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________________ कार द्विजेन्द्रलाल राय। प्रत्येक कवि, • १ जैनहितैषीका वार्षिक मूल्य ३) साहित्यप्रेमी और संस्कृतज्ञोको यह ग्रन्थ 7 पढ़ना चाहिए। मूल्य १॥), सनिल्दकार) तीन रुपया पेशगी है। २ ग्राहक वर्षके प्रारम्भसे किये जाते साहित्य-मीमांसा । हैं और बीचमें ७वे. अंकसे । आधे वर्षका मल्य १॥ . पूर्वीय और पाश्चात्य साहित्यकी, ३ प्रत्येक अंक का मूल्य ।। चार आने। काव्यों और नाटकोंकी मार्मिक और ४ लेख, बदलेके पत्र, समालोचनार्थ तुलनात्मक पद्धतिसे की हुई आलोचना। इसमें आर्यसाहित्यकी जो महत्ता, उपकापुस्तक आदि रिता और विशेषता दिखलाई गई है, 'बाबू जुगुलकिशोरजी मुख्तार उसे पढ़कर पाठक फड़क उठेगे। हिन्दीमें सरसावा (सहारनपुर )" के पास इस विषयका यह सबसे पहला प्रन्थ भेजना चाहिए। सिर्फ प्रबन्ध और मूल्य है। मूल्य १॥ आदि सम्बन्धी पत्रव्यवहार इस पतेसे किया जायः अरबी काव्यदर्शन । मैनेजर अरबी साहित्यका इतिहास, इसकी जैन ग्रंथ-रत्नाकर कार्यालय, विशेषतायें और नामी नामी कवियोंकी हीराबाग, पो० गिरगाँव, बम्बई। चीज। लेखक, पं. महेशप्रसाद साधु, कविताओं के नमूने । हिन्दीमें बिलकुल नई मौलवी आलिम-फाजिल । मू० ११) . राणा प्रतापसिंह। मेवाड़ के प्रसिद्ध सुखदास-जार्ज ईलियटके सुप्रराणाके चरित्रके माधारपर लिखा हुआ सिद्ध उपन्यास 'साइलस मारनर' का अपूर्व नाटक । मूल. लेखक-स्वर्गीय हिन्दी रूपान्तर। इस पुस्तकको हिन्दीके द्विजेन्द्रलाल राय। वीरता, देशभक्ति और लब्धप्रतिष्ठ उपन्यास-लेखक श्रीयुत् अटल प्रतिक्षाकी जीती जागती तसवीरें। प्रेमचन्दजीने लिखा है। बढ़िया एण्टिक पढ़ कर तबियत फड़क उठती है । मू० १॥) पेपर पर बड़ी ही सुन्दरतासे छपाया सजिल्दका २) गया है। उपन्यास बहुत ही अच्छा और अन्तस्तल । हृदयके भीतरी भावों भावपूर्ण है। मूल्य ॥८) द्वेष, हिंसा, प्रेम, भय आदिके अपूर्व चित्र लेखक, सुकवि पं० चतुरसेन शास्त्री।।- स्वाधीनता-जान स्टुअर्ट मिलकी 'लिबर्टी'का अनुवाद । यह ग्रन्थ बहुत दिनोंसे मिलता नहीं था, इसलिये फिरसे नये नये ग्रन्थ । छपाया गया है। 'स्वाधीनताकी इतनी कालिदास और भवभूति। . अच्छी तात्विक पालोचना आपको कहीं न मिलेगी। प्रत्येक विचारशीलको यह ग्रन्थ महाकवि कालिदासके अभिज्ञान शा. पढना चाहिए । मूल्य २)सजिल्दका २॥) कुन्तलकी और भवभूतिके उत्तरराम. चरितकी अपूर्व, अद्भुत और मर्मस्पर्शी समालोचना। मृल लेखक, स्वर्गीय नाटक- . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522894
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size6 MB
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