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________________ ३६ . जैनहितैषी [ भाग १५ टंटों, मतभेदों और धार्मिक विसंवादोंका कुछ दिनों तक और इसी तरह शांतिअवसर नहीं है। उन्हें भुलाकर प्रत्येक के साथ कष्टोको सहन करते हुए निर्भय भारतवासीको देशके मामले में एक हो जाना होकर अपने कार्यक्रमको बराबर मागे चाहिए और देशके उद्धार-विषयक कामों- बढ़ाते रहे तो सरकारको निःसन्देह देशके में यथाशक्ति भाग लेना चाहिए । जो लोग सामने शीघ्र ही नतमस्तक होना पड़ेगा। अपनी किसी कमजोरीकी वजहसे ऐसे प्यारे वीरो! और भारत माताके सचे कामों में कुछ हिस्सा नहीं ले सकते और सपूतो!! घबरानेकी कोई बात नहीं है। न अपनी कोई खास सेवा देशको अर्पण महात्मा गांधी जैसे सातिशय योगोका कर सकते हैं, उन्हें कमसे कम इस ओर हाथ आपके सिर पर है। हिम्मत न हारना, अपनी सहानुभूति हीरखनी चाहिए और कदम बराबर मागेको बढ़ता रहे; समझ बिगाड़का तो ऐसा कोई भी काम उनकी लो यह शरीर नश्वर है, हमारी इच्छासे तरफसे न होना चाहिए जिससे देशके यह हमें प्राप्त नहीं हुआ और न हमारे चलते हुए काममें रोड़ा अटक जाय । रक्खे रह सकेगा। कुटुम्ब, परिवार और यदि उनका कोई इष्ट मित्रादिक अथवा धनादिककी भी ऐसी ही हालत है, उनका देशका प्यारा नेता देशके लिये, बिना कोई संयोग हमारे इच्छानुसार बना नहीं अपराध, किये, जेल जाता है तो उसे रहेगा । इसलिये इन सबके मोहमें पड़ खुशीसे जाने दिया जाय । हाँ, यदि वे कर आपको अपने कर्तव्यसे जरा भी उससे सच्चा प्रेम रखते हैं तो उसके उस विचलित न होना चाहिए । इस समय शुभ कामको संभाले और खुद उसको स्वराज्यका योग पा रहा है, स्वतंत्रता देवा करना प्रारंभ करें जिसको करते हुए वह घरमाला हाथमें लिये हुए खड़ी है, सिर्फ - महामना जेल गया है। और यदि ऐसा आपकी कुछ कठिन परीक्षा और बाकी करनेके लिये असमर्थ हैं तो कृपया उसके है. उसके पूरा उतरते ही भारतके गलेमे नाम पर हुल्लड़ मचाकर अथवा दंगा वर माला पड़ जायगी। आशा है, भाप फिसाद करके व्यर्थ ही संसारकी शांति- सब इस परीक्षामें जरूर पूरे उतरंगे को भंग न करें। उनकी इतनी भी सेवा और अब भारतको पूर्ण स्वाधीन बनाकर स्वराज्य प्राप्तिके इस महायज्ञके लिये काफी ही कोडेंगे। इसमें सब कुछ श्रेय और होगी। इसीमें देशका सारा कल्याण है। । हालके समाचारोंसे हमें यह मालूम करके बहुत ही आनंद होता है कि देशने सामाजिक संवाद । इस वक्त, जब कि गरिफ्तारयों और जेल यात्रामोका समुद्र चारों ओरसे बेहद - (ले० श्रीयुत पं० नाथूरामजी प्रेमी ।) मौजे मारता हुआ उमड़ रहा है, बहुत ही १-विजातीय विवाह । जैनमित्रके धैर्य और शांतिसे काम लेकर अपनी उत्साही प्रकाशक सेठ मूलचन्दजी काप.. सावितकदमीका परिचय दिया है । डियाको पाठक अवश्य जानते होंगे। और यह उसके लिये बहुत बड़े गौरवकी आप बीसा हुमड़ जातिके हैं। मापकी बात है और उसकी कामयाबीका एक जातिमें जहाँ एक ओर लड़कोका विवाह अच्छा खासा सबूत है। यदि हमारे भाई कठिनाईसे होता है, वहाँ दूसरी ओर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522894
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size6 MB
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