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________________ प्रतिशत बौद्ध 188 प्रतिशत एवं सिक्ख समाज में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश में जैन समाज का सर्वाधिक घनत्व सागर, इंदौर, जबलपुर, मंदसौर एवं रतलाम जिलों में है। इन जिलों की कुल जनसंख्या से जैन समाज की जनसंख्या की तुलना करने पर सागर जिले में जैन समाज की जनसंख्या 3 प्रतिशत, इंदौर जिले में 2.3 प्रतिशत, जबलपुर जिले में 1.1 प्रतिशत, मंदसौर जिले में 2 प्रतिशत एवं रतलाम जिले में 2.7 प्रतिशत है। इन जिलों में जैन समाज की कुल जनसंख्या क्रमशः 48,000, 42,000, 30,000, 30,000 एवं 26,000 है। मध्यप्रदेश के जिलों में न्यूनतम जैन समाज सीधी जिले में 114 एवं दतिया जिले में 353 है। सीधी की जनसंख्या में 1981 से 1991 में कोई वृद्धि नहीं हई है। यहाँ की जनसंख्या आश्चर्यजनक रूप से 1981 तथा 1991 से 114 रही है। बालाघाट जिले में इन दस वर्षों में केवल 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि होशंगाबाद जिले तथा राजगढ़ जिले में इस दशाब्दि में जैन समाज की जनसंख्या क्रमशः 5 प्रतिशत एवं 4 प्रतिशत कम हुई है। सीधी, रीवा एवं बालाघाट जिले में वर्ष 1991 में जैन समाज की जनसंख्या क्रमशः 114, 547 एवं 4,007 रही है। जैन समाज की जनसंख्या में इस दशाब्दि में सर्वाधिक वृद्धि दर भोपाल में 38 प्रतिशत तथा सरगुजा में 36 प्रतिशत रही है। भोपाल तथा सरगुजा की वर्ष 1991 की जनसंख्या क्रमशः 15,000 एवं 1,300 रही है। प्रदेश की राजधानी होने के कारण भोपाल नगर में जैन समाज की जनसंख्या में सतत वृद्धि हो रही है। आदर्श कथा मन के भूत यशपाल जैन एक बार एक न्यायाधीश की अदालत में एक मामला पेश हुआ। एक आदमी ने दूसरे आदमी की ओर संकेत करते हुए कहा, "इसने मेरा सिर फोड़ दिया है। " दूसरे ने पहले की ओर इशारा करके कहा, "इसने मेरा सिर फोड़ दिया है। " "तुम दोनों ने एक-दूसरे के सिर न्यायाधीश ने दोनों की बात सुनी और पूछा, फोड़ डाले, आखिर इसका कारण क्या है ?" एक ने कहा, "हम दोनों दोस्त थे। मैंने इसे एक दिन बताया कि मैं एक खेत खरीद रहा हूँ। इसने कहा, मैं एक भैंस खरीद रहा हूँ। मैंने इसे समझाया कि तू भैंस मत खरीद। पर यह नहीं माना। बोला, मैं तो खरीदूँगा और जरूर खरीदूँगा।" - इस पर दूसरे ने कहा, "मैंने इससे आग्रह किया कि तू खेत मत खरीद में भैंस खरीदने का तय कर चुका हूँ। पर इसने मेरी बात नहीं सुनी। " न्यायाधीश ने पहले आदमी से पूछा, "तुमने इसे भैंस खरीदने को क्यों रोका?" वह बोला, "देखिये, साहब, मैं अपने खेत में अनाज बोता, फसल उगती और तभी इसकी भैंस खेत में घुस आती और फसल को खा जाती । मेरा कितना नुकसान हो जाता।” न्यायाधीश ने दूसरे से पूछा, “तुमने इसे खेत न खरीदने को क्यों कहा?" उसने जवाब दिया, "खेत में फसल उगती तो मेरी भैंस उसे देखकर ललचाती और खाने पहुँच जाती । जानवर जानवर है साहब, मैं हर घड़ी उसके सिर पर थोड़े खड़ा रहता।" न्यायाधीश ने पूछा, "तुम्हारा खेत कहाँ है ? और तुम्हारी भैंस कहाँ है?" न कहीं खेत था, न कहीं भैंस थी। न्यायाधीश ने हँसकर कहा, "भले आदमियो, तुमने एक-दूसरे के सिर फोड़ डाले उन चीजों के लिए, जो थीं ही नहीं। इसमें कहाँ की बुद्धिमानी है ?" थोड़ा रुककर न्यायाधीश ने आगे कहा, "दुनिया में बहुत से झगड़े इसी प्रकार बेबुनियाद होते हैं। हम अपने भीतर मन के भूतों को बिठा लेते हैं ये भूत हमें आपस लड़ाते हैं। तुम्हारे भीतर भी वे भूत बैठे हैं। जाओ, उन्हें भगाओ और चैन से रहो।" दोनों ने अपनी भूल अनुभव की और फिर दोस्त बन गये। Jain Education International For Private & Personal Use Only इंजीनियरिंग कालेज में प्रवेश बालचन्द इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, सेठ डब्ल्यू. एच. मार्ग, पो. बा. 635, सोलापुर, 413006 महाराष्ट्र, दूरभाष 0217-65388 653040 फैक्स 651538 ने भारतीय नागरिकता प्राप्त जैन छात्रों से बी.ई. कोर्स की कम्प्यूटर, मैकेनिकल प्रोडक्शन, इलेक्ट्रनिक्स, इनफारमेशन टैक्नालॉजी, इलेक्ट्रनिक्स एण्ड कम्युनिकेशन एवं सिविल इंजीनियरिंग शाखाओं के प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिये 23 अगस्त 2001 तक निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र आमंत्रित किये हैं। निर्धारित आवेदन पत्र 450/- की डी.डी. बालचन्द इंस्टीट्यूट आफ टैक्नालॉजी सोलापुर, 413006 महाराष्ट्र के पक्ष में भेजकर प्राप्त किया जा सकता है। -सुरेश जैन, आई.ए.एस. भोपाल - जुलाई-अगस्त 2001 जिनभाषित 37 www.jainelibrary.org
SR No.524254
Book TitleJinabhashita 2001 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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