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________________ ते लेइनइ निजघरि पहुता दीधउ सुघृत आहार, चारा-पाणीनी चिंता करता, हुओ सुखी अपार... एक दिवस विशेषइ भूपति मिलवा काजि, परिवार सहित ते श्रेष्ठि पहुतउ राजि, संघातइ चालइ महिष न मेल्हई साथ, एकलडउ बीहई न रहई किम्हई अनाथ... तउरे किम्हई अनाथ भणी तेहनई पहुतउ राजदुवारि, पौलि तणउ रखवालउ वालइ श्रेष्ठि कहइ म निवारि, राजसभा राउ बइठउ देखी हरखिइ करई प्रणाम, जीभ काढीनई ऊभउ रहिओ किम्हई न मेल्हई ठाम... १४ अर्थ- आसन्न उपकारी परमतारक परमात्मा महावीर स्वामी अमारा मंगल माटे थाओ, अनंतलब्धिनिधान गुरु गौतमस्वामीना चरणकमलमां वंदन करीने परममुनि मृगध्वज कुमारना चारित्रनुं वर्णन कराय छे. अमरपरी समान श्रेष्ठ श्रावस्ती नामनी नगरी छे. तेमां न्यायप्रिय प्रजावत्सल जितशत्रु नामना राजा राज्य करे छे. ते प्रजानुं पुत्रनी जेम पालन करनार हता. जीवदया प्रेमी अने धर्मानुरागी हता. न्याय-नीतिपूर्वक राज्यने संभाळनार हता. ते राजाने सती शिरोमणि कीर्तिमती नामनी राणी हती. ते रूपथी चंद्रने पण जीतनारी हती. गुणोनो भंडार हती. शीलवती, गुणवती, मृगनयनी राणी राजाने अत्यंत प्रिय हती. राजा-राणी सुखपूर्वक गृहस्थधर्मनुं पालन करता हता. संसारना सुखो भोगवता राजाने त्यां एक पुत्ररत्ननो जन्म थयो आखा नगरमां उमंग अने उत्साहपूर्वक जन्मोत्सव उजवायो. नाम राख्युं मृगध्वज कुमार! उत्तम लक्षणोथी शोभतो माता-पिताना अपार वात्सल्यथी उछरतो ते मोटो थयो. विनय-विवेकथी शोभतो बुद्धिनो भंडार हतो. उमर थता योग्य कलाओनो पण जाणकार थयो. हवे ते ज नगरमां एक कामदेव श्रेष्ठी रहेता हता. धनवंतनी साथे दानवीर पण हता. गुणोथी शोभता एवा तेने राजा पण मान आपता हता. राज्यमां तेमनुं स्थान 103
SR No.523351
Book TitleAho shrutam E Paripatra 02 Samvat 2071 Meruteras 2015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal S Shah
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages132
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationMagazine, India_Aho Shrutgyanam, & India
File Size3 MB
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