________________
भूकम्प और गुरुकृपा का प्रसाद
कार्यालय के आजू-बाजू, पीछे आदि के लगभग १४ आफिस तब तक तहस-नहस होकर मिट चुके थे। आपके इस शोरूम में अनेक मारुति गाड़ियाँ खड़ी थीं। भीतर जाकर देखा तो कार्यालय में अपने आराध्य, गुरुदेव श्रमण संस्कृति के उन्नायक दिगम्बर जैनाचार्य सन्त शिरोमणि श्री विद्यासागर जी महाराज, आपके शिक्षा-दीक्षागुरू तथा नसीराबाद (अजमेर) में स्व. जैनाचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज तथा आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्यमुनि श्री सुधासागर जी महाराज, जो विगत ७-८ वर्षों से राजस्थान में विहार कर रहे हैं, के लगभग २॥ गुणा २|| फुट लम्बे-चौड़े चित्र अपने स्थान से हिले तक नहीं हैं।
आपने सोचा संभव है यह सब गुरु चरणों काही प्रबल प्रताप है जहाँ उनकी तीनों फोटो अपने स्थान से हिलीं तक नहीं हैं, उसी के परिणामस्वरूप शोरूम में खड़ी गाड़ियों अथवा शोरूम के काँच तक नहीं टूटे / क्रेक हुए। यह सब गुरुकृपा के बिना संभव नहीं हो सकता। वापिस आकर आवास पर देखा तो उसमें भी यही स्थिति थी। वहाँ पर भी तीनों फोटो अपने स्थान पर जस की तस थीं। बाद में जिन भी परिचितों ने आपका आवास या कार्यालय देखा वे भी आश्चर्य में पड़े बिना नहीं रह सके। जहाँ चारों ओर ऐसा भीषण ताण्डव दृश्य उपस्थित हो, वहाँ आपके आवास या कार्यालय में कोई नुकसान नहीं होना, यह प्रबल पुण्य अथवा किसी विशिष्ट कृपा के परिणाम के अलावा और क्या हो सकता है?
नसीराबाद से परिजन आकर आपको सपरिवार गांधीधाम से वापिस ले आए। कुण्डलपुर, (दमोह) मध्यप्रदेश में बड़े बाबा महामस्तकाभिषेक एवं पंचकल्याणक महोत्सव के उपरांत ५ मार्च २००१ को आकर 'छोटे बाबा' आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के श्रीचरणों में श्रीफल समर्पित करते हुए जब श्री रमेश गदिया अपनी आपबीती सुना रहे थे, तो श्रोतागण जहाँ आश्चर्यचकित हो रहे थे, आश्चर्यचकित हो रहे थे, वहीं गुरुकृपा के परमप्रसाद से सुरक्षित आपके सकुशल रह पाने पर आपके पुण्य की प्रशंसा भी कर रहे थे।
कुण्डलपुर । २६ जनवरी २००१ का दिन। | रही थीं। लगभग १.५० मिनिट तक आए भूकंप के सारा देश गणतन्त्र दिवस की खुशियाँ इजहार करने कंपनों का आलम यह था कि अधिकांश हेतु अपने-अपने ढंग से तैयारियों में लीना बच्चों बहुमंजिली इमारतें हिल हिलकर क्रेक हो चुकी में उमंग, उत्साह। प्रभात फेरियाँ निकालने के लिए थीं। उनमें भी बहुत सी इमारतें टूटकर बिखरी नहीं, विद्यालयीन गणवेश में तैयार होने हेतु उद्यत अपितु नीचे की ओर पैंस गई। चौथी मंजिल, तीसरी गृहणियाँ गणतंत्र दिवस के दिन भोजन - मिष्टान्न मंजिल के स्थान पर, तो तीसरी मंजिल दूसरी, बनाने के लिए तत्पर । पुरुष वर्ग ध्वजारोहण दिवस दूसरी मंजिल प्रथम और भूतल वाला स्थान जमीन के कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए तत्पर । के नीचे धंसते जा रहे थे। एक मंजिले भवन ही वृद्धजन समाचार पत्रों में राष्ट्र के नाम प्रसारित संदेश कुछ सुरक्षित से थे। का वाचन करते अथवा टी.वी. के सम्मुख बैठकर गणतंत्र दिवस के दिन देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड के कार्यक्रम को देखने में दत्तचित्त सभी लोग अपनेअपने ढंग से व्यस्त ।
इसी प्रकार प्रभात वेला में लगभग ७.४५ बजे गुजरात प्रान्त के गांधीधाम जिला भुज निवासी रमेश कुमार जैन गदिया टी.वी. के सम्मुख बैठकर राष्ट्रीय कार्यक्रम का अवलोकन कर रहे थे। लगभग डेढ़ लाख की जनसंख्या वाले इस गांधीधाम के बी-४, अपना नगर निवासी ३५ वर्षीय श्री गदिया ने बच्चों को तैयार होने का निर्देश दे रखा था।
अचानक अत्यधिक तेज आवाज सुनकर आप चौंक उठे। ऐसा लग रहा था मानो राकेटों से कहीं हमला हुआ हो। गांधीधाम से १३ कि.मी. की दूरी पर काण्डला बंदरगाह है, जो कि करांची
समुद्री जलमार्ग से लगभग १५० कि.मी. दूरी पर अवस्थित है। देश के प्रमुख बंदरगाह की गांधीधाम से निकटता होने से मन में प्रथमतः यही विचार आया कि मानो पाकिस्तान ने काण्डला पोर्ट पर राकेटों से भीषण हमला किया हो। उसी के फलस्वरूप इतनी भयंकर आवाज आ रही है। किन्तु अगले ही कुछ क्षणों में धरती काँपती / डोलती सी महसूस हुई। अतः समझते देर नहीं लगी कि यह सब भूकंप की वजह से ही हो रहा है। अतः परिजनों को घर से बाहर आ जाने का निर्देश देते हुए ११ वर्षीय ज्येष्ठ पुत्र ईशान्त, जो उस समय स्नान कर रहा था, उसे उसी नग्न दशा में ही खींचते हुए घर से बाहर ले आए । ४ वर्षीय द्वितीय पुत्र आदि के साथ बाहर आकर जो दृश्य देखा वह तो कल्पनातीत था। आपके आवास के निकट के अनेक बहुमंजिली इमारतें एक के बाद एक हिल
Jain Education International
नसीराबाद (अजमेर) राजस्थान निवासी एवं विगत ११ वर्षों से गाँधीधाम प्रवासी श्री गदिया ने विगत ८ वर्ष पूर्व ही अपना आवास निर्मित कराया था। उन्हीं के भवन के साथ बने इन बहुमंजिली भवनों को ताश के पत्तों के समान ढहते देखकर आप भौंचक रह गए। कुछ क्षण तो कुछ सोच ही नहीं सके कि क्या किया जाए? ज्येष्ठ पुत्र इतना अधिक भयभीत हो चुका था कि दिन के ढाई बजे तक पहनाने पर भी उसने वस्त्र नहीं पहने। वह अभी भी रात में चीख पड़ता है और रोने लगता है।
जहाँ चारों ओर हाहाकार चीत्कार मचा था, टूटते जा रहे मकानों में फँसे लोगों की करुण आवाजें आ रही थीं, बचाओ-बचाओ के स्वर सुनकर हृदय दहल रहा था किन्तु एक के बाद एक अथवा कहीं-कहीं पर तो एक-दूसरे पर गिर रहे भवन या उनके मलबों के बीच में जाने की किसी में हिम्मत नहीं हो पा रही थी । फिर भी लोग साह कर अपने स्वजनों, परिचितों को या सामग्री सुरक्षित करने यथासंभव प्रयास करते हुए अपनी जान को जोखिम में डालते हुए उद्यमशील हो रहे थे।
भचाऊ, भुज अंजार के निकटवर्ती इस नगर में भूकंप ने प्रलय सा ढाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अधिकांश बहुमंजिले मकान ढह चुके या भीषण रूप से क्रेक हो चुके थे। आवास से लगभग डेढ़ कि.मी. पर आपका ट्रांसपोर्ट व्यापार का कार्यालय है। कटारिया ट्रांसपोर्ट कंपनी (सेक्ट १-ए, जूनी कोट, गांधीधाम ) एवं कटारिया आटोमोबाइल्स के नाम से मारुति कार का शोरूम बना हुआ था। दोपहर लगभग ढाई बजे आफिस की स्थिति देखने जब श्री गदिया अपने शोरूम पहुंचे तो आश्चर्यचकित रह गए। आपके इस
For Private & Personal Use Only
अप्रैल 2001 जिनभाषित 31 www.jainelibrary.org.