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________________ ३) आर्द्रकुमार रास - कर्ता - पू. न्यानसागरजी (ज्ञानसागरजी ) संशोधन-संपादन - पू. कलापूर्णसूरिजी समुदायवर्ती साध्वीजी नम्रनिधिश्रीजी और नम्रगिराश्रीजी म. ४) मृगध्वज केवली रास - कर्ता - पू. पूर्णचन्द्रउपाध्याय शिष्य श्री पद्मकुमार संशोधन-संपादन - पू. कलापूर्णसूरिजी समुदायवर्ती साध्वीजी नम्रनिधिश्रीजी और नम्रगिराश्रीजी म. इन चारों कृतिओंका संशोधन-संपादन करके पूज्य गुरुभगवंतने हमें प्रेषित किया है । इन सभी गुरुभगवंतो की ज्ञानसाधना की हार्दिक अनुमोदना करते है और इन कृतियों के प्रकाशन का सुअवसर हमें प्रदान किया उसके लिये उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट करते है। पूज्य साध्वीजी श्री चंदनबालाश्रीजी के लीये भी आभारी है जिन्होंने अपना अमूल्य समय देकर इस मेगेझीन का प्रुफ चेकींग किया है । सभी समुदायके-गच्छ के गुरूभगवंतों को नम्र विनंति है कि अपनी अप्रगट नूतन रचना, संशोधित-संपादित ग्रंथों की प्रेस कोपी हमें भेजकर उसे जगत के सामने उजागर करने का हमें अवसर प्रदान करे । हमारा संपूर्ण प्रयास रहेगा की आपकी कृति-रचनाओं को उचित न्याय मिले । मुद्रितग्रंथाः- पूज्य गुरूभगवंतों के द्वारा प्राचीन पांडुलिपि पर से संशोधित-संपादित और गत वर्ष में प्रकाशित शास्त्रग्रंथो की झलक यहाँ दी गई है, जिससे जैन शास्त्रों की बहुमूल्यता व विश्वभर में इसके अमूल्य प्रदान से जैन संघ अवगत हो सकेगा । अहो ! श्रुतम् ई-परिपत्रम् विश्व की युनिवर्सिटीयाँ, विद्यापीठ, संस्कृत के अध्यापक विद्वज्जनों को ई-मेईल के जरिये भेजा जायेगा । संयमी आत्माओं के आचार को ध्यान में रखकर इसकी मर्यादित नकल मुद्रित करवाकर श्रुतज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत गुरुभगवंतो को भेज रहे हैं । ज्यादा नकल की जरूर हो तो मंगवा सकते है और पढ़ने के बाद आपको जरूर न हो तो हमें वापिस भेज सकते है । जिससे दूसरे गुरुभगवंतो को उपयोग में आ सके । श्रुतभक्ति का लाभ देवे । I 3 शा. बाबुलाल सरेमल बेडावाला
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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