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________________ विषयसूची। नियमावली। १ उपासनातत्त्व ... ... ... १- १ जनहितषीका वार्षिक मूल्य ३) तीन रुपया पेशगी है। २ पुरानी बातोंकी खोज ... ... –१६ २ ग्राहक वर्षके प्रारम्भसे किये जाते हैं और बीचमें ३ मल्लिषेणका परिचय ... ... १६-२४ ७ अंकसे । आधे वर्षका मूल्य १) ४ तामिल-प्रदेशोंमें जैनधर्मावलम्बी ... २४-३१ . ३ प्रत्येक अंकका मूल्य ।। चार पाने। ५ जैनधर्मकी अनेकान्तात्मक प्रभुता ... ३१-३८ ४ लेख, बदलेके पत्र, समालोचनार्थ पुस्तके आदि ६ जैनधर्मका महत्व . ... ... ३८-४८ 'बाबू जुगलकिशोरजी मुख्तार, सरसावा ७ समाजशास्त्रका नवीन सिद्धान्त ... ४८-४६ (सहारनपुर)" के पास भेजना चाहिये। सिर्फ प्रबन्ध । ८जैनेन्द्र व्याकरण और प्राचार्य देवनन्दी ४६-५८ और मूल्य आदि सम्बन्धी पत्रव्यवहार इस पतेसे किया जायः१ सेठ लालचन्दजी सेठीके भाषणका कुछ मैनेजर, जैनग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, सारभाग ... ... ... ५८-५६ १० पुस्तक-परिचय ... ... ... ५६-६२ हीराबाग, पो० गिरगाँव, बम्बई । ११ सम्पादकीय वक्तव्य पुष्पलता। . अमूल्य भेंट। हिन्दीमें एक नये लेखककी लिखी हुई अपूर्व गल्प । जो लोग जैनहितैषीका यह अंक पहुँचने पर और प्रत्येक गल्प मनोरंजक, शिक्षाप्रद और भावपूर्ण है। सभी दूसरा अंक निकलनेसे पहले हितेषीके इस वर्षका मूल्य, गल् स्वतंत्र हैं और हिन्दीसाहित्यके लिये गौरवकी चीजें मनीआर्डर द्वारा, मैनेजर "जैनहितैषी" ठि. हीराबाग हैं। जो लोग अनवादग्रन्थोसे अरुचि रखते हैं उन्हें यह पो० गिरगाँव-बम्बईके पतेसे, भेज देंगे अथवा इस अंकके मौलिक गल्पग्रन्थ अवश्य पढ़ना चाहिए। ७-८ चित्रोंसे पहुँचनेसे पहले जो भेज चुके हैं उन सबको 'वीरपुष्पांजलि' पस्तक और भी सुन्दर हो गई है। हिन्दी-ग्रन्थ-रत्नाकरनामकी एक नई उपयोगी पुस्तक बिना मूल्य भेंट की सीरीजका यह ४१वाँ ग्रन्थ है। मूल्य १) सजिल्दका १।।) जायगी। सम्पादका आनन्दकी पगडरियाँ। प्रार्थनायें। जेम्स एलेन अँगरेजीके बड़े ही प्रसिद्ध आध्यात्मिक लेखक हैं। उनके ग्रन्थ बड़े ही मार्मिक और शान्तिप्रद १ जनहितैषी किसी स्वार्थबुद्धिसे प्रेरित होकर निजी गिने जाते हैं। अगरेजीमें उनका बड़ा मान है। यह ग्रन्थ लाभके लिये नहीं निकाला जाता है। इसके लिए समय, शक्ति और धनका जो व्यय किया जाता है वह केवल निष्पक्ष उन्हीके 'Byways of Blessedness' नामक ग्रन्थऔर ऊँचे विचारोंके प्रचारके लिये; अतः इसकी उन्नतिमें का अनुवाद है। प्रत्येक विवेकी और विचारशील पुरुपको हमारे प्रत्येक पाठकको सहायता देनी चाहिये। यह ग्रन्थ पढ़ना चाहिए । मूल्य १) सजिल्दका १॥) २ जिन महाशयोको इसका कोई लेख अच्छा मालूम सुखदास। हो उन्हें चाहिए कि उस लेखको वे जितने मित्रोंको पढ़कर जार्ज ईलियटके सुप्रसिद्ध उपन्यास 'साइलस मारनर' सुना सकें, अवश्य सुना दिया करें। का हिन्दी रूपान्तर। इस पुस्तकको हिन्दीके लब्धप्रतिष्ठ ३ यदि कोई लेख अच्छा न मालूम हो अथवा विरुद्ध उपन्यासलेखक श्रीयुत प्रेमचन्दजीने लिखा है। बढ़िया मालूम हो तो केवल उसीके कारण लेखक या सम्पादकसे एण्टिक पेपर पर बड़ी ही सुन्दरतासे छपाया गया है। उपद्वेषभाव धारण न करनेके लिये सविनय निवेदन है। न्यास बहुत ही अच्छा और भावपूर्ण है। मूल्य ) ४ लेख भेजनेके लिये सभी सम्प्रदायके लेखकोंको मैनेजर, हिन्दीग्रन्थ-रत्नाकर कार्यालय, आमंत्रण है। सम्पादक। हीराबाग, कम्बई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522885
Book TitleJain Hiteshi 1920 Ank 10 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1920
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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