SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रार्थनायें । १. जैनहितैषी किसी स्वार्थबुद्धिसे प्रेरित होकर निजी लाभ के लिए नहीं निकाला जाता है। इसमें जो समय और शक्तिका व्यय किया जाता है वह केवल अच्छे विचारों के प्रचार के लिए । अतः इसकी उन्नति में हमारे प्रत्येक पाठकको सहायता देनी चाहिए । २. जिन महाशयोंको इसका कोई लेख अच्छा मालूम हो उन्हें चाहिए कि उस लेखको जितने मित्रोंको वे पढ़कर सुना सकेँ अवश्य सुना दिया करें । ३. यदि कोई लेख अच्छा न मालूम हो अथवा विरुद्ध मालूम हो तो केवल उसीके कारण लेखक या सम्पादकसे द्वेष भाव न धारण करनेके लिए सविनय निवेदन है । ४. लेख भेजने के लिए सभी सम्प्रदाय के लेखकों को आमंत्रण है। -सम्पादक भारतविख्यात ! हजारों प्रंशसापत्र प्राप्त ! मी प्रकार IIगोंकी एकमात्र औषधि महानारायण तैल | हमारा महानारायण तैल सब प्रकारकी वायुकी पीड़ा, पक्षाघात, ( लकवा, फालिज ) गठिया सुन्नवात, कंपवात, हाथ पांव आदि अंगोंका जकड़ जाना, कमर और पीठकी भयानक पीड़ा, पुरानी से पुरानी सूजन, चोट, हड्डी या रंगका दुबजाना, पिचजाना या टेढ़ी तिरछी होजाना और सब प्रकारकी अंगोंकी दुर्बलता आदि में बहुत बार उपयोगी साबित होचुका है । मूल्य २० तोलेकी शीशीका दो रुपया । डा० म० ॥ ) आना । * वैद्य सर्वोपयोगी मासिक पत्र । यह पत्र प्रतिमास प्रत्येक घर में उपस्थित होकर एक वैद्य या डाक्टरका काम करता है। इसमें स्वास्थ्यरक्षाके सुलभ उपाय, आरोग्य शास्त्र के नियम, प्राचीन और अर्वाचीन वैद्यकके सिद्धान्त, भारतीय वनौषधियोंका अन्वेषण, स्त्री और बालकोंके कठिन रोगोंका इलाज आदि अच्छे २ लेख प्रकाशित होते है । इसकी वार्षिक फीस केवल १) रु० मात्र है । नमूना मुफ्त मंगाकर देखिये । Jain Education International पता - वैद्य शङ्करलाल हरिशङ्कर आयुर्वेदोद्धारक - औषधालय, मुरादाबाद । आढ़तका काम । बंबई से हर किस्मक माल मँगानेका सुभीता । हमारे यहांसे बंबईका हर किस्म का माल किफायत के साथ भेजा जाता है। तांत्रें व पीतलकी चद्दरें, सब तरहकी मशीनें, हारमोनियम, ग्रामोफोन, टोपी, बनियान, मोजे, छत्री, जर्मनसिलवर और अलुमिनियम के बर्तन, सब तरहका साबुन, हरप्रकारके इत्र व सुगन्धी तेल, छोटी बड़ी घड़ियाँ, कटलरी का सब प्रकारका सामान, पेन्सिल कागज़, स्याही, हेण्डल, कोरी कापी हरप्रकारकी स्लेट, स्याहीसोख, ड्राइंगका सामान, देशी और विलायती दवाइयाँ, काँचकी छोटी बड़ी शीशियोंकी पेटियाँ, हरप्रका का देशी विलायती रेशमी कपड़ा, सुपारी, इलायची, मेवा, कपूर आदि सब तरहका किराना, बंबईकी ओर बाहरकी हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी पुस्तकें, जैन पुस्तकें, अगरबत्ता, दशांगधूप, केशर, चंदन आदि मंदिरोपयोगी चीजें, तरह तरहकी छोटी बड़ी रंगीन तसबीरं, अपने नामकी अथवा अपनी दुकानके नामकी मुहरें कार्ड, चिट्ठी, नोटपेपर, मुहूर्त्तकी चिट्टीयाँ ( कंकुपत्रिका ) आदि, हर किस्म का माल होशयारीके साथ वी. पी. से रवाना किया जाता है। एक बार व्यवहार करके देखिये । आपको किसी तरहका धोका न होगा | हमारा सुरमा और नमकसुलेमानी अवश्य मँगाइए | बहुत बढिया हैं । पता - पूरणचंद नन्हेंलाल जैन । co जैन ग्रन्थ- रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, पो० गिरगांव, बम्बई । Printed by Chintaman Sakharam Deole, at the Bombay Vaibhav Press, Servants of India Society's Building, Sandhirst Road, Girgaon, Bombay. Published by Nathuram Premi, Proprietor, Jain-Granth-Ratnakar Karyalaya, Hirabag, Bombay. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522834
Book TitleJain Hiteshi 1917 Ank 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1917
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy