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________________ हिन्दीके नये और अपूर्व ग्रन्थ । सिंहल विजय। देशकी सेनाके प्रतिष्ठित सेनापति हो गये। इतना ही सुप्रसिद्ध नाटककार द्विजेन्द्रलाल रायका यह सबसे । नहीं ये इंग्लिश, फ्रेंच, पुर्तगीज आदि अनेक भाषा ओंके और डाक्टरी ज्योतिष, प्राणिशास्त्र आदि सबसे अन्तिम नाटक है। बहुत पुराने समयमें बंगालके अनेक विज्ञानोंके धुरन्धर पण्डित झेगये। इस पुस्तकमें ए राजकुमारने सिंहल या लंकाको जाकर जीता था उन्हींका शिक्षाप्रद जीवनात है। मू० ॥) और वहाँ बौद्ध धर्मका प्रचार किया था। इसी ऐति विधवा कर्तव्य । एक बहुत ही अनुभवी हासिक कथानकको लेकर इस अपूर्व नाटककी रचना विद्वानने इस पुस्तकको लिखा है। जैनियों और हिन्दुकी गई है। पितृ-प्रेम, पुत्र प्रेम, पति-प्रेम और बन्धु ओंके प्रत्येक धर्म और पन्थकी विधवाओंका कल्याण प्रेमके इसमें अपूर्व चित्र खींचे गये हैं । रामायणमें करनेकी इच्छासे यह लिखी गई है। इससे विधवाओंके केवल एक कैकेयी है, परन्तु इसमें आपको दो कैके असह्य दुःख कम हो जायेंगे, वे घरमें शान्ति रखनेकी, याओं या विमाताओंके दर्शन होंगे। वहाँ केवल एक बालबच्चोंकी सेवा करनेकी, अच्छी शिक्षा देनेकी, ही पत्नीभक्त पिता है; परन्तु यहाँ पत्नीभक्त पिताके समाज-सेवा करनेकी, दीन दुखियोंको सहायता पहुँसिवाय एक विपिता भी है। इसकी नायिका लीला चानेकी इस तरह अनेक प्रकारकी शिक्षायें पावेंगी और प्रतिनायिका कुवेणीका चरित्रचित्रण कविकी एक और उनका निरर्थक जीवन समाज और देशके अर्थ अपूर्व सष्टि है। इन दोनोंके चरित्र प्रतिदानकी इच्छा लगने लगेगा। इसके उपदेश प्रत्येक विधवाके कानों न रखनेवाले निःस्वार्थ प्रेम और प्रतिदानके लिए तक पहुँचने चाहिए। सधवायें भी इससे बहुत लाभ व्याकुल वासनाविह्वल प्रेमके दो सजीव चित्र हैं। उठा सकती हैं । मूल्य ।) मेवाड़-पतनके समान यह भी विश्वप्रेम और देशभ देश-दर्शन। ‘क्तिके भावोंसे भरा हुआ है। सुरुचिपूर्ण हास-परिहा.. सकी भी इसमें कमी नहीं है। एक बार पढ़ना शुरू . अबकी बार मूल्य ३) की जगह २१) कर दिया । करके फिर आप इसे सहजहीमें न छोड़ सकेंगे । स्टज गया है और सादी पुस्तकका मूल्य और भी कम · पर भी यह सफलतापूर्वक खेला जाता है । द्विजेन्द्र अर्थात् १॥) है। इस ग्रंथका अधिकाधिक प्रचार . बाबूका यह सबसे बड़ा नाटक है। अभी हालही छप हो, इसी लिए यह मूल्य घटाया गया है। चित्र पहकर तैयार हुआ है। मूल्य १०), सजिल्दका १ लेकी अपेक्षा दूने हैं, छपाई और बायंडिंग भी सुन्दर प्राकृतिक चिकित्सा । इसमें सब प्रकारके है। ग्राहकोंको इसके प्रचारका प्रयत्न करना चाहिए। रोग होनेके कारण और उनके बिना कौड़ी पैसेके देश-दर्शनमें देशकी शोचनीय अवस्थाका रोमांचप्राकृतिक उपाय बतलाये गये हैं। ठंडे पानीके टबमें कारी दर्शन कराया है । इसके दरिद्रता और दुर्भिक्ष कटि-स्नान करना, मेहन-स्नान करना, बफारा ( वाष्प सम्बन्धी प्रकरण पढ़नेसे हृदय दहल जाता है। इस स्नान)लेना, कोयलोंकी आँचसे पसीना लेना,धूप-स्नान देशका दूसरे देशवालोंके साथ व्यापार, रोग, मृत्यु, उम्र, शिक्षा, आर्थिक अवस्था आदि सभी बातोंमें करना, स्वच्छ जलको अधिक परिमाणमें पीना, लम्बी संख्यायें देकर मिलान किया है । विवाह-संस्कारका .. साँस लेना, व्यायाम तथा प्राणायाम करना, स्वच्छ वायुका सेवन करना, आदि आदि उपायोंको बड़े प्रकरण बड़े ही महत्त्वका है। उसमें विवाहका वैदिक छ लॅगसे इसमें बतलाया है। प्रत्येक गृहस्थके घरमें कालसे अबतकका इतिहास दिया है और बतलाया है -रहने योग्य पुस्तक है। मू० ) कि इस विषयमें देशका कितना पतन हो गया है। कर्नल सुरेश विश्वास। सुरेश विश्वास एक भारतके शहरोंकी स्वास्थ्यनाशिनी नारकीय दशा, बंगाली थे। ये छुटपनमें बड़े ही खिलाड़ी. उपद्रवी. वेश्याओंकी वृद्धि, लोगोंके नैतिक चरित्रका अधःपात, उद्धत और अवाध्य लड़के थे। पढ़ने लिखनेकी ओर किसानोंकी कष्टदायक अवस्था, मजदूरोंकी मुसीबतें इनकी जरा भी रुचि नहीं थी। ये घरसे भागकर यूरोप आदि विषयोंका भी अच्छा दिग्दर्शन कराया है। अमेरिका आदि देशोंमें वर्षों घूमते रहे और केवल हिन्दी में अपने ढंगकी एक ही पुस्तक है । माल्थसके स्वावलम्बनके बलसे उन्नति करते करते करते ब्राजिल सिद्ध न्तोको भारतपर अच्छी तरह घटाया है।
SR No.522877
Book TitleJain Hiteshi 1920 01 02 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1920
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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