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दुहा
वरतभंगना भय थकी, साधवी करिउं काल, सामायिक जाणी कहि, धिग् विषय झंझाल
महानुभाव मोटी सती, निज जीवितनउं त्याग, करी शील राखिउ भलउं, धन्य धन्य महाभाग
जो मुज कारणि आरया, अहो अहो मूई एह, तो हुं पणि अणसण करुं, इम चिंतीनई तेह
कामभोग वांछा करी, दीपिउ विषयविकार, ते पातक अणपडकमिं, पचख्या चारइ आहार
अणसण पाली अतिभलु, सामायिक अणगार, काल करी शुभ ध्यानथी, पामिउ सुर अवतार
ढाल- ३
(राग - गोडी) देशी - वेसर गई रे गमाई म्हारि न्हानडि देउ रि पाई लाल... हवई सुणउ सायरमांहि, एक आर्द्रनामि देश त्यांही, लाल छई वारु आर्द्रनामि अनारय राजा, करई राजा तिहां अधिक दिवाजा, लाल... छ. धणकंचणपूरउ छ. जाणि रयणि सनूरउ छ... आंकणी
अद्दानामि तस राणी, जाणे रूपइं इंद्राणी, लाल छ. कणबीनो जीव जे देव, चवी देवलोकथी हेव, लाल छ... ध...
तेहनी कूखइं अवतरीओ, ते मोती सीपइ संचरीउ, लाल छ. पसवीउ पउरण मासे, दीधां धवलमंगल आवासे लाल छ...
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करि ओच्छव आर्द्रकुमार, दीउं नाम ईसिउं सुविचार, लाल छ. भणी सुरगुरुनो अवतार, थया सकल कला अवतार लाल छ... ध...
अनुक्रमि योवनवय आयउ, बहु राजसुता परणायउ, लाल छ. एक दिवस पितानइ पास, बइठो छे कुमार उल्लास लाल छ... ध...
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