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________________ प्रार्थनायें । रोगोंका इलाज आदि अच्छे २ लेख प्रकाशित होत हैं। इसकी वार्षिक फीस केवल १)रु. मात्र है। १. जनहितैषी किमी स्वार्थबुद्धिसे प्रेरित होकर निजी नमूना मुफ्त मंगाकर देखिये । लाभके लिए नहीं निकाला जाता है। इसमें जो समय 1 भय पता-वैद्य शङ्करलाल हरिशङ्कर और शक्तिका व्यय किया जाता है वह केवल अच्छे विचारोंके प्रचार के लिए । अतः इसकी उन्नतिमें आयुर्वेदोद्वारक-औषधालय, मुरादाबाद। हमारे प्रत्येक पाठकको सहायता देनी चाहिए। आढ़तका काम । २. जिन महाशयों को इसका कोई लेख अच्छा मालूम हो उन्हें चाहिए कि उस लेखको जितने मित्रोंको बंबईसे हरकिस्मक माल मँगानेका .. वे पढ़कर सुना सकें अवश्य सुना दिया करें। सुभीता। ३. यदि कोई लेख अच्छा न मालूम हो अथवा विरुद्ध हमारे यहांसे बंबईका हर किस्मका माल मालूम हो तो केवल उसी के कारण लेखक या किफायतके साथ भेजा जाता है। तांबें व पीत सम्पादकसे द्वेष भाव न धारण करने के लिए मवि- लकी चहरें, सब तरहकी मशीनें, हारमोनियम, ." नय निवेदन है। ग्रामोफोन, टोपी, बनियान, मोजे, छत्री, जर्मनलेख भेजनेके लिए सभी सम्प्रदायके लेखकोंको सिलवर और अलुमिनियमके बर्तन, सब तरहका आमंत्रण है। -सम्पादक। साबुन, हरप्रकारके इत्र व सुगन्धी तेल, छोटी बड़ी घड़ियाँ, कटलरीका सब प्रकारका सामान, भारतविख्यात ! हजारों प्रंशसापत्र प्राप्त! पेन्सिल कागज़, स्याही, हेण्डल, कोरी कापी, , अस्सी प्रकारके बात रोगोंकी एकमात्र औषधि स्लेट, स्याहीसोख, ड्राइंगका सामान, हरप्रकारकी देशी और विला यती दवाइयाँ, काँचकी छोटी * महानारायण तैल। बड़ी शीशियोंकी पेटियाँ, हरप्रका का देशी हमारा महानारायण तैल सब प्रकारकी वाय- विलायती रेशमी कपड़ा, सुपारी, इलायची, मेवा, की पीड़ा, पक्षाघात, (लकवा, फालिज ) गठिया कपूर अदि सब तरहका किराना, बंबईकी और सुन्नवात, कंपवात, हाथ पांव आदि अंगोंका बाहरकी हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी पुस्तकें, जैन जकड़ जाना, कमर और पीठकी भयानक पीडा, पुस्तकें, अगरबत्ता, दशांगधूप, केशर, चंदन पुरानीसे पुरानी सूजन, चोट, हड्डी या रगका " आदि मंदिरोपयोगी चीजें, तरह तरहकी छोटी दबजाना, पिचजानो या टेढ़ी तिरछी होजाना बड़ी रंगीन तसबीरें, अपने नामकी अथवा और सब प्रकारकी अंगोंकी दुर्बलता आदिमें अपनी दुकान के नामकी मुहरें, कार्ड, चिठी, बहुत बार उपयोगी साबित होचुका है। नोटपेपर, मुहूर्तकी चिट्रीयाँ ( कंकुपत्रिका ) ___ मूल्य २० तोलेकी शीशीका दो रुपया। आदि, हरकिस्मका माल होशयारीके साथ वी. पी. से रवाना किया जाता है। एक बार व्यवहार डा० म०॥) आना। करके देखिये । आपको किसी तरहका धोका के वैद्य न होगा। सर्वोपयोगी मासिक पत्र। __ हमारा सुरमा और नमकसुलेमानी यह पत्र प्रतिमास प्रत्येक घरमें उपस्थित होकर अवश्य मँगाइए । बहुत बढ़िया हैं। एक वैद्य या डाक्टरका काम करता है। इसमें स्वास्थ्य. __ पता-पूरणचंद नन्हेलाल जैन । रक्षाके सुलभ उपाय, आरोग्य शास्त्र के नियम, प्राचीन और अर्वाचीन वैद्यकके सिद्धान्त, भारतीय co जैन-ग्रन्य-रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, वनौषधिय का अन्वेषण, स्त्र, और बालकोंके नकीठ पो० गिरगांव, बम्बई । Printed by Chintaman Sak haram Deole, at the Bombay Vaibhav Press, Servants of India Society's Building, Sandhurst Road, Girgaon, Bombay. ---- -- .. Published by Nathuram Premi, Rroprietor, Isin-Ghanta-Ratnakar Karyalaya, Wirabag, Bombay. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522836
Book TitleJain Hiteshi 1917 Ank 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1917
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
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