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________________ हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः ।। चौदहवाँ भाग। अंक ७-८ जैनहितैषी। वैशाख, ज्येष्ठ २४४६ अप्रल, मई १९२० UARY न हो पक्षपाती बतावे सुमार्ग, डरे ना किसीसे कहे सत्यवाणी। बने है विनोदी भले आशयोंसे, सभी जैनियोंका हितैषी 'हितैषी' ॥ जगतकी रचना और उसका विचारसे किसी विषयकी जाँच तथा खोज कर नेका अर्थ सिवाय इसके और कुछ भी नहीं __ प्रबंध। होता है कि संसारमें जो कुछ भी हो रहा है [ लेखक, श्रीयुत बा० सूरजभानुजी, वकील।] उससे उन कार्यों के नियमोंको निश्चय कर लें यह जगत् किस तरह बना और किस तरह और फिर उन्हीं नियमोंको अपनी जाँचकी इसका यह सब प्रबन्ध चल रहा है, इस विषयमें कसौटी बना लें । जैसा कि गेहूँ के बीजसे सदा लोगोंमें बहुत ही ज्यादा मतभेद पाया जाता गेहूँका ही पौधा उगता हुआ देखकर हम यह है । सभी अपने मतको 'आप्तवचन' या 'सर्व- सिद्धांत ठहरा लें कि गेहूँ के बीजस तो गेहूँ का ही ज्ञवाक्य ' बता रहे हैं। इससे इस विषयका पौधा उग सकता है, गेहूँके सिवाय अन्य किसी निर्णय शब्द प्रमाणके द्वारा होना तो बिलकुल भी अनाजका पौधा नहीं उग सकता। इस प्रकार ही असम्भव प्रतीत होता है । एक मात्र अनुमान यह सिद्धान्त निश्चय करके और इसे अटल ।' प्रमाणसे ही निश्चय किये जानेका सहारा रह नियम मानकर आगामीको गेहँके बीजसे गेहँका गया है। इसी हेतु हम भी आज इस लेखके पौधा पैदा हो जानेकी बात तो सही और सच्ची द्वारा, तर्क और अनुमानसे इस गहन विषयकी ठहराते रहें तथा गेहूँके बीजसे चने या मटरका खोज पाठकोंके सामने रखते हैं । आशा है कि पौधा पैदा हो जानेकी बातको असत्य मानते रहें। सत्यके इच्छुक हमारे इस लेखको ध्यानके साथ ' इसी प्रकार स्त्रीपुरुष द्वारा ही मनुष्यकी उत्पत्ति पढ़ेंगे और जो बात सच्ची तथा सही सिद्ध होगी देखकर प्रत्येक मनुष्यका अपने माँ-बाप द्वारा उसके मानने में कुछ भी आनाकानी न करेंगे। पैदा होना ही ठीक समझें, इसके विपरीत किसी . इस विषयमें विचार करने योग्य सबसे पहली भी बातको सत्य न मानें । इसी प्रकारकी जाँच बात यह है कि तर्क या अनुमान अर्थात् बुद्धि- और खोजको बुद्धिकी जाँच कहते हैं । अनुभव १-२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522881
Book TitleJain Hiteshi 1920 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1920
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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