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________________ सामायिकनी दीक्षा देशना सांभळी सामायिक प्रतिबोध पाम्यो, करजोडी गुरुने कहे छे के, “मने आ भवसागरमांथी तारो.” तेनी पत्नी बंधुमतीना मनमां पण संवेग थयो. शुभदिवसे शुभलग्ने आचार्य भगवंतना चरणोमां जीवन समर्पित करी दीधुं. बंने विधिपूर्वक चारित्र ग्रहण करे छे. सूत्रसिद्धांत भणे छे. अनुक्रमे सामायिक अणगार गीतार्थ थया. बंधुमती पण साध्वीओनी साथे सूत्र भणे छे अने पृथ्वी पर विहार करे छे. हवे एकवार गरुनी साथे विहार करतां-करतां सामायिक अणगार कोई नगरमां आव्या. भवितव्यताना योगे ते समये बंधुमती साध्वी गुरुणीनी साथे ते ज नगरमां आवी. सुस्थितसूरिने वांदवा साध्वीजी भगवंत शिष्याओ साथे उद्यानमां गया. ___ सामायिक अणगारने ते बंधुमती साध्वीने जोवाथी पूर्वनी विषयक्रीडा याद आवी. तेनामां अनुरक्त थयो. ज्यारे ते साधु पोताना व्याकुल थयेला मनने जेम-जेम रोकवा लाग्या तेम तेम खेतर तरफ मदोन्मत्त सांढनी जेम तेनं चित्त साध्वी तरफ अधिक दोडवा लाग्यु. ते मुनिए पोताना चित्तनुं चपलपणुं बीजा मुनिने कह्यु. एटले ते बीजा मुनिए कयुं “अरे साधो ! श्रुतना समुद्र एवा तमने आ प्रमाद केवो ? काम शल्य छे, काम विष छे... वळी काम विषधर सर्पनी उपमावालो छे, कामनी ईच्छा करनारा एवाय पण कामने नहि पामेला जीवो दुर्गतिने पामे छे.” ते साधुए पण कयुं के “अरे ! हुं शुं करूं ? मारा नेत्रनी आगल आवेली ए साध्वी मंकोडी जेम फलने पोताना तरफ खेंचे छे तेम अधिकपणे मारा मनने खेंचे छे." पछी ते साधुए गुरुणीने कर्तुं अने गुरुणीए बंधुमतीने कयुं. अहो ! वायुथी उडेली रजनी जेम साधुने रक्षण करवा योग्य कार्य विस्तार पाम्यू. बंधुमती पण विचार करवा लागी के-सर्व प्रकारे अनर्थनी हेतु एवी मने धिक्कार थाओ, के जे मे धुमाडानी लहेरनी पेठे मुनिना मनने मलीन कर्यु. शील पाळवाथी ज संकट टळे छे. हं जीवती छतां आ साधुनो शीलात्मा नहि जीवे. माटे मारे मृत्यु पामवू सारं छे. एम बंधुमतीए गुरुणीने कह्यु. उत्तम बुद्धिवाली ते बंधुमती पोताने उंचे बांधीने अर्थात् गळे फांसो खाईने अनशनथी स्वर्गे गई. आ प्रमाणे श्री न्यानसागरे बीजी ढालमां जणाव्यु के, पूर्वना विषयविलासो याद करवाथी झंझाल वधे छे. 54
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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