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________________ वात सुणो वारु परि, करयो एक कामो रे, जब तुम्हनई नृप सीख दई, तव कहियो अम्ह धामो रे... २ हवइं केता दिन एक पछी, सीख लेई नर तेई रे, आईकराय- भेटणउं, भंभसार भणि लेई रे... जब चालीउ तव कुमरनइं, करजोडि कही स्वामी रे, सीद्ध करावी सीख, मगधदेश शुभकामि रे... अभयकुमारनिं मोकली, वस्त्र अमुलक मोती रे, जलपंथी घोडा गुणी, वली मणि रविशशी ज्योति रे... ५ जिम जलरुहनि भानुसिओ, दूरि थकी बहुनेहो रे, अभयकुमारजी जाणज्यो, तुम्हसि तिम सनेहो रे... ६ जिम वंध्याचल हाथीओ, संभारि निसदिशो रे, तिम हुं तुम्हगुण सांभळी, संभारू छउँ निसदिसो रे... ७ ए अम्हारी वीनती, बंधवनइं वीनवयो रे, पगे लागी माहरी वती, भेट धरी संस्त्व्यो रे... सनमानी नई सीख दि, अनुक्रमि आव्यो सोई रे, नयर राजगृही नृप कन्हई, प्रणमी पदयुग होइ रे.... सेवक आदनरायनो, कही प्राभृतक मेली रे, महाराजा मुजरो कहियो, तुम्ह मित्र गुण गेली रे..... अभयकुमरनि आगल जई, ढौकन ते सबइ ठावि रे, आर्द्रकुमारनी विनती, करि प्रणाम सुणावी रे... मित्रपणे मलq लही, चिंतइ तिणि प्रस्तावई रे, जीव हलुकरमी तुहनि, मिलसि मैत्री भावइं रे... केवलीइं करुणा करी, हणीपरि मुजनइं आप्यो रे, किम लघुकरमी हुं सई, न होवे असत्य जिम भाख्यो रे... १३ तो सही ए पूरवभवि, चारित्र कांई विराधी रे, देश अनारज अवतरयो, आप कमाई लाधी रे... १४ 59
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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