SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एहवे आवी ततकाल, नृप श्रेणिकनी रसाल, लाल छ. मणइ माणीक गयवर घोडा, वर वृषभ वस्त्रना जोडा, लाल छ... ध... ६ सुंदर रथ नइं सुखयाल, जडावी अमुल्यक ढाल, लाल छ. इत्यादिक आगलि धामी, प्रणमइ नृपने सिरनामी, लाल छ... ध... हेज बनइं अतिसनमानइं, छइसारी निरुपम थानइ, लाल छ. पूछइ नृप निरत नेहइ, कहो कुशल छई नृप गेहइ, लाल छ... ध... राजादिक परिकर लेइ, कहो सुखस्याता छे देहइ, लाल छ. कुल तुम्हे सुभचिंता कुशलभाण, छइ सुविशेष कल्याण, सुण सामी राजेसर रूडा चतुरमा सुडा... तव आर्द्रकुमार कहे परभुजी, कुण मित्र छई कहो विभुजी, लाल छ. तव नृपे कहि श्रेणिक नामी, ते मगध देशनउ स्वामी, लाल छ... ध... तिण साथई प्रीत अम्हारई, परियागति ते पण धारइ, लाल छ. नृप श्रेणीकनो परधान, जे आव्या छे तिण थान, लाल छ... ध... तस पूछइ कुमर एकांति, मैत्री कश्यानइं ततइं, लाल छ. कहि सुपुरुष कहेनि सुल, ते हमइं छइं लायक मइलई लाल छ... ध... देइ मरकलडो ते बोलई, तेहना सुतनी कुण तोलि, लाल छ. अभयकुमर गुणवंत, सोभागी ते अतिसंत, लाल छ... ध... नृप श्रेणीकना परधान, छई पांचसि सुगुणनिधान, लाल. छ. सविहूमां मंत्री मुख्य, ते अभयकुमार छई दक्ष, लाल छ... ध... १४ करइं राजकाजनी चिंता, नृप विलसि सुख निश्चिंत, लाल सु. कहई न्यानसागर ए ढाल, त्रीजी थई अमीअ रसाल, लाल छ... ध... चारित्रविराधना अने स्वर्गगमन व्रत ग्रहण कर्या पछी पालन नहि करवाथी चारित्रनी विराधना थाय छे. भवांतरमां चारित्र जल्दी उदयमां आवतुं नथी. ते विचारी भवभ्रमणमां भीरू एवा ते साध्वी काळधर्म पामे छे. आ घटनानी जाण सामायिक अणगारने थाय छे. 56
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy