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________________ ३७३ अङ्क १२] . वह सभा या महासभाकी भी हँसी कराता है। कार्यवाहीको अनियमित कहकर उसका वह सभा या महासभाकी विरोध किया जायगा और सर्व सत्याग्रही इसकी अनुमोदना करेंगे। भी हँसी कराता है। प्रार्थना। . महासभाके कानपुरी अधिवेशनमें अब मैं जातिले प्रार्थना करना चाहता जिन लोगोंकी अंधाधुंधी अधिक न चल हूँ कि यदि उसे पहिली सूरतसे दूसरी यह सकनेकी वजहसे उनके मनकी मुरादें सत्याग्रहकी सूरत पसन्द है तो उसे पूरी नहीं हो सकी थीं उन्होंने उसके चंद सत्याग्रह करने के लिये तरन्त तैयार हो रोज बाद ही उडेसरमें, बिना किसी माकल जाना चाहिए । इसमें न खर्चका प्रश्न न वजहके, नैमित्तिक अधिवेशन करके, डरका, केवल जबान हिला देनेका प्रश्न है। अपने दिली फफीलोको फोड़ने और चित्तको ठंडा करने के लिये कुछ खास परिणाम क्या होगा। प्रस्ताव पास किये थे, जिनमेंसे एक प्रस्ताव सत्याग्रह करने के दो ही परिणाम हो इस प्रकार है-... सकते हैं। प्रथम-अधिकारीवर्गका दिमाग "बाबू सूरजभानुजी वकील देवबंद, ठिकाने आ जायगा और कार्यवाही उचित पं० अर्जुनलालजी सेठी जयपुर और बाबू होगी जो जाति और स्वयं महासभाके भगवानदीनजी ये तीनों महाशय जैनियोंलिये लाभदायक सिद्ध होगी। में दिगम्बर जैनग्रन्थों पर उनको बिना दूसरा-अधिकारी भी अपने हठ समझे झूठा आक्षेप करते हैं और दि. पर डटा रहे और उसके प्रस्ताव फेल आचार्योको अपशब्द कहने में भी नहीं हो रहे हैं, इसकी वह परवाह न करें और चूकते और धर्म-विरुद्ध बातोंका प्रचार ऐसा करके वह लखनऊवाले अधिवेशन- करनेमें रात्रि दिन दत्तवित्त रहते हैं, को असफल बनावें। समाजको भ्रष्ट करनेका पूर्ण उद्योग कर ___ यदि परिणाम पहिला निकला तो यह रहे हैं। यदि उनसे जवाब मांगा जाता जाति और महासभाके लिये अहोभाग्य है तो जवाब न देकर और शास्त्रार्थ न होगा और यदि परिणाम दसरा निकला करके अपनी मनमानी लेखनी द्वारा मठा तो सत्याग्रही लोग समाजसे चन्दान देने कलंक जैनधर्म व शास्त्रों पर तथा प्राचाके लिये कहेंगे। उल हालतमें भी सत्या यौपर लगाते हैं। अतएव महासभा प्रस्ताव. प्रहियोंकी जीत होगी क्योंकि अधिकारि. करती है कि ऐसे व्यक्तियोंको दिगम्बर वर्ग कबतक ऐसा करेंगे। अन्तमें एक दिन जैन धर्मावलम्बी न समझ जाय ?" * वह होगा कि इन लोगों को बुरी तरहसे यह प्रस्ताव कितना बेहूदा, निःसार, जातिके भागे सिर झुकाना होगा। आपत्तिजनक और नासमझीका परिणाम ___समाजसेवक है, इसपर एक लम्बा चौड़ा लेख लिखा श्यामसुन्दर लाल जैनी बजाज, जा सकता है। परन्तु उसके लिखनेका मेरठ सदर। इस समय अवसर न होनेसे हम यहाँ पर, अपने पाठकोंके सामने, बाबू ऋषभदास देखो खं० जैन हितेचा अंकः । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522894
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size6 MB
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