करने में विश्वास होता है। पदोन्नति से मेरे पड़ौसी न केवल कर्मचारी | गाड़ी रखने हेतु भत्ता देने की प्रथा प्रारंभ कर से अफसर में तब्दील हो जाने वाले थे, बल्कि हर्ष का विषय है कि हमारे देश में सिर्फ दी गयी और इस तरह इन उद्योगों में भी कार रखने पर कम्पनी से वाहन-भत्ता पाने की साहसी व्यक्ति ही बसते हैं। अतः हर व्यक्ति अफसरों की पहचान बनाए रखी गई। पात्रता भी प्राप्त करने वाले थे। जाहिर है कि जीवट का कार्य करने पर उतारू रहता है। आसन्न पदोन्नति से प्रफुल्लित पड़ौसी जो परिवर्तन होने जा रहा था उसकी लालसा संभवतः इसीलिए, सारी विषमताओं के ने जब कार खरीदने हेतु पड़ताल प्रारंभ की, हर नौकरी पेशा के मन में स्वाभाविक रूप बावजूद हर आदमी अफसर बनने को तो दूसरे ही दिन दूधवाले से लेकर आटोसे हुआ करती है। अफसरी ठसक और चार लालायित पाया जाता है, बहुत कुछ उन डीलर तक पड़ौसी के पीछे पड़ गए। पहियों वाले वाहन के होने का सुख भला कौन महिलाओं की तरह जो गर्भधारण एवं प्रसव _ 'कैसी कार लेना चाहते हैं साब?' दूध नहीं चाहेगा? की पीड़ादायक प्रक्रिया तथा रिस्क के बावजूद वाले ने पूछा - 'कहें तो अभी खड़ी करवा वे लोग जो नौकरी में होते हैं, मूलतः माँ बनने के लिये लालयित रहती हैं या फिर दूँ दो-चार कारें घर के सामने। चुन दो श्रेणियों में विभक्त पाए जाते हैं। पहली उन संसारी प्राणियों की तरह जो केवल एक लीजिएगा।' श्रेणी में कर्मचारी होते हैं और दूसरी में बूंद शहद के स्वाद के लिए संसार के भीषण 'मुझे कार खरीदना है, गाय नहीं।' 30 दिसम्बर 2001 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524258
Book TitleJinabhashita 2001 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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