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________________ [भाग १५ महँगीके कारण खर्च पहलेसे कई गुना वे किसी देशपूज्य नेताके द्वारा, जो दोनों बढ़ गया और देशसेवा, सामाजिक सम्प्रदायवालोको मान्य हो, आपसमें शिक्षा प्रचार तथा धर्मोन्नतिके लिए अग- तय करा लिये जावें, जिससे लाखों रुपये. णित धनकी आवश्यकता है, तब दिगम्बर की दोनों पक्षवालोंकी बचत हो; दूसरे जैनसमाजके बड़े बड़े श्रीमानोंके द्वारा परस्पर गले मिल जानेसे भविष्यमै भी २० लाखका चन्दा आगे मुकद्दमा लड़ने- कभी ऐसे झगड़े उपस्थित न होने पावें। के लिए एकत्र हो रहा है ! यह हमारे अतः आगे प्रीवी कौन्सिलमें मुकदमा लिए घोर अधःपतन और लजाकी बात दायर न करके आपसमें तय करानेकी नहीं तो और क्या है ! गरजसे एक डेपुटेशन अपने समाजको ओरसे श्वेताम्बर भाइयोंके पास भेजनेएक तरफ देशके परमपूज्य नेता के लिए प्रत्येक स्थानके दि. जैन पंचोको वकीलोको वकालत छोड़नेका और जन चाहिए कि वे भारतवर्षीय तीर्थक्षेत्र साधारणको अपने आपसी झगड़े पंचा- कमेटी बम्बई और भा० दि० जैन महायतों द्वारा तय करनेका उपदेश दे रहे है सभा कार्यालय बड़नगरके पतेपर अपने और हिन्दू मुसलमान सरीखे परस्पर अपने स्थानोंसे सभाओं द्वारा प्रस्ताव धर्मशत्रु आज अपने हठको त्यागकर एक पास करके भेज देनेकी महती कृपा करें। होकर गले मिल रहे हैं; और दूसरी तरफ इसी में जैनधर्म और जैनसमाजका कल्याण हम दिगम्बर जैन और श्वेताम्बर जो एक है। प्राशा है, कानपुरमें होनेवाली महाही धर्मपिताकी सन्तान हैं, एक दूसरेको सभा इस जरूरी विषयपर खास तौरपर फूटी आँख नहीं देख सकते और अपने ध्यान देगी। समाजका धन चूसकर आगे इस मुकइमेको प्रीवी कौन्सिलतक ले जानेकी दि. जैनसमाजके कृपाकांक्षी, कमर कस रहे हैं, यह बात भारतवर्षके स्थानीय सकल दि. जैन पंचान, भावी इतिहासमें दोनों समाजोंके लिए अमरावती (बरार) महान कलंकका टीका लगानेवाली अंकित की जावगी और समस्त भारतवासी हमारी मूढ़तापर शोकाश्रु बहाये बिना न रहेंगे। अतएव, महानुभावो! हमारी दिगम्बर समाजके मुखिया पंचोंसे सविनय प्रार्थना है, कि कानपूरमें होनेवाली भारतवर्षीय दि. जैन महासभाके अधिवेशनके समय इस बातका निश्चय किया जावे कि दिगम्बर समाजकी ओरसे एक सुलह संस्थापक डेपुटेशन श्वेताम्बरी मुखिः । यामोके पास इस उद्देश्यसे जावे कि भीसम्मेद शिखर तथा अन्यान्य तीर्थक्षेत्रोंके जो वर्तमान झगड़े कोटोंमें चल रहे हैं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522887
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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