________________
ढाल-१७ (राग-धोरणी) देशी-ऋषभशांति मन मोहीओजी... तव जनवृंदई परिवर्या, आर्द्रकऋषि हो उपशम भंडार, देखीनई मातंग ते, मनमांहि हो चिंतई तिणिवार... धन धन ए ऋषिराजजी, तेह धन धन हो नरनारी, जेह पद वंदी एहना, निज जीवित हो करई जनम प्रमाण... आंकणी-धन धन ए ऋषिराजजी जउ छूटउं बंधन थकी, तउं हुं पणि हो जई छांडु साध, त्रुटि मुनि अतिशयई तदा, लोह संकल हो गज थयउ बाध, धन... भगति इसिउँ मुनि वांदीनई, पिण उभो हो मुखि अनिमेष जोइनइ गज वनि गयउ, मानंतउ हो तव निजमति लेख, धन... अतिसय देखी साधुनउ, अति अमरषि हो ताम, उठिया गज केडि घसिया, वसि नाविउ हो तव वल्यो करि मुखश्याम... कां पंचेद्रिय वध करउ अगन्यानी हो ईम पीओ मेव, ते सवि तापस बूझविया, करिया सीतल हो वचनामृत सींचि, धन... काढीया उनमारग थकी, शुद्ध मारगि हो थापी करिया संत, एहवई अभयकुमारजी, नृप श्रेणिक हो तिहा आव्या खंत, धन.. छूटउ गजबंधन थकी, प्रतिबूधउ हो बंधा ऋषिपाय, इम अतिशय जनमुखि सुणी, आश्रम यदि हो वनि आवु, धन... त्रण प्रदक्षिण देयनइं, वांदीनई हो मंत्रीनई भूप, बईठा जयणासिउं सहु, तव देसन हो दीइ साधु अनुप, धन... परम भगति देसन सुणी, महीपतिनइं हो मंत्रीसर तेह, आर्द्रकुमारऋषिनइ स्तवइं, धन धन हो उपशम रस गेह, धन... लोहतणी दृढ संकलई, बांधिउ तउ हो तापसि परपंचि, अहो अति दुष्कर ए प्रभु, मूकाविउ हो वारण तिरयंच, धन... अहो अहो ए अतिशय घणो, सोभागी हो मांहि सिररेह, धन धन अभयकुमारनी मैत्री, करी हो तुम्हस्युं धरीओ नेह, धन...
६
91