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________________ जैनहितैषी / Reg. 719. B. साम्यवाद। जैनग्रन्थ-उद्धारक कार्यालयके युरोपकी वर्तमान अशान्तिका स्वरूप सम तमाम ग्रन्थ / झनेके लिए अपूर्व ग्रन्थ / इसमें भगवान् हमने खरीद लिये हैं, इस लिए जिन भाहमहावीर और बुद्धदेवके समयके प्राचीन साम्यवादसे लेकर अबतकके व्यापारसंघवाद, श्रम योंको चाहिए वे हमसे मँगानेकी कृपा करें:-- जीविसंघवाद, अराजकतावाद, सोशियालिज्म, ऋषिमण्डल मंत्र कल्प ( मंत्र, पूजा बोल्शेविज्म, आदि भिन्न भिन्न प्रकारके साम्य- और साधन-विधिसहित)। दूसरी बारका छपा वादोंका स्वरूप, उनके सिद्धान्त, उनका और हुआ / मू० // ) उनके उत्पादक विद्वानोंका इतिहास, रूसकी। २प्रतिष्ठासारोद्धार पं० आशाधर कृत। भयंकर राज्यक्रान्ति आदि सभी बातोंको विस्तारपूर्वक लिखा है / इस विषयके सभी " संस्कृत और भाषाविधिसहित / इसकी सहायमहत्त्वपूर्ण ग्रन्थों और समाचारोंको पढ़ करके तासे वेदीप्रतिष्ठा बिम्बप्रतिष्ठा आदि सब काम यह ग्रन्थ लिखा गया है। जो लोग यह समझना कराये जा सकते हैं। म० 1 // ) और सजिचाहते हैं कि संसारमें आगे किस प्रकारके राज्य ल्दका 2) स्थापित होंगे और वर्तमानके अमीरों और गरी- 3 महावीरपुराण / भगवान महावीर तीर्थबोंके यद्धका परिणाम क्या होगा, उन्हें यह ग्रन्थ करका जीवन चरित / सकलकातिभद्रारकके अवश्य पढ़ना चाहिए / पृष्ठ संख्या ५००,मू०३) संस्कृतग्रन्थका पं० मनोहरलालजीकृत हिन्दी सगम-चिकित्सा / खाने पीने के नियमांका अनवाद / म० 1 // ) और 1 // ) विधिपूर्वक पालन करनेसे कैसे कैसे रोग आराम हो जाते हैं, यह बात इस अपूर्व पुस्तक पढ़नेसे 4 आलोचनापाठ भाषा, अर्थसहित / मालूम होगी और निरोग रहने के उपाय सूझ मूल्य-) पड़ेंगे। मूल्य दो आना। मैनेजर, जैन-ग्रन्थ-रत्नाकर कार्यालय, मूलाचार / आचार्य बट्टकरका सुप्रसिद्ध हीराबाग, पो. गिरगाव, बम्बई / / ग्रन्थ / मल प्राकृत, संस्कृतच्छाया और भाषाटीका सहित बहुत सन्दरताके साथ हाल ही छपकर तैयार बम्बईका माल / हुआ है / मूल्य लागत मात्र अर्थात् तीन रुपया / बम्बईका सब तरहका माल-कपड़ा, किराना, पाण्डव पुराण / स्टेशनरी, पीतल ताँबा, दबाइयाँ, तेल, साबुन श्रशुभचन्द्राचार्यकृत संस्कृत ग्रन्थका प० आदि-हमसे मँगाइए। माल दस जगह जाच' घनश्यामदासजी न्य यतीर्थकृत नटीन हिन्दी करके बहुत सावधानी और ईमानदारीके साथ। भाष नुवाद / वचनिकामें यह ग्रन्थ पहले पहल पहल भेजा जाता है। चौथाई रुपयेके लगभग पे छपा है / इसे जैनोंका महाभारत समझना भेजना चाहिये / एकबार व्यवहार करके देखिए। चाहिए / मूल्य साढ़े पाँच रुपये / हमारे यहाँ सब जगहके छपे हुए जैनग्रन्थ नन्हेलाल हेमचन्द जैन, कमीशन एजेण्ट, मिलते हैं। चन्दाबाड़ी, पो. गिरगाँव, बम्बई / Printed by Chintaman Sakharam Deole, at the Bombay Vaibhav Press, Servats India Socity's Building, Sandhurst Road, Girgaon, Bombay. Publshed by Nathuram Premi, Proprietor, Jain-Granth-Ratnakar Kargalaya, Hirabag, Bombay.
SR No.522877
Book TitleJain Hiteshi 1920 01 02 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1920
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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