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________________ जैनहितैषी । भिषेक हुआ था। इससे यह प्रकट होता है कि जैनमतके कारण प्राचीन प्रथाओं में बाधा नहीं पड़ने पाती थी । इस सम्बन्धमें एक बात और भी उल्लेखनीय है । वह यह कि, शिलालेखकी तीसरी पंक्ति लिखा है कि "एक पुरुषयुगके लिए महाराज्याभिषेक पाया ।" प्राचीन कालमें तीन प्रकारके अभिषेक होते थे। पुरुषयुगके लिए - अर्थात् निर्वा चित राजाके जीवन कालके लिए -द्विपुरुष युगके लिए और परम्पराके लिए । राजमहिषी । सातवीं पंक्तिसे खारवेलकी राज'महिषीका नाम 'धिसि' या 'धृष्टि' मिलता है जो वज्रकुलकी थी । कलिंगकी जनता । पहले लोगोंका यह मत था कि प्राचीन भारतमें मनुष्यगणनाकी प्रथा नहीं थी । परन्तु अब कौटिल्य के अर्थ शास्त्र और मेगास्थनीज़के लेखोंसे यह बात भली भाँति सिद्ध हो गई है कि मौर्य - कालमें राजनैतिक और आर्थिक प्रयो- जनसे मनुष्यगणना की जाती थी। इस शिलालेख से भी उक्त बातका समर्थन होता है। इसकी चौथी पंक्तिके अनुसार कलिंग राज्यकी जनसंख्या उस समय ३५ लाख थी । उड़ीसाकी वर्तमान जनसंख्या ५० लाख है । खारवेलकी राजधानी । शिलालेख में कई स्थानोंपर कलिंगकी राजधानीका वर्णन है । उसके लिए कहीं "कलिंग नगरी” और कहीं “नगरी " शब्दका प्रयोग किया गया है, परन्तु स्पष्ट नाम कहीं उपलब्ध नहीं होता । ऐसा जान पड़ता है कि शिलालेखके समीप ही कहीं वह स्थित होगी। प्राची Jain Education International [भाग १५ नदीके तटपर खारवेलने एक भवन बनवाया था। हाथीगुफा और धौलीसे कुछ दूरपर वर्तमान भुवनेश्वर के समीप, इस नामकी एक छोटीसी नदी है। धौलीके समीप सम्राट् अशोकका तोशलीवाला शिलालेख है । अशोकके अधीन कलिंगकी राजधानी तोशली थी । और खारवेलके शिलालेखसे यह प्रकट है कि उसने प्राचीन राजधानीका परिवर्तन नहीं किया। इससे स्पष्ट जान पड़ता है कि वर्तमान धौली ही खारवेलकी राजधानी थी, और उस समय उसका नाम 'तोशली' था । खारवेल दिग्विजय । सातकर्णि-अपने राज्यके दूसरे वर्ष हीसे सम्राट् खारवेलने भारत-दिग्विजय करना प्रारम्भ कर दिया था। शिलालेखकी चौथी पंक्तिसे मालूम होता है कि सम्राट्ने सातकर्णिकी कुछ भी चिन्ता न करके पश्चिम देशको एक सेना भेजी । ईसाके २१० या २१३ वर्ष पूर्व प्रतिष्ठान ( वर्तमान पैठन) में ब्राह्मण-वंशीय राजाओंका राज्य स्थापित हुआ था। उसी वंशके तीसरे नृपति सातकर्णि प्रथमसे सम्राट् खारवेलकी मुठभेड़ हुई होगी । मूषिक | तदनन्तर सम्राट्ने मूषिक नगरपर आक्रमण किया । महाभारत (भीष्मपर्व अध्याय 2 ) में मूषिकोंका वनवासियोंके साथ वर्णन है । नाट्यशास्त्र के अनुसार कलिंग के निवासियोंके तीन भेद थेतोशल ( तोशलीके निवासी ), कोशल (दक्षिण- कोशलके निवासी) और मोशल ( मूषिक के निवासी ) । विष्णुपुराण में मूषिक और स्त्रीराज्यको एक ही राज्यमें सम्मिलित किया गया है । कामसूत्रके For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522887
Book TitleJain Hiteshi 1921 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1921
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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