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________________ ___ हाथीशुफाका शिलालेख। - १४५ वह क्षेमराज, वर्द्धराज, भिक्षुराज और रथ और जिसकी सेनाको कभी कोई धर्मराज है और कल्याणको देखता रहा रोक न सका, जिसका चक्र (सेना) है, सुनता रहा है और अनुभव करता । चक्रपुर ( सेना-पति) के द्वारा सुरक्षित रहता है, जिसका चक्र प्रवृत्त है और जो . पक्ति १७---गुणविशेष-कुशल, राजर्षिवंश कुलमें उत्पन्न दुभा है, ऐसा सर्व मतोकी पूजा करनेवाला, सर्व देवा. महाविजयी राजा श्रीखावेरल है। लयोंका संस्कार करानेवाला, जिसके केतु भद्र परिशिष्ट । शिलालेखकी प्रसिद्ध घटनाओंका तिथिपत्र । बी. सी. (ईसा के पूर्व) , १५६० (लगभग) ... , ४६० (लगभग) कलिंगमें नन्द-शासन ...६२३० अशोककी मृत्यु] [२२० (लगभग) ...। कलिंगके तृतीय-राजवंशका स्थापन] सारवेलका जन्म [१- ... ... मौर्यवंशका अन्त और पुष्पमित्रका राज्य प्राप्त करना] खारवेलका युवराज होना [१८० (लगभग) सातकर्णि प्रथमका राज्य प्रारम्भ सारवेलका राज्याभिषेक मूषिक-नगरपर आक्रमण राष्ट्रिकों और भोजकोंका पराजय राजस्य-यब मगधपर प्रथम बार आक्रमण उत्तरापथ और मगधपर आक्रमण, पाएडवराज से प्रदेय (नजराने की प्राप्ति शिलालेखकी तिथि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522888
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size6 MB
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