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________________ तीर्थ सुरक्षा हेतु सार्थक पहल जैन समाज भोपाल की ओर से १,०२,५५१/राशियों के चैक तथा नगदी ब्रह्मचारी अनिल कुमार जैन, अधिष्ठाता श्री दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम, इंदौर के माध्यम से वहाँ-वहाँ की जैन समाज के प्रतिनिधियों ने समर्पित किए। - कुण्डलपुर धर्मायतन हमारी सांस्कृतिक रक्षा करने में तथा धार्मिक वातावरण बनाने के लिए साधनभूत होते हैं। तीर्थ हमारी सम्पदा हैं जहाँ पर हम निज / आत्मस्वरूप को जानने-पाने का मार्गदर्शन सहज, सरलरीति से प्राप्त कर सकते हैं। इन धरोहरों की सुरक्षा, साज-सँभाल करना प्रत्येक श्रद्धालुजन का परम पवित्र दायित्व है। समय-समय पर गाँव, कस्बों से लेकर नगर या महानगरों में धार्मिक समारोह आयोजित होते रहते हैं। इनमें सामूहिक रूप से भाग लेकर श्रावकजन अभिषेक, पूजन कर पुण्य संचय कर लेते हैं वहीं यथाशक्य दान देकर पाप से अर्जित धन-सम्पदा का सुयोग्य वितरण भी कर लेते हैं। दिगम्बर जैनाचार्य सन्तशिरोमणी १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज ने इस सामाजिक उत्सवप्रियता को नया मोड़ देने का सतपरामर्श यथा अवसर दिया है। आपने जैन समाज को दिशा बोध देते हुए अनेक बार सार्वजनिक प्रवचनों में कहा है कि आगम में दान देने के लिए 'विधिद्रव्यदाता एवं पात्र' को दृष्टि में रखने का निर्देश मिलता है। | लाखों-करोड़ों रुपये की राशि खर्च करके जो धार्मिक समारोह सम्पन्न हो रहे हैं, उनमें से कदाचित यदि कुछ राशि को हमारे धर्मायतनों, तीर्थों की अभिरक्षा, जीर्णोद्धार, व्यवस्था संचालन तथा शिक्षण-प्रशिक्षण, चिकित्सा आदि कार्यों में भी लगाया जा सके तो दोनों उद्देश्यों की पूर्ति हो सकेगी। आचार्यप्रवर श्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में बुन्देलखंड अंचल में संपन्न हुए पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव में इस भावना को प्रथम बार साकार किया पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव के आयोजक स्व. श्री लखमीचंद मोदी एवं उनके सप्त पुत्रों ने देवरी (सागर) म.. में २० से २६ फरवरी ९३ तक आयोजित इस समारोह में हुए व्यय के उपरांत अवशिष्ट राशि में से कुछ भाग अतिशय क्षेत्र बीना बारहा, तहसील देवरी (सागर) म.प्र. तथा कुछ भाग सर्वोदय तीर्थ अमरकंटक (शहडोल) म.प्र. को प्रेषित की गई। तदुपरान्त एक रात्रि में निर्मित जिन मंदिरकारे भाई जी का मंदिर, कटरा बाजार, सागर के 32 अप्रैल 2001 जिनभाषित Jain Education International जिन मंदिर हेतु भाग्योदय तीर्थ परिसर से आपके ससंघ सान्निध्य २० से २६ फरवरी ९३ तक आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं त्रय गजरथ महोत्सव आयोजित हुआ था। इस समारोह में प्राप्त दान राशि को जैन समाज, सागर ने उदारतापूर्वक १२,०६,२८० रुपए ६५ पैसे की निधि श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपुर, अकोला, महाराष्ट्र के पदाधिकारियों को समर्पित करके एक अनुकरणीय पहल की थी। यही भावना विगत वर्ष १७ से २१-२२००० तक आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं त्रय गजरथ महोत्सव के प्रसंग पर करेली ( नरसिंहपुर ) म.प्र. में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री विद्यासागरजी ने पुनः प्रतिपादित की। जैन समाज का आव्हान किया कि तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर जी के उचित विकास, धर्मायतन सुरक्षा, जीर्णोद्धार आदि कार्य हेतु अपने द्रव्य का सदुपयोग करें। इस समारोह के आयोजकों ने अवशिष्ट राशि में से ६ लाख रुपयों का चैक सर्वोदय तीर्थ अमरकण्टक (शहडोल) में चातुर्मास के दौरान श्री दिगम्बर शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सुभाष जैन, शकुन प्रकाशन, देहली को सौंपा। फिर तो यह क्रम आगे ही बढ़ता गया और छिंदवाड़ा (म.प्र. में ८ से १३ मार्च २००० तक आयोजित पंचकल्याक प्रतिष्ठा के अवसर पर घोषित दानराशि में से एक किस्त संतोष पाटनी एवं बाबूलाल पटौदी छिंदवाड़ा के हस्ते १,११,१११ / रुपये तथा आचार्यप्रवर श्री विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका श्री दृढ़मती जी की संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहिनों के द्वारा पर्यूषण पर्व में हुए धर्मोपदेश/प्रवचनों से प्रभावित होकर श्री दिगम्बर जैन समाज आरोन (गुना) म.प्र. के द्वारा ६१ हजार, श्री दिगम्बर जैन समाज अशोकनगर के द्वारा १,५१,०००/- श्री दिगम्बर जैन समाज सागवाड़ा, राजस्थान के द्वारा ३१,२२६/- श्री दिगम्बर जैन समाज तलवाड़ा, राजस्थान द्वारा २६,५००/-, श्री दिगम्बर जैन समाज कुंभराज द्वारा २५,६००/-, श्री दिगम्बर जैन समाज ईसागढ़ २१,०००/-, श्री दिगम्बर जैन समाज चंदेरी २१,०००/-, श्री दिगम्बर जैन समाज बीनागंज १०,२६७/- तथा श्री दिगम्बर For Private & Personal Use Only कुण्डलपुर (दमोह) मध्यप्रदेश में २१ से २७ फरवरी २००१ तक आयोजित पंचकल्याणक एवं त्रिगजरथ महोत्सव के प्रसंग पर संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज एवं ५१ मुनिराज, ११४ आर्यिकाओं, ४ ऐलक जी, ८ क्षुल्लकजी तथा १ क्षुल्लिकाजी रूप १७९ पिच्छिकाधारियों की समुपस्थिति में कल्याणक दिवस की अपरान्ह बेला में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी तथा श्री दिगम्बर जैन शाश्वत तीर्थराज सम्मेदशिखर ट्रस्ट के अध्यक्ष साहू श्री रमेशचंद्र जैन को उपरोक्त राशियों को समर्पित किया गया। इसके अतिरिक्त कटनी में आयोजित बेदी प्रतिष्ठा समारोह में से भी राशि पूर्व में ही उक्त संस्था को प्रेषित की जा चुकी है। जैन समाज के उदार सहयोग से तीर्थराज सम्मेदशिखर जी के चहुँमुखी विकास एवं सुरक्षा के लिए प्रत्येक श्रद्धालुजन कटिबद्ध होकर अपने नगर में आयोजित हो रहे / हुए कार्यक्रमों में से यदि कुछ सहयोग तीर्थरक्षा के कार्य में भी लगावें, तो निश्चय ही वे अतिशय पुण्य के भागीदार होगे। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपने धार्मिक उपदेशों में जहाँ तीर्थ सुरक्षा का आह्वान किया है, वहीं अभावग्रस्त, गरीब, उपेक्षित सर्वहारा वर्ग के आरोग्य लाभ हेतु समाज को आर्थिक संसाधन जुटाने, बढ़ाने का परामर्श भी दिया है। श्री गौराबाई दिगम्बर जैन मंदिर, कटरा बाजार, सागर (म.प्र.) जिन मंदिर हेतु भाग्योदय तीर्थ परिसर, सागर में द्वितीय बार २९ अप्रैल से ५ मई ९८ तक आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं १ गजरथ १ वृषभरथ तथा १ मानवरथ का आयोजन पूज्यश्रीजी के सान्निध्य में ही सम्पन्न हुआ था। इस महोत्सव समिति के आयोजकों ने उसी वर्ष भाग्योदय तीर्थ चिकित्सालय, मानव कल्याण, चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र, सागर में संचालित हो रहे चिकित्सालय हेतु लगभग पाँच लाख रुपयों की राशि एवं एक डायलिसिस मशीन भी प्रदान की थी। 9 www.jainelibrary.org
SR No.524251
Book TitleJinabhashita 2001 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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